विशेष आरोप बिना दर्ज नहीं हो सकता रिश्तेदारों के खिलाफ दहेज प्रकरण का अपराध

हाईकोर्ट ने खारिज की एफआईआर
जबलपुर: हाईकोर्ट ने अपने अहम फैसले में कहा है कि रिश्तेदारों के खिलाफ विशेष आरोप होने पर दहेज प्रकरण दर्ज किया जा सकता है। हाईकोर्ट जस्टिस जी एस अहलूवालिया की एकलपीठ ने पांच रिश्तेदारों के खिलाफ दर्ज की गयी एफआईआर को खारिज करने के आदेश जारी किये हैं। एकलपीठ ने आरोपी पति तथा सास के खिलाफ एफआईआर खारिज करने से इंकार कर दिया।

बालाघाट निवासी महेंद्र नागपुरे उसकी माँ ईश्वरी बाई नागपुरे,भाई जितेन्द्र व कृष्ण कुमार,भाभी रोशनी नागपुरे,बहन निशा तथा रितु लिल्हारे की तरफ से धारा 498 ए सहित अन्य धाराओं के तहत हट्टा थाने में दर्ज एफआईआर को खारिज किये जाने की मांग करते हुए न्यायालय की शरण ली गयी थी। याचिका में कहा गया था कि महेन्द्र नागपुरे का विवाह साल 2017 में मीनाक्षी नागपुरे से हुआ था। महेन्द्र नागपुरे से जब तलाक के लिए आवेदन किया तो उसके बाद पत्नी ने दहेज के लिए प्रताड़ित तथा मारपीट करने का आरोप लगाते हुए पुलिस में एफआईआर दर्ज करवा दी। याचिकाकर्ताओं के तरफ से तर्क दिया गया कि अनावेदिका ने देर से एफआईआर दर्ज करवाई है।

एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता महिला का आरोप है कि दहेज में दस लाख रुपये की मांग करते हुए पति व सास मारपीट करते थे। रिश्तेदारों के खिलाफ ताना मारने का आरोप है। दहेज के लिए पति व उसकी सास ने उसे घर से निकाल दिया था। एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा कि एफआईआर दर्ज करवाने के संबंध में कोई समय अवधि निर्धारित नहीं है। एकलपीठ ने पति व सास के अलावा अन्य रिश्तेदारों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को खारिज करने के आदेश जारी किये है।

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