कांगे्रस जमातखाने में, तो भाजपा सडक़ पर

शाजापुर, 9 मई. देवास-शाजापुर संसदीय क्षेत्र के नए सांसद चुनने के लिए केवल चंद दिन शेष हैं. दोनों ही दल के प्रत्याशी जनसंपर्क में पसीना बहा रहे हैं. जहां भाजपा के कार्यकर्ता सडक़ों पर घूम कर वोट मांग रहे हैं, तो वहीं कांग्रेस प्रत्याशी ने झोंकर में एक सभा को संबोधित किया, लेकिन सभा का स्थल झोंकर का जमातखाना था. जब अल्पसंख्यक को आरक्षण देने की बात की, तो उन्होंने इस मामले में मौन रहकर स्थानीय मुद्दे पर ही बात की.

गौरतलब है कि कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र मालवीय गांव में जनसंपर्क कर रहे हैं, तो वहीं शाजापुर विधानसभा का सबसे निर्णायक गांव कहे जाने वाले ग्राम झोंकर में कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र मालवीय ने भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा कि इस बार यदि भाजपा जीती तो संविधान बदल जाएगा, लेकिन जब उनसे अल्पसंख्यकों को अलग से आरक्षण देने की बात पत्रकारों ने की, तो वे इस मामले में चुप्पी साध गए. झोंकर गांव कांग्रेस का परंपरागत गांव माना जाता है, क्योंकि यहां अधिकांश मतदाता अल्पसंख्यक समाज से हैं. यही कारण है कि झोंकर में कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र मालवीय के जनसंपर्क के दौरान जो नुक्कड़ सभा आयोजित की गई थी, वह झोंकर के जमातखाने में की गई.

दो बार ही जीत पाई कांगे्रस…

बीते चार दशकों की बात करें, तो सन 1984 में बापूलाल मालवीय कांग्रेस से सांसद बने थे और उसके बाद 2009 में सज्जनसिंह वर्मा चुनाव जीते थे. इसके पहले जितने भी लोकसभा चुनाव हुए, भाजपा को ही जीत मिली है. फूलचंद वर्मा से लेकर थावरचंद गेहलोत, मनोहर ऊंटवाल से लेकर महेंद्र सिंह सोलंकी लगातार भाजपा के सांसद बनते आ रहे हैं. लेकिन यह पहला अवसर होगा, जब भाजपा ने स्थानीय उम्मीदवार के तौर पर महेंद्र सोलंकी को दूसरी बार टिकट दिया तो कांग्रेस ने एक बार फिर इंदौर निवासी राजेंद्र मालवीय पर भरोसा जताया. अब देखना यह है कि कांग्रेस जीत पाती है या भाजपा अपना गढ़ बरकरार रखती है.

 

दोनों प्रत्याशियों के जीत के दावे…

 

जहां भाजपा प्रत्याशी महेंद्र सोलंकी अपनी जीत को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हैं, तो वहीं कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र मालवीय भी जीत का दम भर रहे हैं. हालांकि शाजापुर देवास संसदीय क्षेत्र जनसंघ से ही भाजपा का गढ़ रहा है. बीते चार दशकों में यहां कांग्रेस केवल दो बार ही चुनाव जीत पाई है. अब देखना यह है कि भाजपा प्रत्याशी का दावा कितना मजबूत होता है और कांग्रेस प्रत्याशी कैसे इस सीट को भाजपा से हथियाते हैं.

 

शाजापुर से सज्जन की दूरियां…

 

शाजापुर के पूर्व सांसद सज्जनसिंह वर्मा पूरे चुनाव में शाजापुर जिले में नजर नहीं आए. जो चर्चा का विषय है. क्योंकि राजेंद्र मालवीय का जब टिकट फाइनल हुआ था, उस समय सज्जनसिंह वर्मा कांग्रेस प्रत्याशी का परिचय कराने आए थे, उसके बाद से वे शाजापुर जिले की विधानसभा में कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थन में कहीं भी जनसंपर्क करते नजर नहीं आए. इस बारे में कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र मालवीय का कहना था कि सज्जनसिंह वर्मा उनके साथ हैं और देवास में जनसंपर्क कर रहे हैं, लेकिन शाजापुर जिले में सज्जनसिंह वर्मा का ना आना कबीलों में बटी कांग्रेस और गुटबाजी की ओर इशारा करता है.

 

विधानसभा जीत पर तय होगा भाजपा नेताओं का भविष्य…

 

शाजापुर जिले की तीनों विधानसभा में भाजपा की जीत से कई भाजपा नेताओं का भविष्य तय होगा. हालांकि शाजापुर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जीतती है, लेकिन 2013 और 2023 के चुनाव में विधानसभा चुनाव भाजपा जीती. लोकसभा की बात करें, तो बीते 5 लोकसभा चुनावों में शाजापुर विधानसभा से भाजपा जीतती रही है. केवल 2009 के लोकसभा चुनाव में शाजापुर विधानसभा से कांग्रेस को जीत मिली थी. शुजालपुर और कालापीपल विधानसभा भी लोकसभा में भाजपा की लीड को मजबूत करते रहे हैं. अब देखना है कि जिले की किस विधानसभा से किस पार्टी को बम्पर वोट मिलते हैं.

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