नयी सरकार के पहले सौ दिन में फसल की सौ नयी किस्में, सौ नयी कृषि प्रौद्योगिकी

‘नयी सरकार के पहले सौ दिन में फसल की सौ नयी किस्में, सौ नयी कृषि प्रौद्योगिकी’

नयी दिल्ली, 15 जुलाई (वार्ता) भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले 100 दिन में फसलों की एक सौ नयी प्रजातियों और कृषि, बागवाली, मृदा संरक्षण, डेयरी और मत्स्य पालन जैसे कृषि एवं संबंधित क्षेत्रा से जुड़ी नयी प्रौद्योगिकी प्रस्तुत करने की तैयारी की है। यह जानकारी सोमवार को यहां कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के सचिव और आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक ने दी।

डॉ. पाठक ने संकेत दिया कि इन प्रौद्योगिकियों और तकनीकों का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किया जा सकता है। उन्होंने आईसीएआर के 96वें स्थापना एवं प्रौद्योगिक दिवस के उपक्ष्य में आयोजित दो दिन के कार्यक्रमों के पहले दिन पूसा परिसर में संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे। महानिदेशक पाठक ने यह भी कहा, “हर अपने हर वैज्ञानिक के लिए एक वर्ष में एक नया उत्पाद प्रस्तुत करने का मिशन देने जा रहे है। यह मिशन पांच साल का होगा। ये उत्पाद नए बीज, तकनीक, माडल या नए पोस्टर, अवधारणाएं, किसी भी रूप में हो सकते हैं।” आईसीएआर के अंतर्गत विभिन्न संस्थानों में इस समय साढ़े पांच हजार से अधिक वैज्ञानिक कार्यरत हैं।

आईसीएआर महानिदेशक ने कहा कि देश में कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान के इस शीर्ष संगठन कि देश में दहलन क्रांति के बाद संस्थान अब तिलहनों के क्षेत्र में उन्नत बीजों के विकास और प्रसार के कदम उठाने जा रहा है। उन्होंने कहा कि आईसीएआर खास कर विभिन्न फल-सब्जियों का सेल्फ लाइफ (ताजा बने रहने की अवधि) बढ़ा कर उनकी आपूर्ति में प्रौद्योगिकीय हस्तक्षेप बढ़ाने में भी प्रयासरत है।

आईसीएआर के 96वें स्थापना दिवस का औपचारिक उद्घाटन केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्यण तथा ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान करेंगे तथा मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह तथा कृषि राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी तथा राम नाथ ठाकुर भी उपस्थित होंगे।

आईसीएआर के प्रौद्योगिकी दिवसर के उपलक्ष्य में पूसा में फसलों की नयी किस्मों, प्रसंस्कृत उत्पादों और मशीनों की एक बड़ी प्रदर्शनी भी लगायी गयी है। इसमें सैकड़ों की संख्या में केले और आम की कस्में भी रखी गयी हैं।

आईसीएआर के ‘एक वैज्ञानिक- एक उत्पाद’ अभियान के बारे में डॉ. पाठक ने कहा, “इस अभियान की केंद्रीकृत और संस्थान के स्तर पर निगरानी व्यवस्था की जा रही है। इसमें पहले से तय होगा कि कोई वैज्ञानिक साल में किस उत्पाद पर काम करने जा रहा है, उसकी प्रगति की विभिन्न स्तर पर तिमाही और छमाही समीक्षा की जाएगी।”

नयी सरकार के पहले ‘सौ दिन में सौ किस्मे और सौ प्रौद्योगिकी’ अभियान के बारे में उन्होंने कहा, ‘पहले हर रोज एक किस्म जारी करने का विचार था। पर मंत्री जी के सुझाव के अनुसार हम इन्हें एक साथ जारी करने की तैयारी में हैं। इसके लिए प्रधानमंत्री से उनके समय के लिए अनुरोध किया गया है। इनमें जारी की जाने वाली फसलों की नयी किस्मों में बहुत सी किसमें जलवायु परिर्वन को सहने में समर्थ होंगी।”

उन्होंने कहा कि गेहूं की पिछले साल की खेती का 75 प्रतिशत रकबा जलवायु परिवर्तन के प्रति सहनशील नयी प्रजातियों का प्रयोग किया गया। इससे गर्मी ज्यादा पड़ने के बावजूद गेहूं की पिछली फसल में उतने ही क्षेत्र में गेहूं का रिकार्ड उत्पादन हुआ है।

पिछले रबी सत्र में गेहूं का उत्पादन 11.29 करोड़ टन के रिकार्ड स्तर पर रहा। आईसीएआर प्रमुख ने कहा कि इसमें 85 प्रतिशत योगदान आईसीएआर द्वारा विकसित किस्मों का रहा है।

उन्होंने कहा कि धान के मामले में इस बार सूखा और डूब प्रतिरोधी किस्मों का रकबा 25 प्रतिशत तक पहुंचने का लक्ष्य है।

डॉ. पाठक ने कहा कि 16 जुलाई 1926 को इंपीरियल कौंसिल ऑफ एग्रिकल्चरल रिसर्च नाम से शुरू हुई आईसीएआर ने 2023-24 में 47 फसलों की कुल 323 नयी किस्मे जारी कीं जिनमें 156 अनाज, 42 तिलहन, 19 चारा की फसले और 12 गन्ने की नयी किस्में शामिल हैं। इस दौरान बागवानी की भी 2023-24 नयी किस्मों का विकास किया गया है।

उन्होंने बताया कि आईसीएआर के बागवानी अनुसंस्थान संस्थान ने टमाटर की एक ऐसी किस्म विकसित की है जिसका सेल्फ लाइफ तीन सप्ताह है। सामान्य तौर पर टमाटर एक सप्ताह में गलने लगता है। उन्होंने बताया, “आमों की सेल्फ लाइफ बढ़ाने की हमारी प्रौद्योगिकी को अपना कर अब उत्तर प्रदेश से आम अब जहाजों में जापान और अमेरिका भेजा जाने लगा है जो पहले सोचा नहीं जा सकता था।”

डॉ. पाठक ने कहा कि देश में पिछले नौ दस वर्ष में दलहनों के उत्पादन में हुई क्रांति के बाद आईसीएआर का प्रयास उसी तरह तिहलन उत्पादन क्रांति की ओर है। इसके लिए 65 जिलों में दहन के उन्नत बीज के प्रसार के लिए विशेष प्रबंध किया जा रहे हैं। आईसीएआर की एक रिपोर्ट के अनुसार 2015-16 से 2022-23 के बीच देश में दलहनों का वार्षिक उत्पादन 1.63 करोड़ टन से बढ़ कर 2.61 करोड़ टन तक पहुंच गया है।

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