कोलकाता (वार्ता) पश्चिम बंगाल में चक्रवाती तूफान रेमल के भारी तबाही मचाने के बाद बारिश होने से दो महिलाओं सहित छह लोगों की मौत हो गयी हैं। आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
तूफान के कारण कोलकाता के कुछ हिस्सों में पानी भर गया। इसके अलावा राज्य में सैकड़ों पेड़ उखड़ गये और बिजली के खंभे गिर गये, जिससे महानगर में जनजीवन प्रभावित हुआ है।
सूत्रों ने बताया कि मृतकों में से चार लोगों की मौत बिजली का झटका लगने से हुई।
कोलकाता पुलिस ने सोशल मीडिया एक्स पर कहा, ”चक्रवात रेमल से शहर के कई इलाके बुरी तरह प्रभावित हुये हैं। हमारे आपदा प्रबंधन समूह के कर्मी और विभिन्न पुलिस थानों के कर्मी यातायात को सुचारु रूप से चालू रखने के लिये तूफान में गिरे कई पेड़ों को हटाने के लिये पूरी रात प्रयास कर रहे हैं।”
उन्होंने बताया कि मध्य कोलकाता में एक घर की छत का एक हिस्सा गिरने से एक व्यक्ति की मौत हो गयी, जबकि दक्षिण 24 परगना के मौसुनी द्वीप में एक महिला पर पेड़ गिरने से उसकी मौत हो गयी और पूर्व बर्धमान के मेमारी में एक पिता-पुत्र की बिजली की चपेट में आने से मौत हो गयी।
आधिकरिक सूत्रों ने कहा कि अपने आंगन में केले के उखड़े हुये पेड़ों की सफाई करते समय बिजली का तार गिरने से पिता-पुत्र दोनों की करंट लगने से मौत हो गयी।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य के मुख्य सचिव से नुकसान के बारे में रिपोर्ट देने को कहा है और प्रभावित क्षेत्रों में तत्काल राहत अभियान चलाने का आदेश दिया।
हालात का जायजा लेने के लिए सुश्री बनर्जी मंगलवार को प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण करेंगी।
सुंदरबन क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित हुआ क्योंकि कई मिट्टी के घर बह गए और बिजली के खंभे उखड़ गए जिससे अंधेरा हो गया और पीने के पानी की कमी हो गई।
उफनती नदियों और खारे पानी ने दक्षिण 24 परगना में खेती योग्य भूमि को भी नुकसान पहुँचाया।
हालांकि अलीपुर स्थित स्थानीय मौसम कार्यालय ने अगले 24 घंटों में पड़ोसी तटीय जिलों दक्षिण और उत्तर 24 परगना, हावड़ा, हुगली पुरबा और पचिम मेदिनीपुर, मुर्शिदाबाद, नादिया में लगभग 40 किमी प्रति घंटे की गति से बारिश होने की संभावना व्यक्त की है।
मौसम कार्यालय ने मंगलवार को पूरे उत्तर बंगाल के जिलों के लिए ऑरेंज अलर्ट भी जारी किया है।
कोलकाता पुलिस ने ट्विटर पर लिखा, “चक्रवात रेमल से शहर के कई इलाके बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। हमारे आपदा प्रबंधन समूह के कर्मी और विभिन्न पुलिस स्टेशनों के कर्मी यातायात चालू रखने के लिए तूफान में गिरे कई पेड़ों को हटाने के लिए पूरी रात प्रयास कर रहे हैं।”
कोलकाता नगर निगम के मेयर फिरहाद हकीम ने तूफान आने पर रात के दौरान केएमसी नियंत्रण कक्ष संभाला। उन्होंने कहा कि शहर के कई स्थानों पर पानी पंपों का उपयोग करके पानी निकालने के प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन पेड़ों को दोबारा लगाने का प्रयास किया जा रहा है, जो पूरी तरह से उखड़े नहीं हैं और दक्षिण कोलकाता में हरे-भरे रवीन्द्र सरोबोर में दोबारा पेड़ लगाने के लिये इसे जनता के लिये बंद कर दिया जायेगा।
श्री हकीम ने कहा, ”यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि लोगों को प्लास्टिक के उपयोग के बुरे प्रभाव के बारे में पता नहीं है क्योंकि उन चीजों के लिये मैनहोल जाम होने के कारण पार्क स्ट्रीट में जलभराव हो जाता है।”
उन्होंने बताया कि बालीगंज सर्कुलर रोड में रिकॉर्ड 264 मिमी बारिश दर्ज की गयी है।
मेयर ने कहा, ”बारिश रुकने और समुद्र में उठे ज्वार के समाप्त होने पर हमें सड़कों पर भरे पानी को निकालने के लिये पांच घंटे चाहिये।”
रिपोर्ट में कहा गया है कि शहर के उत्तर से दक्षिण तक जलभराव देखा गया, जहां पेड़ गिरने से यातायात भी प्रभावित हुआ।
एस्प्लेनेड और पार्क स्ट्रीट भूमिगत स्टेशन के बीच भरे पानी निकालने के बाद आज अपराह्न 12 बजकर पांच मिनट पर मेट्रो रेल सेवायें पूरी तरह फिर से शुरू हो गयीं।
कोलकाता हवाई अड्डे के मुताबिक, ”रेमल तूफान के मद्देनजर कल उड़ान संचालन बंद किये जाने के बाद कोलकाता के नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर आज सुबह आठ बजकर 59 मिनट पर फिर से उड़ान संचालन शुरू हुआ।”
मौसम विभाग के ताजा बुलेटिन में कहा गया है कि तूफान के धीरे-धीरे और कमजोर पड़ने के आसार हैं।
पूर्वी रेलवे ने दक्षिण 24 परगाना के अंतर्गत आने वाले सियालदह से दक्षिण खंड तक अपनी यात्री ट्रेन सेवायें बहाल कर दी हैं, जो विनाशकारी रेमल से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र है। पूर्व रेलवे सूत्रों ने कहा कि मुख्य खंड में ट्रैक पर जलभराव के कारण केवल हसनाबाद ट्रेन सेवा बाधित हुई। चक्रवाती तूफान रेमल से बंगलादेश और पश्चिम बंगाल के बीच भूस्खलन की घटनाएं भी सामने आयी है। तूफान 135 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से आया और भारी बारिश हुई, जिससे दक्षिण 24 परगना में घरों और खेतों में पानी भर गया, जहां राज्य प्रशासन और भारत सेवाश्रम संघ सहित कई गैर सरकारी संगठनों ने प्रभावित लोगों को निकालने के लिये शिविर खोले।
चक्रवाती तूफान रेमल से दक्षिण 24 परगना के कुछ हिस्सों में फूस की झोपड़ियाँ और मिट्टी से बनाये गये घरों को भी नष्ट कर दिया।