छात्राओं की अरुचि: पहले राउंड में सिर्फ 10 एडमिशन

जिले के एकमात्र गल्र्स कॉलेज में लगातार कम हो रही छात्राओं की संख्या

 

शाजापुर, 11 जून. वर्ष 1987 में शासन ने शाजापुर जिले की छात्राओं के लिए कन्या महाविद्यालय की सौगात दी थी. उस समय यहां शासन स्तर पर कला संकाय शुरू किया गया था. शुरुआत में तो यहां एडमिशन के लिए छात्राओं में खासी रुचि थी. कॉलेज प्रबंधन ने स्ववित्त से यहां एमकॉम और बीकॉम भी संचालित किया, लेकिन छात्राओं की अरुचि और फीस अधिक होने के कारण दोनों ही कक्षाएं बंद हो गई. अब वर्तमान में यहां कला संकाय ही संचालित है, जिसमें साल दर साल छात्राओं की संख्या तेजी से कम हो रही है. फिलहाल नवीन सत्र के लिए एडमिशन प्रक्रिया जारी है. पहले चरण की बात करें, तो यहां मात्र 10 एडमिशन हुए हैं.

सरकार जहां बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा बुलंद कर बालिकाओं की शिक्षा पर जोर दे रही है. साथ ही अधिक से अधिक बेटियां अच्छी तालीम हासिल कर सके, इसके लिए तमाम योजनाएं भी चला रही हैं, लेकिन इसके उलट शाजापुर जिले में गल्र्स कॉलेज छात्राओं के एडमिशन के लिए तरस रहा है. ज्ञात रहे कि शाजापुर जिले का एकमात्र गल्र्स कॉलेज जिला मुख्यालय स्थित किला परिसर में संचालित हो रहा है. कॉलेज की अपनी नई बिल्डिंग है, तो कक्षाएं भी सर्वसुविधायुक्त हैं, लेकिन जिले के एकमात्र गल्र्स कॉलेज में छात्राओं के एडमिशन का ग्राफ लगातार गिरता जा रहा है, जिसके कारण कॉलेज बंद होने की कगार पर पहुंच गया है. ऐसा नहीं है कि इस मामले की जानकारी जिले के आला अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को नहीं है. कॉलेज प्रबंधन समय-समय पर यहां कला संकाय के अलावा वाणिज्य एवं विज्ञान संकाय शासन स्तर पर शुरू करने के लिए पत्र लिख चुका है, लेकिन आज तक इस दिशा में कोई सकारात्मक परिणाम नजर नहीं आए. यही कारण है कि यहां एडमिशन की संख्या लगातार कम होती जा रही है. मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2024-25 के एडमिशन के पहले राउंड में कॉलेज में सिर्फ 10 छात्राओं ने दाखिल लिया है. हालांकि अभी दो राउंड और बाकी हैं, जिसमें देखना होगा कि कितनी और छात्राएं यहां एडमिशन लेती हैं.

 

कॉलेज का स्थान बदल दिया जाए तो बढ़ सकते है एडमिशन

 

जिला मुख्यालय पर बने गल्र्स कॉलेज की पुरानी बिल्डिंग किला परिसर के प्रवेश द्वार के ठीक सामने स्थित थी. लेकिन नई बिल्डिंग किला परिसर के अंतिम छोर पर जाने से यहां हमेशा भय का माहौल बना रहता है. नवभारत ने कॉलेज में पढऩे वाली छात्राओं एवं उनके अभिभावकों से चर्चा की तो उनका कहना था कि कॉलेज तक पहुंचने के लिए छात्राओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. यहां अधिकांश छात्राएं ग्रामीण क्षेेत्रों से आती हैं, जिन्हें बस स्टैंड या टंकी चौराहा से कॉलेज तक पैदल आना पड़ता है. वहीं किला गेट पर असामाजिक तत्वों का जमावड़ा रहता है. कॉलेज भले ही किला की बाउंड्रीवॉल के बीच है, लेकिन यहां जहरीले जानवर भी घूमते रहते हैं. जिसके कारण यहां खतरा बना रहता है. किला गेट से कॉलेज तक पहुंचने के लिए पक्का पहुंच मार्ग भी नहीं है, जिससे बारिश में छात्राओं को परेशानी होती है. यदि यह कॉलेज एबी रोड या ऐसे किसी स्थान पर स्थानांतरित कर दिया जाए, जहां आवागमन की सुविधा हो, तो छात्राओं के एडमिशन में बढ़ोत्तरी हो सकती है.

 

कई बार आवदेन दिए, नहीं हुई सुनवाई

 

गल्र्स कॉलेज प्रबंधन ने कॉलेज में कम हो रहे एडमिशन की संख्या बढ़ाने के लिए कई बार उच्च अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को आवेदन दिए, जिसमें मांग की गई कि कॉलेज में 1987 से सिर्फ कला संकाय संचालित है. यदि यहां शासन स्तर पर वाणिज्य संकाय या विज्ञान संकाय शुरू किया जाता है, तो एडमिशन की संख्या बढ़ सकती है. कॉलेज को बहुसंकाय करने के लिए छात्राओं द्वारा भी मांग की जा रही है.

 

स्टाफ की कमी भी है बड़ा मुद्दा…

 

गल्र्स कॉलेज में स्थायी प्राचार्य का पद कई वर्षों से रिक्त है. यहां सहायक प्राध्यापक के 6 पद स्वीकृत हैं, इनमें से 4 पर अतिथि विद्वान कार्यरत हैं. जबकि दो पर स्थायी प्राध्यापक कार्यरत हैं. इनमें से भी राजनीति विज्ञान के प्राध्यापक डॉ. शेरू बेग 30 जून को सेवानिवृत्त हो जाएंगे. ग्रंथपाल का पद भरा है, लेकिन ग्रंथपाल पिछले 2 साल से बिना सूचना के अनुपस्थित चल रही हैं. क्रीड़ा अधिकारी के पद पर भी अतिथि विद्वान कार्यरत है. कार्यालय की बात करें, तो मुख्य लिपिक, सहायक ग्रेड – 2, भृत्य, प्रयोगशाला परिचारक, स्वीपर का पद भी लंबे समय से रिक्त है. वहीं कॉलेज में पदस्थ चौकीदार ने भी हाल ही में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए प्राचार्य को आवेदन दिया है. साल के अंत में एक सहायक ग्रेड – 3 भी रिटायर्ड हो जाएंगे.

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