सावन का पहला सोमवार आज, शिव मंदिरों में भक्तों उमड़ेगी भीड़

० हर हर महादेव के उद्घोष से गूंजेंगे प्रसिद्ध बढ़ौरा शिव मंदिर एवं मौहार नीलकंठ मंदिर

नवभारत न्यूज

सीधी 21 जुलाई। भगवान शिव जी को समर्पित सावन माह का शुभारंभ आज सोमवार से हो रहा है। सावन के प्रथम सोमवार को शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ भोर से ही उमडऩा शुरू हो जाएगी। हर हर महादेव का उद्घोष सीधी जिले के प्रसिद्ध बढ़ौरा शिव मंदिर एवं मौहार नीलकंठ मंदिर सहित अन्य शिव मंदिर गूंजने लगेगा।

इस बार सावन में 5 सोमवार होंगे। जिस कारण यह महीना और शुभ हो रहा है। ऐसा अद्भुत संयोग सालों बाद बन रहा है। शिव मंदिर बढ़ौरा एवं नीलकंठ मौहार मंदिर में शाम तक श्रद्धालुओं की भीड़ जलाभिषेक एवं पूजा-अर्चना के लिए उमड़ेगी। प्रसिद्ध शिव मंदिर बढ़ौरा में श्रावण मास के पहले सोमवार को जिले भर से श्रद्धालु पहुंचेंगे। शिव भक्त पूरी आस्था के साथ जलाभिषेक करेंगे। लगभग 4 बजे भोर से ही भारी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमडऩा शुरू हो जाएगी। हजारों श्रद्धालु बढ़ौरा शिव मंदिर में आज सावन के पहले सोमवार पर पहुंचेंगे। बढ़ौरा शिव मंदिर में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पुलिस बल शिव मंदिर प्रांगण में उपस्थित रहेगी ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना अथवा चोरियों की वारदात ना हो इसीलिए पुलिस प्रशासन सावन मास में प्रसिद्ध मंदिरों में मौजूद रहेेगी। शिव मंदिर प्रांगण में नारियल एवं चुनरी की सजी दुकानों में जमकर नारियल चुनरी की बिक्री होगी। वहीं प्रांगण में सजी दुकानों में जमकर खरीददारी से व्यापारियों के चेहरे पर सावन मास मेंं खुशी दिखेगी। बढ़ौरा शिव मंदिर के आधा किलोमीटर पहले ही दो पहिया एवं चार पहिया वाहनों के प्रवेश पर रोंक लगाने की तैयारी की जा रही है।

बढ़ौरा शिव मंदिर में श्रद्धालुओं की व्यवस्था के मद्देनजर आधा किलोमीटर दूर से ही चार पहिया एवं दो पहिया वाहनों को सुरक्षाकर्मियों द्वारा रोंका जाएगा। बढ़ौरा मंदिर के पहले ही वाहनों को रोंक दिए जाएंगे ताकि सुरक्षा व्यवस्था में किसी भी प्रकार का अव्यवस्था ना फैले। मालूम रहे कि बढ़ौरा शिव मंदिर की ख्याति सीधी जिले के साथ ही आसपास के जिलों में भी काफी ज्यादा होने से वहां से भी सावन मास में पूजा-अर्चना करने के लिए काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। श्रावण मास के शुभारंभ से ही श्रद्धालुओं की आवाजाही बनी रहेगी। इसी तरह नीलकंठ मौहार मंदिर में भी श्रद्धालुओं का तांता सावन सोमवार के साथ पूरे महीने लगा रहेगा। सावन के महीने में बढ़ौरा एवं नीलकंठ मंदिर परिसर में मेला का आयोजन भी किया जा रहा है। जिसमें श्रावण मास में प्रतिदिन काफी संख्या में लोग पहुंचेंगे। श्रावण सोमवार को यहां के मेलों में लोगों की संख्या काफी बढ़ जाती है। इसी वजह से व्यवसायी भी सोमवार के दिन सबसे ज्यादा संख्या में दुकानें सजाने के लिए पहुंचते हैं। श्रावण मास में सीधी जिले में बढ़ौरा शिव मंदिर एवं मौहार नीलकंठ मंदिर में सबसे ज्यादा श्रद्धालुओं की भीड़ हर वर्ष उमड़ती है। यहां श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए ग्राम पंचायत की ओर से भी काफी इंतजाम किए जाते हैं। जिससे श्रद्धालुओं को बिना भटकाव के पानी समेत अन्य सुविधाएं मिल सकें।

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पांच सोमवार का अद्भुत संयोग

भगवान के पूजन का विशेष माह सावन 22 जुलाई से शुरू हो रहा है। खास संयोग है कि सोमवार से ही सावन महीने का शुभारंभ हो रहा है। इस बार सावन में 5 सोमवार पड़ेगा। जिस कारण यह महीना और भी ज्यादा शुभ हो रहा है। सालों बाद ऐसा अद्भुत संयोग बन रहा है। सावन के कृष्ण पक्ष में एक तिथि का हानि होने के कारण यह पक्ष 14 दिन का है। अमावस्या तिथि को पुष्य नक्षत्र मिलने के कारण इस वर्ष मध्यम व समुचित वर्षा की संभावना है। सावन के 5 सोमवारों में पहला सोमवार 22 जुलाई, दूसरा 29 जुलाई, तीसरा 5 अगस्त, चौथा 12 अगस्त एवं पांचवा सोमवार 19 अगस्त को है।

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भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है सावन मास

हमारे शास्त्रों एवं पुराणों के अनुसार श्रावण मास भगवान शिव एवं माता पार्वती को समर्पित है। भगवान शिव को श्रावण का महीना अत्यंत प्रिय है। यह बात स्वयं भोलेनाथ ने कही है। श्रावण मास वर्षा एवं हरियाली का समय होता है और यह अति मनमोहक समय होता है। श्रावण मास का प्रत्येक दिन महत्वपूर्ण है लेकिन श्रावण मास में सोमवार का विशेष फल है। श्रावण मास में भगवान भोलेनाथ का पूजन-अर्चन करने तथा जलाभिषेक, रुद्राभिषेक, जप इत्यादि का विशेष फल है। कहा जाता है कि इस महीने में भगवान भोलेनाथ की कृपा से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस श्रावण मास में रामचरित मानस एवं राम नाम संकिर्तन का विशेष महत्व है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार श्रावण के महीने में माता पार्वती ने तपस्या करके भोलेनाथ को प्रसन्न किया था और उन्हें पति रूप में प्राप्त किया था इसलिए भी भगवान भोलेनाथ को यह मास अत्यधिक प्रिय है। दूसरी मान्यता के अनुसार समुद्र मंथन के समय समुद्र से निकले हलाहल विष को भगवान भोलेनाथ अपने गले में धारण किया जिससे उनके गले में हो रही जलन को शांत करने के लिए सभी देवताओं ने मिलकर भगवान शिव का जलाभिषेक किया। इससे उनको उस हलाहल विष के प्रभाव से शांति मिली और वह प्रसन्न हुए। तब से भगवान शिव को जलाभिषेक करने का विशेष महत्व है। श्रावण मास में सोमवार व्रत या अन्य व्रत शुरू किया जा सकता है।

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