करोड़ों के सहकारी बैंक के बीजीएल एकाउण्ट घोटाले में असली सरगना बचा, मात्र दो कर्मचारियों पर हुई एफआइआर, रविप्रताप सिंह एवं पुष्पेन्द्र सिंह का आठ लाख का एक और घोटाला उजागर

सुुरेश पाण्‍डेय पन्‍ना
जिला सहकारी कर्मचारियों अधिकारियों को बचाने के चक्कर में लम्बे समय से कछुआ गति से चल रही जांच के बावजूद एफआईआर नही हो पा रही थी लेकिन जैसे ही उक्त मामला विधान सभा में पहुंचा तो आनन फानन में वही पुराने दोषी दो कर्मचारी जिन्हें निलंम्बित कर दिया गया था उन्ही पर गत दिवस एफ आइआर जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक द्वारा करायी गयी और असली सरगना तत्कालीन महाप्रबंधक सहित कुछ अन्य कर्मचारियों को बचाने के आरोप जांच दल एवं सहकारी बैंक प्रबंधन पर लग रहे है। हासिल जानकारी के अनुसार 1 करोड़ 85 लाख के बीजीएल एकाउण्ट घोटाले में निलम्बित लेखापाल राजेश कोरी एवं पुष्पेन्द्र सिंह बुन्देला पर सिटी कोतवाली पन्ना में धारा 420,409 के तहत मामला जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक पन्ना द्वारा पंजीबद्ध कराया गया है । ज्ञात हो कि आरोपी पुष्पेन्द्र सिंह बुन्देला एवं राजेश कोरी ने मिलकर 18509028 रूपए बैंक के बीजीएल खातों से निकालकर आरोपी पुष्पेन्द्र सिंह ने अपनी मां इमरत बाई , भाई राजपाल बुन्देला तथा रिश्तेदार देवेन्द्र सिंह के खातों में डालकर गबन कर लिया था उक्त मामला समाचार पत्रों में उछाले जाने पर केन्द्रीय बैंक प्रबंधन हरकत में आया और जांच टीम में शामिल राजेन्द्र मिश्रा,अमित श्रीवास्तव तथा अखिलेश नरवरिया ने जांच प्रतिवेदन 30 मई को प्रस्तुत किया था और गत 28 जून की बैठक में कोर्ट कमिश्नर के निर्णय के बाद उपरोक्त दोनो कर्मचारियों के विरूद्ध थाना कोतवाली में बैंक की ओर से फरयादी मनोज गुप्ता एवं कौशलेन्द्र पाण्डेय की ओर प्रकरण धोखाधड़ी का कल 30 जून को पंजीबद्ध कराया गया ।
आरोपी पुष्पेन्द्र बुंन्देला एवं रविप्रताप सिंह का आठ लाख का एक और घोटाला उजागर,फिर भी एफआइआर में उल्लेख नहीं-जिला सहकारीकेन्द्रीय बैंक के मुख्यकार्यपालन अधिकारी के पत्र क्र0 438 दिनांक 28 जून के द्वारा जारी आदेश में उल्लेख है कि शाखा प्रबंधक अमानगंज के जांच प्रतिवेदन के अनुसार दिनांक 29 नवम्बर 2022 को जारी चेक 5 लाख तथा 12 दिसंम्बर 2022 को जारी चेक 3 लाख का आहरण किया गया जिसमें आरोपी पुष्पेन्द्र बुन्देला एवं रविप्रताप सिंह के संयुक्त हस्ताक्षर आहरण में पाए गए एसबीआई अमानगंज से प्राप्त उक्त नगदी सिलक की आठ लाख की उसी दिनांक को बैंक शाखा मेें जमा नही करायी गई और निजी उपयोग में लेकर गबन किया गया मामला दो वर्ष बाद संज्ञान में आने के बाद 4 मार्च को तीन लाख तथा 15 मई को 5 लाख जमा कराया जो कि गबन की श्रेणी में आता है अतः रविप्रताप सिंह को निलम्बित कर दिया गया और पुष्पेन्द्र बुन्देला पूर्व से ही निलंम्बित है लेकिन इसके बावजूद एफआईआर में उक्त आठ लाख के घोटाले का कहीं कोई जिक्र न किया जाना सवालिया निशान लगना लाजिमी है ।
जांच टीम पर उठते कई सवालों पर एक नजर जिसे पुलिस को देना होगा ध्यान- कल तीस जून को जांच दल के प्रतिवेदन के अनुसार थाना कोतवाली पन्ना में एफआइआर भले ही करा दी गयी है लेकिन उक्त जांच प्रतिवेदन में कई ऐसे सवालिया निशान हैं जिनको नजर अंदाज करते हुए जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत कर दिया गया और तत्कालीन महाप्रबंधक सहित कुछ अन्य कर्मचारियों को बचा लिया गया जिसे पुलिस को अपनी विवेचना में ध्यान देना होगा तभी असली सरगना जिसकी अगुवाई में यह सब घोटाला किया गया और गाज मात्र दो छोटे कर्मचारियों पर गिरी तथा अभी भी कुछ कर्मचारी बचे हुए हैं ।

