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ओंकारेश्वर। ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर के निकट अति प्राचीन सुलवेद माता मंदिर में प्रति मंगलवार भक्तों का मेला लग रहा है। कई प्रकार के रोगों का स्नान करने स े लाभ मिल रहा है।
जय प्रकाश पुरोहित ने बताया कि सुलवेद बावडी के पुजारी दादूराम वर्मा से बावड़ी के महत्व के बारे में चर्चा की। उन्होंने बताया िक जंगल वाले क्षेत्र मे 1 किलोमीटर दूर कई भक्त अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए बावड़ी में स्नान करने पहुंचते हैं। प्रति मंगलवार आने वाले भक्तों को जंगल मार्ग से उबड़ खाबड़ रास्ते से होते हुए यहां पहुंचकर कुंड से बाल्टी भर बाहर स्नान करते हैं । माता का पूजन करते है। ं दूर-दूर से आने वाले बडवे यहां घूमते हैं।
बताया जाता है कि चमत्कारी इस बावड़ी में पांच मंगलवार स्नान करने से जिन्हे संतान नहीं होती, उन्हे संतान की प्राप्ति होती है । कुष्ठ रोग चर्म रोग दूर होता है । बाहरी हवा बाधा में आने वाले लोगों को स्नान से लाभ मिलता है । जो लकवे की बीमारी में आ जाते हैं। उन्हें माता की बावड़ी में नहाने ने से लकवा तक दूर होता है। जो लोग बावड़ी पर नहीं आते हुए नर्मदा किनारे गोमुखघाट पर निकलने वाले जल में स्नान कर पुण्य लाभ ले रहे हैं। सात कुण्डों बावडिय़ों से होता हुआ जल भूमिगत गोमुख घाट पर पहुंच रहा है। जहां प्रतिदिन बड़ी दूर-दूर से भक्त आकर स्नान कर पुण्य लाभ ले रहे हैं। 1 किलोमीटर दूर सलवेद बावड़ी पहुच जर्जर मार्ग को दुरुस्त करने के लिए पुजारी ने जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाई है कि मार्ग को दुरस्त कर अति प्राचीन स्थान को आवागमन के लिए पक्का किया जाए।
एनएचडीसी जाने वाले मार्ग से दक्षिण की ओर जाने वाले मार्ग में वन क्षेत्र बावड़ी स्थान तक माता के भक्तों ने श्रमदान कर उबड खबड मार्ग को वर्तमान दुरुस्त किया है। जहां पैदल चलकर बावड़ी पर पहुंच रहे है।