मीराबाई चानू की नजर पेरिस ओलंपिक पर

पटियाला, (वार्ता) चोट से उबरने के बाद प्रसिद्ध भारतीय भारोत्तोलक मीराबाई चानू पेरिस ओलंपिक में विजयी वापसी के लिए कमर कस रही हैं।

एशियाई खेलों में असफलता के बाद विश्व कप में अपनी हालिया वापसी पर बातचीत करते हुये मीराबाई ने कहा “ एशियाई खेलों में चोट लगने के बाद, विश्व कप मेरी पहली प्रतियोगिता थी।

मैं निश्चित रूप से एक और चोट लगने को लेकर आशंकित थी।

उन्होंने यहां भारतीय खेल प्राधिकरण (एसएआई मीडिया) से कहा, “ मैं पेरिस के लिए अपनी संभावनाओं को खतरे में नहीं डालना चाहती थी।

चोटों से निपटना और तनाव मुक्त मानसिकता बनाए रखना मेरे लिए महत्वपूर्ण है।

पेरिस की राह चुनौतियों से रहित नहीं रही, क्योंकि मीराबाई ने अपने खेल में सावधानीपूर्वक प्रशिक्षण और चोट की रोकथाम के महत्व पर जोर दिया।

उन्होंने बताया, “भारोत्तोलन व्यापक प्रशिक्षण की मांग करता है।

प्रत्येक मांसपेशी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और भारी वजन उठाने के लिए ताकत बनाए रखना महत्वपूर्ण है।
प्रशिक्षण में निरंतरता महत्वपूर्ण है।
एक भी दिन छोड़ने से मेरी प्रगति में काफी कमी आती है।

उन्होने कहा कि असफलताओं से उबरने का उनका दृढ़ संकल्प स्पष्ट था।

उन्होंने अफसोस जताते हुये कहा “ हांगझाउ एशियाई खेल में करीब होने के बावजूद, एक असामयिक चोट ने मेरी प्रगति रोक दी।
हालांकि, असफलताएं भारत के लिए और मजबूत होकर वापसी करने के मेरे दृढ़ संकल्प को बढ़ावा देती हैं।

मीराबाई पेरिस का इंतजार कर रही हैं, जहां उनका लक्ष्य टोक्यो में रजत पदक जीतने के बाद अपनी क्षमता में इजाफा करना है।

उन्होंने कहा, “ मैं सभी भारतीयों के समर्थन और प्रार्थनाओं पर भरोसा करती हूं।
आखिरकार, पेरिस में सफलता भाग्य से निर्धारित होगी।

दूसरा ओलंपिक पदक हासिल करना मेरे और मेरे परिवार के लिए एक सपना पूरा होगा, लेकिन मैं खेल की अनिश्चितताओं को समझती हूं।

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