कोलकाता, 25 मई (वार्ता) पश्चिम बंगाल में आठ लोकसभा सीटों तमलुक, कांथी, घाटल, झाड़ग्राम, मेदिनीपुर, पुरुलिया, बांकुरा और बिष्णुपुर के लिए छठे चरण का मतदान शनिवार को कड़ी सुरक्षा के बीच सुबह सात बजे शुरू हुआ और शाम छह बजे तक चलेगा।
छठा चरण न केवल पश्चिम बंगाल के लिए बल्कि देा के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह देश के सबसे अधिक आबादी वाले राज्यों में से एक के राजनीतिक प्रक्षेप पथ को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालाँकि, भगवा ब्रिगेड को गणितीय रूप से सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पर बढ़त हासिल है। वर्ष 2019 के संसद चुनाव में राज्य की मुख्य विपक्ष के पास पाँच सीटें थीं और सत्तारूढ़ के पास तीन सीटें थीं।
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि आठ सीटों के 1,45,34,228 मतदाताओं में से 71,70,822 महिला मतदाता हैं, जो 15,600 मतदान केंद्रों पर वोट डालकर 79 उम्मीदवारों के किस्मत का फैसला तय करेंगे। इन 79 उम्मीदवारों में से अधिकतर निर्दलीय/स्वतंत्र उम्मीदवार हैं, जिन पर निरंतर निगरानी रखी जा रही है। राज्य में शांतिपूर्ण और पारदर्शी ढंग से मतदान कराने के लिए केंद्रीय सशस्त्र बलों की लगभग 1,000 कंपनियां तैनात की गयी हैं।
भारत चुनाव आयोग (ईसीआई) ने मार्च के मध्य में मतदान कार्यक्रम की घोषणा करते हुए दोहराया कि इस बार चुनाव आयोग स्वतंत्र, निष्पक्ष और भयमुक्त मतदान सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। आयोग को केंद्रीय बलों के साथ-साथ सराहना की भी जरूरत है क्योंकि पिछले पांच चरणों में 19 अप्रैल के बाद से वोट संबंधी हिंसा में एक भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई है। अभी तक न तो इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) लूटे जाने और न ही पोलिंग बूथ के अंदर किसी के साथ मारपीट की कोई सूचना है।
बंगाल में 2021 के विधानसभा चुनाव में पहले चरण के दौरान पांच लोग मारे गए और 02 मई के नतीजों के तुरंत बाद यह संख्या बढ़ गई। राज्य में 2023 में खूनी पंचायत चुनाव भी हुए और इन घटनाओं ने ईसीआई को आम चुनावों के लिए अतिरिक्त सतर्कता बरती गयी है।
पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी डॉ. आरिफ आफताब ने बुधवार को संबंधित जिला अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक में स्थिति की समीक्षा की, जहां राज्य आपदा प्रबंधन सचिव और मेट्रोलॉजिकल विभाग के अधिकारी मौजूद थे।