नर्सिंग घोटाले में विश्वास ने खुद काे बताया पाक.साफ, विपक्ष ने की त्यागपत्र की मांग

भोपाल, 02 जुलाई (वार्ता) मध्यप्रदेश विधानसभा में आज नर्सिंग घोटाले को लेकर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के सदस्यों ने तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग को लक्ष्य करते हुए अनेक आरोप लगाए और संपूर्ण मामले की सदन की समिति से जांच के साथ ही श्री सारंग के त्यागपत्र की मांग की। यह मांग नहीं माने जाने पर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार की घोषणा पर कांग्रेस सदस्यों ने बहिर्गमन कर दिया।

वहीं वर्तमान में खेल एवं युवा कल्याण विभाग के मंत्री श्री सारंग ने विपक्षी सदस्यों के आरोपों का बिंदूवार जवाब देते हुए सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने तथ्य पेश करते हुए कहा कि नर्सिंग कॉलेज (महाविद्यालयों) को सबसे अधिक मान्यता देने का कार्य राज्य की पंद्रह माह की कांग्रेस की तत्कालीन कमलनाथ सरकार के समय किया गया। यह कार्य भी उस समय मार्च 2020 में उस समय किया गया, जब वह सरकार गिरने वाली थी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मार्च 2020 के बाद सत्तारूढ़ हुयी भाजपा सरकार ने नर्सिंग कॉलेज संबंधी व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने के लिए कार्य किए और मान्यता प्रदान करने संबंधी नियमों में भी सुधार किया गया।

कांग्रेस के हेमंत कटारे, जयवर्धन सिंह और अन्य सदस्यों की ओर से ध्यानाकर्षण सूचना के जरिए नर्सिंग घोटाला संबंधी मामला उठने पर श्री सारंग ने कहा कि आज दिन भर कांग्रेस के सदस्यों ने उनका (श्री सारंग का) नाम लेकर उन्हें खूब कोसा। बार बार उनका नाम लिया गया। इसलिए वे एक एक बात को स्पष्ट करने के लिए खड़े हुए हैं। उन्होंने अनेक पत्रों और दस्तावेजों का हवाला दिया और कहा कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 20 मार्च 2020 को 353 नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता प्रदान की थी। उन्होंने कहा कि सुनीता सीजू को रजिस्ट्रार बनाने संबंधी पत्र भी कांग्रेस सरकार के समय जारी हुआ था। श्री सारंग ने कहा कि कांग्रेस के समय कुल 453 कॉलेजों को मान्यता दी गयी थी, लेकिन जब भाजपा सत्ता में आयी तो हमने जांच की और इस दौरान 150 कॉलेज बंद भी किए गए।

चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला ने श्री सारंग के जवाब के बाद कहा कि तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने विपक्षी सदस्यों के सवालों के जवाब स्वयं दिए हैं। इसलिए अब उन्हें बहुत ज्यादा नहीं कहना है। लेकिन उन्होंने कहा कि राज्य सरकार स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार के लिए कार्य कर रही है और अधिक से अधिक नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने के प्रयास जारी रहेंगे। इसके साथ ही मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की मंशा के अनुरूप इस बात का भी ध्यान रखा जा रहा है कि नर्सिंग से जुड़े विद्यार्थियों के हितों का संरक्षण हो। इसलिए उनकी परीक्षाएं आयोजित करने का क्रम निरंतर जारी है।

उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ला ने कहा कि सरकार नियमों के अनुरूप काम कर रही है। नर्सिंग कॉलेज से जुड़े मामले उच्च न्यायालय में विचाराधीन है। अदालत के आदेश के अनुरूप सरकार काम करेगी। उन्होंने भरोसा दिलाया कि नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता संबंधी प्रक्रिया को “फुल प्रूफ” बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार आने वाले समय में प्रत्येक जिले में एक मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लक्ष्य को भी हासिल करने का प्रयास कर रही है।

इसके पहले ध्यानाकर्षण सूचना के जरिए मामला उठाने वाले कांग्रेस विधायक हेमंत कटारे ने आरोप लगाया कि नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता नियम विरुद्ध तरीके से दी गयी हैं। नर्सिंग कौंसिल की रजिस्ट्रार की नियुक्ति में गड़बड़ी की गयी हैं। तत्कालीन मंत्री के इशारे पर गड़बड़ियां की गयी हैं। इसी तरह के आरोप अन्य कांग्रेस सदस्यों जैसे जयवर्धन सिंह और श्री सिंघार समेत एक दर्जन से अधिक सदस्यों ने लगाए। इस मामले पर चर्चा के दौरान अनेक अवसरों पर तीखी नोंकझोंक की स्थिति बनी। कांग्रेस के सदस्यों ने तत्कालीन मंत्री और कुछ ऐसे लोगों पर भी आरोप लगाए, जो सदन के सदस्य नहीं हैं। इस पर संसदीय कार्य मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने बार बार आपत्ति जतायी और अंतत: संबंधित टिप्पणियों को कार्यवाही से आसंदी ने विलोपित करा दिया।

कांग्रेस विधायक भंवर सिंह शेखावत ने विभिन्न कथित घोटालों के परिप्रेक्ष्य में कहा कि दरअसल इनके पीछे पूरा “सिस्टम” काम करता है, जिसमें बड़े से लेकर छोटे अधिकारी कर्मचारी भी शामिल होते हैं, लेकिन उत्तरदायी सिर्फ एक जनप्रतिनिधि या मंत्री को बना दिया जाता है। जबकि कलेक्टर और बड़े अधिकारी भी दोषी होते हैं, लेकिन उन्हें कभी न कोई सजा होती है और न ही कोई कार्रवाई। उन्होंने पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा का नाम लेते हुए कहा कि व्यापमं घोटाले में भी उनके अलावा किसी बड़े अधिकारी पर कार्रवाई हुयी क्या। उन्होंने भी इस मामले की जांच सदन की समिति से कराने की बात की।

मंत्री के जवाब के बाद अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही को आगे बढ़ा दिया, लेकिन कांग्रेस सदस्य मंत्री के त्यागपत्र के बाद सदन की समिति से जांच की मांग कराने की बात करते हुए अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के आसन के समक्ष पहुंच गए। इस दौरान वे सरकार विरोधी नारे लगाते रहे, जबकि श्री तोमर ने कार्यसूची में शामिल विषयों को पूर्ण करने की औपचारिकता शोरगुल के बीच की। इस दौरान नगरीय विकास विभाग से संबंधित दो विधेयक मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने पेश किए और उन्हें बगैर चर्चा के ही ध्वनिमत से ही पारित कराने की औपचारिकता की गयी। इस बीच कांग्रेस सदस्यों ने श्री सिंघार की घोषणा पर बहिर्गमन कर दिया।

इसी बीच उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार की ओर से आज ही पेश किए गए एक विधेयक को भी ध्वनिमत से पारित कराने की औपचारिकता पूरी की गयी। इसके बाद अध्यक्ष श्री तोमर ने सदन की कार्यवाही बुधवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

सोलहवीं विधानसभा का तीसरा सत्र सोमवार को प्रारंभ हुआ है। पहले ही दिन विपक्षी दल कांग्रेस के सदस्यों ने नर्सिंग घोटाले को उठाकर स्थगन प्रस्ताव के तहत चर्चा कराने की मांग की थी। काफी हंगामे और मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद अध्यक्ष ने सोमवार को आश्वासन दिया था कि इस विषय पर वे किसी ने किसी रूप में चर्चा करवाएंगे। इसके बाद आज इस विषय को ध्यानाकर्षण सूचना के जरिए लिया गया।

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