वित्तीय और पूंजी बाजार, उद्योग संगठनो के साथ वित्त मंत्री की बजट पूर्व चर्चा

नयी दिल्ली 20 जून (वार्ता) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरूवार को यहां आम बजट 2024-25 की तैयारियों के मद्देनजर वित्तीय और पूंजी बाजार क्षेत्र के प्रमुख विशेषज्ञों तथा उद्योगपतियों और उद्योग संगठनोें के प्रतिनिधियों के साथ बजट-पूर्व चर्चा की।

वित्त मंत्रालय ने एक्स पर यह जानकारी देते हुये कहा कि वित्त मंत्री ने आज पहले वित्तीय और पूंजी बाजार क्षेत्र के प्रमुख विशेषज्ञोें के साथ चर्चा की जिसमें वित्तीय और पूंजी बाजार क्षेत्र के प्रमुख विशेषज्ञों ने अपने सुझाव दिये और विचार रखे। इसके बाद वित्त मंत्री ने उद्योगपतियाें और उद्योग संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बजट पूर्व चर्चा की। वित्त मंत्री ने इन दोनों बैठक की अध्यक्षता की। यह बजट पूर्व दूसरी और तीसरी बैठक थी। पहली बैठक बुधवार को अर्थशास्त्रियों के साथ की गयी थी।

इन बैठकों में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी, वित्त सचिव; आर्थिक मामलों, राजस्व, वित्तीय सेवाओं और कॉरपोरेट मामलों के विभागों के सचिव दिपम सचिव और भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार भी शामिल हुए।

उद्योगपतियों और उद्योग संगठनों के साथ बैठक में भारतीय उद्योग परिसंघ के अध्यक्ष संजीव पुरी, एसोचैम के अध्यक्ष संजय नायर, फिक्की की ओर से शुभ्रकांत पांडा, पीएचडीसीसीआई के संजीव अग्रवाल, सीएमई के नीरज अखोरी और सियाम की ओर से विनोद अग्रवाल आदि ने भाग लिया।

उल्लेखनीय है कि आम चुनाव में मद्देनजर इसबार फरवरी में अंतरिम बजट पेश किया गया था। आम चुनाव के बाद अब फिर से श्रीमती सीतारमण को वित्त मंत्रालय का कार्यभार मिला है और वे अब पूर्ण बजट की तैयारियां शुरू कर दी। नव निर्वाचित 18वीं लोकसभा का पहला सत्र 24 जून से शुरू होने जा रहा है। यह सत्र तीन जुलाई तक चलेगा जिसमें शुरू में पहले लोक सभा के लिए निर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलायी जाएगी और उसके बाद लोक सभा अध्यक्ष का चुनाव किया जाएगा। इस सत्र में नवनिर्वाचित सदस्यों के शपथ, स्पीकर के चुनाव, राष्ट्रपति का अभिभाषण और उस पर चर्चा होगी। राज्यसभा का 264वां सत्र 27 जून से शुरू होगा और तीन जुलाई तक चलेगा।

ऐसी उम्मीद की जा रही है कि संसद का यह सत्र दो चरणों में संपन्न हो सकता है। इसका दूसरा 22 जुलाई से 9 अगस्त तक का हो सकता है तथा इसी दौरान वित्त मंत्री बजट पेश करेंगी और इस पर चर्चा कर इसे पारित कराया जायेगा क्योंकि सरकार के पास अभी 31 अगस्त तक व्यय के लिए संसद की मंजूरी है। सरकार के लिए उससे पहले बजट को पारित कराना वैधानिक रूप से आवश्यक होगा।

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