हाईकोर्ट ने दायर याचिका की खारिज
जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा है कि अनुविभागीय अधिकारी के आदेश पर सिविल कोर्ट का आदेश बंधनकारी है। जस्टिस विनय सराफ की एकलपीठ ने अधीनस्थ न्यायालय के फैसले को उचित करार देते हुए दायर याचिका खारिज कर दी।
हाईकोर्ट में यह मामला जबलपुर राईट टाउन निवासी तुषार गोकलानी की ओर से दायर किया गया था। दरअसल अनावेदक संतोष पटेल की भूमि पर से रास्ते के विवाद के संबंध में याचिकार्ता तुषार गोकलानी के बीच अनुविभागीय अधिकारी के समक्ष मामला लंबित था। उसी दौरान याचिकाकर्ता के पिता कमल कुमार गोकलानी ने समान विवाद के संबंध में सिविल सूट दायर कर दिया। जिसमें सिविल कोर्ट ने यह प्रतिपादित करते हुए कमल कुमार गोकलानी का अस्थाई निपेधाज्ञां आवेदन-पत्र निरस्त कर दिया कि प्रत्यर्थी संतोष पटेल की भूमि से कोई रास्ता नहीं है। उसके बाद अनुविभागीय अधिकारी ने सिविल कोर्ट के आदेश के विरूद्ध यह प्रतिपादित करते हुए अंतिम आदेश पारित किया कि प्रत्यर्थी संतोष पटेल की भूमि से रास्ता है। अनुविभागीय अधिकारी के उक्त फैसले के खिलाफ अनावेदक संतोष पटेल ने एडीजे कोर्ट में क्रिमनल रिवीजन पेश की। जिसे स्वीकार करते हुए एडीजे कोर्ट ने अनुविभागीय अधिकारी का आदेश निरस्त करते हुए कहा कि सिविल कोर्ट का आदेश अनुविभागीय अधिकारी पर बंधनकारी होता है। उक्त आदेश के खिलाफ यह याचिका तुषार गोकलानी की ओर से हाईकोर्ट में दायर की गई। हाईकोर्ट ने एडीजे कोर्ट द्वारा क्रिमनल रिवीजन में दिये गये फैसले को उचित करार देते हुए दायर याचिका खारिज कर दी। मामले में अनावेदक संतोष पटेल की ओर से अधिवक्ता शीतला प्रसाद त्रिपाठी व सुशील त्रिपाठी ने पक्ष रखा।