करोड़ों का बीजीएल घोटाला पहुंचा विधानसभा, करोड़ों की राशि अपने परिजनों के नाम किया था ट्रांसफर

सुरेश पाण्डेय पन्ना
वर्ष 2017 से लेकर 2023 के बीच जिला सहकारी बैंक पन्ना में बीजीएल घोटाला हुआ था यानी की करोड़ों की राशि बीजीएल एकाउंट से अधिकारी एवं कर्मचारियों ने एक राय होकर अपने परिजनों के नाम ट्रांसफर कर दी। जिसमें मुख्य सरगना रहे जिम्मेदार अधिकारी को राजनैतिक दबाव के चलते बचाने का प्रयास किया गया और मात्र दो कर्मचारियों पुष्पेंद्र बुंदेला तथा राजेश कोरी को दोषी मानते हुए जांच ठण्डे बस्ते में डाल दी। जिसको लेकर अलग अलग विधायकों ने तीन विधानसभा प्रश्न किये हैं।
पहला विधानसभा प्रश्नः- पन्ना जिले की गुनौर विधानसभा क्षेत्र विधायक राजेश वर्मा ने अतारांकित प्रश्न क्रमांक 2263 के माध्यम से प्रश्न किया है कि जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक पन्ना में करोड़ों रूपये की राशि का घोटाला किया गया है जिसे विभिन्न समाचार पत्रों ने अप्रैल 2024 में किये जाने के बाद जांच प्रारंभ की गई क्या बैंक की करोड़ों की घोटाले की राशि कर्मचारियों ने अपने परिजनों के खातों में ट्रांसफर कर हेराफेरी की है यदि हां तो इसमें बैंक के कौन कौन से कर्मचारी अपने परिजनों के नाम कितनी राशि ट्रांसफर की तथा समाचार पत्रों में खबर प्रसारित होने के बाद ही क्यों कार्यवाही की गई कार्यवाही न करने वाले किन किन अधिकारियों की संलिप्तता रही। पूर्ण विवरण सहित जानकारी दे। क्या जांच दल में किसी ऐसे व्यक्ति को भी शामिल किया। जो इस घोटाले में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से शामिल था यदि हां तो उनका नाम बताएं और उस अधिकारी को जांच दल से किस कारण से हटाया गया क्या इस घोटाले में किसी को दोषी पाया गया तो उसका नाम बताएं। यदि नहीं तो वास्तविक दोषी अभी तक जांच में क्यों नहीं पाया गया क्या इनमें से कुछ अधिकारी वर्तमान में पदस्थ हैं यदि हां तो क्यों। क्या इनका बैं से अन्यत्र पदस्थ कर जांच की जावेगी। कुल मिलाकर इस विधानसभा प्रश्न से स्पष्ट होता है कि इस घोटाले में कथित रूप से शामिल रहे पूर्व जीएम मानवेंद्र सिंह की ओर इशारा किया गया क्योंकि इन्हीं को काफी विरोध के बाद जांच दल से हटाया गया था।
विधानसभा प्रश्न क्रमांक-3719ः- विधायक प्रताप ग्रेवाल जो कि खरगोन जिले से विधायक हैं उन्होंने उठाया है कि जिला सहकारी बैंक पन्ना के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने मिलीभगत करके अपनी आईडी से बीजेएल एकाउंट से अपने रिश्तेदारों एवं अन्य के खातों में स्थानांतरित किये जाने की शिकायत प्राप्त होने पर जांच के आदेश जिला महा प्रबंधक को दिये गये थे। यदि हां तो कब कब क्या क्या आदेश दिये गये क्या उक्त जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत कर दिया गया है। यदि हां तो जांच निष्कर्ष के आधार पर कौन कौन दोषी पाये गये और उनके विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई। नहीं तो क्यों तथा कितनी गबन की राशि किस किस के द्वारा जमा कराई गई। क्या वित्तीय गबन के आधार पर उनके विरूद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज कराये गये की नहीं यदि नहीं तो क्यों।
