नियोरो लिंग्विस्टिक प्रॉग्रामिंग (एन.एल.पी) और जीवन में इसका महत्व

आभा बियानी किड्स एंड पैरेंट कोच

नियरो लिंग्विस्टिक प्रॉग्रामिंग एक मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण है। जिसमें सफल व्यक्तियों‌द्वारा इस्तेमाल की जानेवाली रणनीति का विश्लेषण किया जाता है। इसमें माना जाता है कि सभी मानवीय क्रियाएँ सकारात्मक होती है इसलिए यदि किसी कारणवश हम कोई योजनाओं में सफल न हो तो भी इसमें से हमें जो अनुभव प्राप्त होता, है वह हम आगे योजनाओं में प्रयोग में ले सकते हैं। इसका मतलब हर अनुभव हमें कुछ न कुछ उपयोगी जानकारी प्रदान करता है इसी सकारात्मक दृष्टिकोण को किस तरह से अपने मानस से विश्लेषण करके पूरे समय सकारात्मक रहने का दृष्टिकोण सिखाता है।

हर अनुभव है में कुछ ना कुछ जानकारी प्रदान करता है पर हम अपने हिसाब से उसे या तो मिटा देते हैं या उसे . बिगाड़ देते हैं या फिर समान्य मतलब कर देते हैं। इसी दृष्टिकोण को किस तरह से अपने मानस से विश्लेषण करके, सकारात्मक रहने सिखाता है।

एनएलपी नाइंटीन सेवेंटी के दशक में रिचर्ड ब्रैडलर। और जॉन ग्राइंडर ने किया था। जिन्होंने माना कि न्यूरोलॉजिकल प्रोसेस, भाषा और व्यावहारिक पेटर्न को जीवन में विशेष लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए बदला जा सकता है।

एन एल पी मुख्य सिध्दांतः

१) परिणाम की सोचः

NLP आपको उस पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रोत्साहित करता है जो आप प्राप्त करना चाहते हैं न कि वो जो अवॉइड करना चाहते हैं। अपनी सोच को बदलने से सक्रियता से काम में लगते हैं और हमेशा अपनी सोच को सकारात्मक रख आगे बढ़ने का दृष्टिकोण रखते

२) जीवन में तालमेलः

एन L पी जीवन के हर पहलू को सकारात्मक रूप दे सकता है चाहे वह व्यवसायी हो, शिक्षा में प्रदर्शन, कार्यशाली में प्रदर्शन या फिर कोई थेरपी। यह आपके रिश्तों पे भरोसा और सदभाव के साथ रिश्तों में बदलाव के तरीके समझाता है, जिसका प्रभाव आपके जीवनशैली को सकारात्मक तौर पर आगे ले जाने के लिए उपयोगी होता है।

३) संवेदी तीक्ष्णता या सेंसरी एक्युटीः

NLP आपको अपने वातावरण को समझने में मदद करता है। जब हम अपने वातावरण को समझते हैं तो हमारी और दूसरों के जीवन पर इसका प्रभाव पड़ता है जिससे हमारे रिश्तों अनुकूल होते हैं

४) आत्म जागरुकता में वृद्धि (इनक्रीज्ड सेल्फ अवेयरनेस):

एन एल पी के उपचार के तौर तरीके के, बिहेवियर में परिवर्तन लाते हैं तो आप अपने आप को, और अपने लक्ष्य को बेहतर समझते हैं। ये आपकी जीवन पद्धति (pattern) को समझने में कारगार सिद्ध होते हैं और फिर आप को अपने विचार, भावनाओं और व्यवहार में सामंजस्य बिठा सकते हैं।

५) व्यवहारिक समायोजन (बिहेव्यरल फ्लेक्सिबिलिटी):

जब आप अपने व्यवहार में समायोजन करने के लिए तैयार रहते हैं तो यह आप को अपना लक्ष्य पाने में मदद करता है।

६) लक्ष्य और उसकी प्राप्तिः (सेटिंग एंड एचीविंग गोल्स)

एन एल पी के माध्यम से न सिर्फ अपने लक्ष्य को निर्धारित करने में बल्कि उसे अपने जीवनमें प्राप्त करने में कूट नीतियां तय कर सकते हैं जिससे आप उसे आसानी से और नियामित समय पर पूरा कर सकेदल

एनएलपी की मॉडलाइटीज़ बहुत सराल एवं रोजमर्रा की ज़िंदिगी में आसानी से उतरी जा सकती हैं। ये आप का नजरिया बदलने और उसे साकारात्मक दिशा देने में बहुत मदत करती है।

सिर्फ़ नजरिये से हम खुद को निर्धारित लक्ष की तरफ ले जा सकते है।

 

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