कांग्रेस को उज्जैन संभाग में नई रणनीति बनानी पड़ेगी

सियासत

2024 के लोकसभा चुनाव के परिणाम 2023 के विधानसभा परिणामों का विस्तार हैं. 2023 के विधानसभा चुनाव में उज्जैन संभाग में कांग्रेस कुछ ही सीटों पर अपना वजूद बचा सकी थी. खासतौर पर उज्जैन और मंदसौर तथा नीमच जिलों में कांग्रेस को खासा नुकसान हुआ. 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की पराजय और बड़ी हुई खास तौर पर उज्जैन लोकसभा सीट पर. यह सीट मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव का घरेलू क्षेत्र है. लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी अनिल फिरोजिया ने रिकार्ड जीत दर्ज की है. निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के महेश परमार को 4 लाख से अधिक वोटो से हरा दिया. यह नया रिकार्ड है. इससे पहले 2019 में फिरोजिया ने ही कांग्रेस प्रत्याशी बाबूलाल मालवीय को तीन लाख 65 हजार 637 वोटों से हराया था.

मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव का गृह क्षेत्र होने से भी यह सीट चर्चा में थी. साथ ही अक्टूबर-2022 में श्री महाकाल महालोक के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लोकार्पण किए जाने के बाद भाजपा ने इस अपनी बड़ी उपलब्धि बताया था. इन सब समीकरणों के बीच यह क्षेत्र भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का विषय बन गया था. रिकार्ड जीत से एक बार फिर उज्जैन-आलोट संसदीय क्षेत्र भाजपा का मजबूत गढ़ साबित हुआ है. उल्लेखनीय है कि उज्जैन-आलोट संसदीय क्षेत्र में 1951 से लेकर 2019 तक हुए 17 चुनावों में केवल पांच बार कांग्रेस जीती है. इस सीट को भाजपा का मजबूत किला माना जाता रहा है. इस बार भी शुरुआती दौर में यहां चुनाव एकतरफा ही माना जा रहा था. इसके बाद कुछ रोचक राजनीतिक समीकरण देखने को मिले.

पहला यह कि भाजपा ने प्रत्याशियों की अपनी पहली सूची में उज्जैन सीट को होल्ड पर रखा. दूसरा रोचक पहलू कांग्रेस का दिखा. कांग्रेस ने यहां मनोवैज्ञानिक चाल चलते हुए तराना से विधायक महेश परमार को मैदान में उतारा. दरअसल, महेश परमार 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में अनिल फिरोजिया को हरा चुके थे. इसके अलावा नगर निगम के महापौर चुनाव में भी परमार ने भाजपा प्रत्याशी को कड़ी टक्कर दी थी. इन्हीं सब समीकरणों को देखते हुए परमार कांग्रेस के लिए मुफीद उम्मीदवार बन गए. कांग्रेस ने शिप्रा शुद्धीकरण, महाकाल मंदिर की अव्यवस्थाएं जैसे स्थानीय मुद्दों को उठाया.

शिप्रा नदी में गंदा पानी मिला तो कांग्रेस प्रत्याशी ने डुबकी लगा ली. मुख्यमंत्री डा. यादव ने शिप्रा नदी में उतरकर यहां तक कहा कि बहुत दुख होता कि लोग शिप्रा मैया को लेकर सवाल उठाते हैं. भाजपा ने संगठन के नियमों के अनुसार बूथ स्तर पर मजबूत जमावट जमाई, प्रत्याशी फिरोजिया ने ग्रामीण क्षेत्रों में खूब जनसंपर्क किया, राम मंदिर, मोदी की गारंटी, देश के विकास जैसे मुद्दे जनता के बीच लेकर गए. प्रधानमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी को ही जनता चुनना तय कर चुकी थी, इसलिए यहां पार्टी को प्रचंड जीत मिली. महेश परमार मजबूत उम्मीदवार थे, मगर संगठन स्तर पर पार्टी बहुत कमजोर साबित हुई. बूथ स्तर पर कोई प्रबंधन नहीं था. कुल मिलाकर उज्जैन संभाग में कांग्रेस को वापसी के लिए नए सिरे से रणनीति बनानी पड़ेगी. भाजपा के खिलाफ मैदान में संघर्ष करना पड़ेगा और बुनियादी समस्याओं के मुद्दों पर आंदोलन करना पड़ेंगे.

सावित्री के मंत्री बनने से अंचल में नए समीकरण

धार संसदीय क्षेत्र की प्रतिनिधि सावित्री ठाकुर को केंद्र में महिला विकास विभाग का राज्य मंत्री बनाया गया है. सावित्री ठाकुर ने धार लोकसभा क्षेत्र से भाजपा के लिए सर्वाधिक 2,18,000 मतों से बढ़त प्राप्त कर जीत दर्ज की. उनके टिकट में मुख्य रूप से संघ की मालवा प्रांत इकाई और विष्णु दत्त शर्मा जैसे नेताओं का हाथ था. लंबे अरसे बाद धार से ऐसे प्रत्याशी को टिकट मिला जिस पर विक्रम वर्मा की मोहर ना लगी हो. ऐसे में केंद्र में राज्य मंत्री बनने के बाद धार संसदीय क्षेत्र के समीकरण बदलेंगे. सावित्री ठाकुर आदिवासी भिलाला समाज से आती हैं. उनके केंद्रीय मंत्री बनने से खरगोन, बड़वानी, धार, खंडवा, झाबुआ अलीराजपुर और रतलाम जिले के भिलाला आदिवासी समुदाय में उत्साह की लहर है. जाहिर है मालवा और निमाड़ के आदिवासी अंचल की राजनीति में आने वाले दिनों में अनेक परिवर्तन देखने को मिलेंगे.

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