बोले: जजेस की टिप्पणी आरएसएस के लिए निजी राय
जबलपुर। आरएसएस का जो प्रतिबंध था उसे तो कोर्ट ने नहीं हटाया सरकार ने हटाया, ऐसे में दो लाइन के आदेश के साथ केस खत्म हो सकता था। जो जजेस ने टिप्पणी की है आरएसएस के लिए, वो उनकी निजी राय है। यह बातें राज्यसभा सांसद विवेक तंखा ने कहीं। आगे उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट भी कई बार बोल चुका है कि जजमेंट में जजेस को व्यक्तिगत राय नहीं देनी चाहिए।
विदित हो कि केंद्र सरकार के अधिकारियों और कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की गतिविधियों में शामिल होने पर लगे प्रतिबंध के खिलाफ याचिका दायर की गई थी। फैसला सुनाते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने कहा था कि बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि 1980 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को सामाजिक और सांप्रदायिक संगठन मानकर सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस की शाखाओं में जाने और उनकी गतिविधियों में शामिल होने पर रोक लगाई गई थी। इंदौर हाईकोर्ट की डिवीजन की टिप्पणी पर राज्यसभा सांसद और तन्खा तन्खा ने बयान दिया हैं। श्री तंखा ने कहा कि जो बातें फैसले में कहीं गई वो आवश्यक नहीं थी। आरएसएस पर प्रतिबंध कोर्ट ने नहीं हटाया है उसे सरकार ने अलग किया है मुकदमा एक लाइन में खत्म किया जा सकता है आरएसएस को लेकर हाईकोर्ट के फैसले में न्यायधीशों की निजी दृष्टिकोण झलकता है।
भाजपा के समर्थन में काम किया
श्री तंखा ने कहा कि अब आरएसएस को स्पष्ट करना होगा कि हमारा भाजपा से कोई लेना देना नहीं है अब आरएसएस को हलफनामा देना चाहिए कि सरकारी कर्मचारी आरएसएस की गतिविधियों में शामिल हो सके लेकिन जनता इस बात पर विश्वास नहीं करेगी। मैने भी दो चुनाव लड़े है पूरी आरएसएस ने भाजपा के समर्थन में काम किया है।