जांच टीम जिन बिन्दुओं को नजर अंदाज किया उन पर एक नजर –
जांच टीम द्वारा प्रस्तुत जांच प्रतिवेदन को अवलोकन करने पर पाया गया कि जांच में कई महत्वपूर्ण बिंन्दुओं पर जांच नही की गयी और तत्कालीन महाप्रबंधक की भूमिका संदिग्ध होने के बावजूद उनकी रही भूमिका की कोई जांच नही हुई तथा कुछ कर्मचारियों को भी बचाने का प्रयास किया गया है जिस पर पुलिस को चाहिए कि वह विस्त्रत जांच कर और बचे आरोपियों को भी बेनकाब करे । नीचे कुछ महत्वपूर्ण अनसुलझे सवाल दिए जा रहे हैं जिनका निराकरण आवश्यक है तभी एक निष्पक्ष जांच कही जा सकती है ।

क:- जांच टीम द्वारा नियत डेट में जांच पूरी नहीं के कारण बताएं इतने गंभीर प्रकरण में इतना ज्यादा समय लगा क्यों जांच टीम दोषी कर्मचारी से मिले हैं जिससे जांच प्रभावित हुई शाखा बड़ा बाजार मैन प्रकरण में दोषी कर्मचारी की मां के खाते से राशि बिना केवाईसी बिना सिग्नेचर अपलोड के निकली दोषी कर्मचारी कौन हैं जिनके द्वारा यह कार्य किया हैं नाम बताएं जांच टीम द्वारा बड़ा बाजार के दोषी कर्मचारियों का नाम जांच रिपोर्ट में क्यों नहीं दिया क्या जांच टीम बड़ा बाजार के दोषी कर्मचारियों के साथ मिली हैं बताएं ।
खः- सीबीएस प्रभारियों और टीसीएस इंजीनियर के नाम बताने का कष्ट करे जिन कर्मचारियों की आईडी ओपन करके गवन करवाने का कार्य किया जांच टीम इसकी जानकारी जांच रिपोर्ट मे क्यों नही दी कर्मचारियों के अवकाश के दिनों गबन कैसे होता रहा । वर्ष 2021 में हड़ताल के दिनों में गबन कैसे होता रहा ।