विधानसभा प्रश्न क्रमांक 3614ः- उक्त विधानसभा प्रश्न तारांकित प्रश्न 3614 के माध्यम से पूर्व मंत्री जयवर्द्धन सिंह द्वारा उठाया गया है जिसमें लेख है कि जिला सहकारी बैंक पन्ना के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने मिलीभगत करके अपनी आईडी से बीजेएल एकाउंट से करोड़ों की राशि अपने रिश्तेदारों एवं अन्य खातों स्थानांतरित किये जाने की शिकायत प्राप्त होने पर जांच करने के निर्देश जिला महा प्रबंधक को दिये गये थे। यदि हां तो कब कब क्या क्या आदेश दिये गये। क्या जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत कर दिया गया। यदि हां तो जांच निष्कर्ष के आधार पर कौन कौन से दोषी पाये गये उनके विरूद्ध क्या क्या कार्यवाही की गई। कितनी गबन की राशि किस किस के द्वारा जमा कराई गई और वित्तीय गबन पर उनके विरूद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज किये गये कि नहीं। उपरोक्त घोटाले में किसकी क्या संलिप्तता पाई उनके पद नाम, पदीय दायित्व तथा एक ही स्थान पर कब से जमे हुये हैं सम्पूर्ण जानकारी दें।
बीजेएल एकाउंट घोटाले पर एक नजरः- जिला सहकारी के केंद्रीय बैंक(मर्यादित) में वर्ष 2017 से 2023 के बीच तात्कालिक महालेखाप्रबंधक मानवेंद्र सिंह और लिपिक अनुपमा सिंह, पुष्पेंद्र बुंदेला, लेखापाल राजेश कोरी, अंजली असाटी द्वारा अपनी आईडी से बीजीएल अकाउंट से कई करोड़ की राशि अपने परिजनों और अन्य खातों में स्थानांतरित कर गबन के आरोप सामने आए थे। जिसकी लिखित शिकायत उपरांत जिला महाप्रबंधक एस के कनौजिया द्वारा 18 सितंबर 2023 को पत्र क्रमांक 1153 जारी कर अमित श्रीवास्तव और इलियास खान को 7 दिवस में जांच प्रतिवेदन के लिए निर्देशित किया गया था लेकिन जांच दल के सदस्यों की मांग पर 29 जनवरी 2024 को पत्र क्रमांक 1940 जारी कर पांच सदस्यीय टीम गठित कर टीम को 17 दिवस अर्थात 16 फरवरी 24 तक जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने को कहा गया था। जांच उपरांत महाप्रबंधक द्वारा बताया गया कि पुष्पेंद्र बुंदेला एवं राजेश कोरी प्रथम दृष्टया दोषी पाये गये हैं। जांच दल मे तत्कालीन जीएम मानवेंद्र सिंह की भूमिका संदिग्ध होने के बावजूद उन्हें शामिल किया गया था। लेकिन समाचार पत्रों में जांच दल पर सवालिया निशान लगाए जाने पर उन्हें हटा दिया गया था।
ऐसे समझे करोड़ों के गबन के मामले कोः- जिला सहकारी बैंक(मर्यादित) में एक डाटा रजिस्टर होता है जिसे बीजीएल अकाउंट के नाम से जाना जाता है जिसमे बैंक में आने वाली राशि और आहरित राशि (मय विवरण के)का विवरण होता है । इसमें राशि का आहरण बैंक में पदस्थ लिपिक द्वारा बाउचर भर के लेखपाल द्वारा पास कराया जाता है और राशि बाउचर के आधार पर एनईएफटी/आरटीजीएस /ट्रांसफर के माध्यम संबंधित खाते में स्थानांतरित हो जाती है जिसपर लेखा प्रबंधक द्वारा वेरिफिकेशन किया जाता है की उक्त राशि का आहरण सही जगह हुआ है या नही। इसी दौरान लिपिक,लेखापाल और लेखाप्रबंधक की मिली भगत से राशि को अपने परिचित,स्वजनों के खाते में डाल कर गबन किया जाता है।
गबन का असली मास्टरमाइंड कौनः- सूत्रों की माने तो तात्कालिक लेखा प्रबंधक द्वारा साजिशन लिपिक और लेखापाल के साथ मिलकर लगभग कई करोड़ की हेराफेरी कर दी है लेकिन 2017 से 2023 के बीच हुआ ये गबन जमींदोज इसलिए रहा क्यू की मानवेंद्र सिंह जिले में ही महा प्रबंधक बन बैठे थे, वही सूत्रो की माने तो एक लेखापाल द्वारा बकायदा अपनी आईडी से हुए इस गबन के संबंध में एक पत्र लिखकर उस दौरान हुए इस गबन की जानकारी दी गई थी और और ये उल्लेख किया गया था की जब राशि का आहरण हुआ उस दौरान उक्त लेखापाल अवकाश पर था। अगर ऐसा था तो जांच उस समय क्यों नहीं हुई?

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