चौथी तिमाही में आर्थिक विकास दर 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान: एसबीआई

नयी दिल्ली 28 मई (वार्ता) भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने आज अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 की चौथी तिमाही में देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत और मार्च 2024 में समाप्त वित्त वर्ष में इसके आठ प्रतिशत रहने का अनुमान है।

एसबीआई के ग्रुप मुख्य अर्थशास्त्री डॉ़ सौम्य कांति घोष ने आज जारी एक रिपोर्ट में कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक ने चौथी तिमाही में जीडीपी के 7.3 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान जताया है जबकि एसबीआई ने इसके 7.4 प्रतिशत रहने और मार्च 2024 के समाप्त वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि के आठ प्रतिशत तक पहुंचने की संभावना जतायी है।

उसने चालू वित्त वर्ष में जीडीपी के 7.5 प्रतिशत से 8 प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान जताया है जबकि आरबीआई इसके सात प्रतिशत रहने की बात पहले की कह चुकी है।

उसने कहा है कि 30 उच्च आवृत्ति संकेतकों के साथ इन-हाउस विकसित एसबीआई आर्टिफिशियल न्यूरल नेटवर्क (एएनएन) मॉडल चौथी तिमाही जीडीपी वृद्धि 7.4 प्रतिशत रहने का संकेत दे रहा है।

प्रमुख संकेतक शहरी/ग्रामीण परिदृश्य में निरपेक्ष विकास की प्रवृत्ति दिखाते हैं, हालांकि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में तेजी बनी हुयी है।

जनवरी 24 से संकेतकों का प्रतिशत 80 से ऊपर बना हुआ है, शहरी संकेतकों ने हाल के महीनों में उल्लेखनीय सुधार दिखाया है।

यात्री वाहन की बिक्री, हवाई अड्डे पर यात्री यातायात, जीएसटी संग्रह, क्रेडिट कार्ड लेनदेन, पेट्रोलियम खपत और टोल संग्रह सभी शहरी आर्थिक गति में सुधार का संकेत दे रहे हैं।

दूसरी ओर, ग्रामीण अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है और फरवरी’24 (जनवरी24) में 56 (60) की तुलना में मार्च’24 में बढ़कर 75 प्रतिशत हो गया है।

ग्रामीण आर्थिक गति में डीजल की खपत और दोपहिया वाहनों की बिक्री में तेजी दिख रही है।

उसने कहा है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को परेशान करने वाले बदलाव और अंतर्धाराएं अक्सर असंख्य रूपों में सामने आती हैं, जो विकास को और यहां तक कि सबसे लचीले क्षेत्रों की क्षमता पर भी असर डालती हैं।

चुनिंदा तिमाहियों से भारत के लिए वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही में धीमी वृद्धि के पूर्वानुमान के इर्द-गिर्द बुनी गई कथाएँ वैश्विक विकास की अनियमितताओं को अधिक बढ़ावा देती प्रतीत होती हैं।

वैश्विक विकास, मुद्रास्फीति के दबाव में कमी और विश्व स्तर पर मजबूत रोजगार की स्थिति इसके पक्ष में है।

भू-राजनीतिक और मौसम की घटनाओं के जोखिमों के बावजूद आशावाद आगे चलकर अशांत प्रतिकूल परिस्थितियों में बदल सकता है।

इसके अलावा, अच्छे दिनों के अग्रदूत के रूप में, ‘सामान्य से ऊपर’ मानसून दालों, तिलहन और अनाज की घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत है।

मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार, 2024 के मानसून सीजन के उत्तरार्ध के दौरान ला नीना विकसित होने की उम्मीद है, जबकि हिंद महासागर डिपोल (आईओडी) सकारात्मक होने की उम्मीद है, जो दोनों ही अच्छे मानसून का संकेत देते हैं।

कॉर्पोरेट भारत ने मजबूत आंकड़े दर्ज करना जारी रखा, हालांकि बैलेंस शीट की मजबूती के लंबे तिमाही दौर के बाद लाभप्रदता पर कुछ दबाव सामने आया।

भारतीय इंक की लगभग 2,400 सूचीबद्ध कंपनियों ने वित्त वर्ष 24 की चौथी तिमाही में 9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की जबकि वित्त वर्ष 24 की सभी पिछली तिमाहियों में यह लगभग सपाट थी।

हालाँकि, कर बाद लाभ वृद्धि सालाना आधार पर पिछली दो तिमाहियों में 42 प्रतिशत से घटकर लगभग 12 प्रतिशत पर आ गयी है।

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