गुणवत्ता की घोषणा पैकिंग पर जरूरी

हाल ही में कावड़ यात्रा मार्ग में उत्तर प्रदेश शासन द्वारा निर्देशित किया गया था कि दुकानदार और होटल संचालक अपने नाम का उल्लेख बड़े अक्षरों में करेंगे. इस पर देशभर में बवाल मचा. मामला जब सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो सर्वोच्च न्यायालय ने इस आदेश को रोक दिया. लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट कहा कि खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता और इसकी तासीर यानी खाद्य पदार्थ शाकाहारी है या मांसाहारी इसका उल्लेख जरूरी है. सुप्रीम कोर्ट का यह निर्देश अत्यंत महत्वपूर्ण है. यह निर्देश न केवल धार्मिक पवित्रता और आस्था बल्कि स्वास्थ्य से भी जुड़ा हुआ है. जाहिर है हमारे मौजूदा कानूनों में खाद्य पदार्थ की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के अनेक प्रावधान है.दरअसल,देश के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने फिर से अपने वे निर्देश दोहराए हैं, जो नागरिकों के हित में हैं. इस बार निर्देश दिया है कि खाद्य पदार्थों की पैकिंग पर पोषण से संबंधित जानकारी बड़े अक्षरों में दी जानी चाहिए. इससे ग्राहकों को खरीद के समय उचित निर्णय करने में मदद मिलेगी.खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता तथा ग्राहकों की स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण पहल है. खाने-पीने की चीजों में चीनी, नमक, वसा जैसे तत्वों की अधिकता कई बीमारियों की वजह बन रही है.किसी वस्तु में क्या सामग्री इस्तेमाल की गयी है और उससे कितना पोषण मिल रहा है, ऐसी सूचनाओं को आम तौर पर इतने महीन अक्षरों में छापा जाता है कि लोगों का ध्यान ही नहीं जाता. हमारे देश में डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, एलर्जी जैसी स्वास्थ्य समस्याओं में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है.लोग चीनी, नमक, वसा आदि के उपभोग को लेकर सचेत भी हो रहे हैं.सर्व विदित है कि अधिक कैलोरी लेना मोटापे और दिल की बीमारियों का कारण बन सकता है.अगर खाद्य पदार्थ के बारे में ठीक से सूचना मुहैया करायी जायेगी, तो लोग संभावित नुकसान से बच सकेंगे.कुछ समय से सरकार ने पोषण और स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार के लिए अनेक कदम उठाये हैं. नये खाद्य निर्देशों को उसी कड़ी में देखा जाना चाहिए.हाल ही में केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने आयुर्वेदिक, सिद्ध, यूनानी और होम्योपैथिक दवाएं बनाने वाली कंपनियों को चेतावनी दी थी कि वे भ्रामक विज्ञापन न दें और दवाओं के प्रभाव के संबंध में निराधार दावे न करें.कई दवा उत्पादों पर ‘सौ फीसदी सुरक्षित’, ‘स्थायी उपचार’, ‘पूर्णत: शाकाहारी उत्पाद’ या ‘मंत्रालय द्वारा स्वीकृत’ जैसी भ्रामक बातें लिखी होती हैं. बहुत से उत्पादों पर तो उनमें प्रयुक्त वस्तुओं का पूरा विवरण भी नहीं दिया जाता.बड़े शहरों में कई ऐसे रेस्तरां हैं, जहां खाद्य विभाग के निर्देशों की अनदेखी के मामले सामने आये हैं.इस बारे में भी सरकार द्वारा कड़ी कार्रवाई अपेक्षित है.उल्लेखनीय है कि़ हाल ही में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने ई-कॉमर्स कंपनियों को अपने एप और वेबसाइट से ‘हेल्थ ड्रिंक्स’ श्रेणी से सभी पेय उत्पादों को हटाने का निर्देश दिया था.उसी समय भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण ने ई-कॉमर्स कंपनियों को निर्देश दिया था कि वे खाद्य उत्पादों का समुचित श्रेणीकरण सुनिश्चित करें.खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 में ‘स्वास्थ्य पेय’ जैसी किसी श्रेणी को परिभाषित नहीं किया गया है. चिकित्सक सलाह देते रहते हैं कि खाद्य पदार्थ खरीदने या खाने से पहले उसमें इस्तेमाल चीजों, कैलोरी आदि के बारे में पड़ताल करनी चाहिए.नये निर्देशों से ऐसा करने में सहूलियत होगी. कुल मिलाकर लोगों के स्वास्थ्य और धार्मिक आस्था की दृष्टि से यह जरूरी है कि खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता के बारे में पैकिंग में साफ-साफ जानकारी हो.

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