ग-जांच टीम द्वारा सही जांच ना करने के कारण क्या कार्यवाही की गई जांच टीम इतने बड़े आर्थिक अनिमितता के प्रकरण में जांच में बहुत ज्यादा समय लिया फिर भी जांच टीम द्वारा पूरा और स्पष्ट जांच नहीं दी इसके पीछे क्या कारण रहा ।
घ-पुष्पेंद्र बुन्देला बैंक कर्मचारी 2013 से लेखा सेक्शन में पदस्थ हुआ इसके कार्यकाल की 2013 से 2021 तक की जांच कराई जानी चाहिए क्यों नही हुई वर्ष 2013 से 2021 तक कितनी राशि का गवन हुआ या नही इसका भी खुलाशा होना जरूरी है । जांच टीम द्वारा शाखा अमानगंज में हुए आठ लाख गबन की जानकारी क्यों नही दी जबकि इससे अधिक के गबन की चर्चा है । जांच टीम को नवीन जांच रिपोर्ट में 8 लाख की जानकारी देनी थी ।
ड-अमानगंज के रिकांसिलेशन पत्रक मैं ब्रांच मैनेजर के साइन से नवंबर 22 से मार्च 24 तक हर तिमाही भेजे गए ब्रांच मैनेजर द्वारा फर्जी रिकांशलेशन पत्रक भेजा और गबन 8,00 लाख का हुआ ब्रांच मैनेजर द्वारा गबन की जानकारी छुपाई और दोषी कर्मचारी से मिला रहा ब्रांच मैनेजर अमानगंज पर क्या कार्यवाही हुई आखिर ब्रांच मैनेजर पर क्यों कार्यवाही नही की गई । कर्मचारी के छुट्टी पर होने के कारण उनकी आईडी कैसी चलती रही सीबीएस प्रभारी के पास आईडी ओपन करने के लिए कर्मचारी का आवेदन था या नहीं कर्मचारी की आईडी से कर्मचारी के छुट्टी पर होने से आईडी ओपन करके गवन हुआ गवन में सामिल सीबीएस प्रभारी के नाम ओपन हो और सीबीएस के प्रभारी पर भी कार्यवाही होनी चाहिए ।
(च) – जब घोटाला वर्ष 2013 से वर्ष 2023 तक के बीच हुआ तो अखबारों में खबर आने का इंतजार क्यों किया गया?इसका साफ मतलब है की घोटाले की जानकारी तात्कालिक महाप्रबंधक को थी वैसे भी हर तीन माह में जब रिकांसलेशन (क्रॉस चेक) होता है बीजीएल अकाउंट का तो इतने दिनो में घोटाला क्यो पकड़ में नहीं आया?
(छ) – रिकांसलेशन होने का मतलब है किसी भी प्रकार के ट्रांजेक्शन की पूरी आवक जावक की जानकारी तो उस दौरान मेकर और चेकर को तलब नही किए जाने का मतलब है की जिन्होंने अपने परिजनों के खातों में राशि ट्रांसफर की उन्हे खुली छूट जिम्मेदार तात्कालिक महाप्रबंधक सहित अन्य जवाबदेह अधिकारियों ने दे रखी थी तो उन पर कोई ठोस कार्यवाही क्यों नही की गई? मात्र 2 लोगों को दोषी मानते हुए उनसे राशि वसूलने की कार्यवाही की गइ और बाकी बचे हुए जिम्मेदारों में से कुछ को केवल नोटिस और कुछ को बिना तलब किए छोड़ा जाना संदेशास्पद है।
(ज)- जब जांच दल बना कर जांच हुई तो उसका आधार ही खबर को बनाया गया जिसने साफ तौर पर तात्कालिक महाप्रबंधक मानवेंद्र सिंह को पदच्युत किया गया ताकि जांच प्रभावित न हो तो फिर उन्हे जांच दल में शामिल करना ही नियम विरुद्ध था फिर उन्हे वापस जांच दल से हटाया गया तो आखिर ये स्पष्ट है की जांच दल के मुखिया दवाब में कार्य कर रहे है।
(झ) -उक्त गबन घोटाला कब से चल रहा है क्योंकि लेखा कक्ष में श्री पुष्पेंद्र सिंह वर्ष 2007-8 से पदस्थ हैं तो जांच पूर्व से क्यों नहीं कराई जा रहा है अभी हाल में उन लोगों के द्वारा अमानगंज में भी गबन किया गया तो वहां पर पदस्थ शाखा प्रबंधक एवं अन्य स्टाफ को क्यों बचाया जा रहा क्या उक्त प्रकरण की उच्च स्टारी जांच कराई जाएगी नहीं तो क्यों?

Next Post

जिला परिवहन अधिकारी द्वारा स्कूली वाहन एवं यात्री वाहनों की जांच एक बस बिना परमिट जप्त

Wed Jul 3 , 2024
मंडला। मण्डला में स्कूल बसों की चैकिंग की गई जिसमे माननीय सूप्रीम कोर्ट गाईडलाइन अनुसार स्कूली बसों में बसों के रंग, फर्स्टएड बाक्स, अग्निशामक यंत्र, एस.एल.डी, व्हीएलटीडी, सीसीटीव्ही कैमरा, जीपीएस आदि उपकरणों की जांच की गई स्कूली बसों में फिटनेस, बीमा, परमिट, ड्रायविंग लायसेंस आदि दस्तावेजों को चैक किया गया। […]

You May Like