सायलेंट वोटर खामोश, नतीजे पर कयासों के लगे पंख

बड़े राजनैतिक दलों में जीत को लेकर हो रहा मंथन, राजनैतिक समीक्षक भी वोटरों की खामोशी में उलझे

सीधी :संसदीय क्षेत्र सीधी में 19 अप्रैल को मतदान के बाद से ही सायलेंट वोटर खामोश है। वही राजनीतिक दलो में जीत को लेकर मंथन हो रहा है। राजनैतिक समीक्षकों का कहना है कि यह चुनाव सायलेंट वोटरों के चलते नतीजों को लेकर काफी उलझा हुआ है। बाहरी तौर पर भले ही लोग प्रत्याशियों की जीत को लेकर कयास लगा रहे हैं लेकिन सायलेंट वोटरों के हांथों में प्रत्याशियों की जीत की चाबी अंत तक रही है।

सायलेंट वोटर मतदान समाप्त होने के बाद से अपनी खामोशी तोडऩे के लिए तैयार नहीं हैं। सायलेंट वोटरों में महिलाओं की संख्या सबसे ज्यादा है। सायलेंट वोटरों द्वारा चुनावी चर्चा के दौरान भी गोलमाल जवाब दिया जा रहा है। जिसके चलते स्थिति पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हो पा रही है। लोग पार्टियों के जनाधार का आंकलन करते हुए प्रत्याशियों की जीत का दावा तो कर देते हैं लेकिन इसके पीछे कोई ठोस वजह नहीं बता पाते। जानकारों का यह भी मानना है कि राजनैतिक दलों एवं प्रत्याशियों से सहानुभूति रखने वाले लोग अपनी बात को साबित करने के लिए इधर-उधर की दलीलें हवा में उड़ा रहे हैं। यह ज्यादातर लोग मान रहे हैं कि सीधी संसदीय क्षेत्र में लोकसभा चुनाव को लेकर आठों विधानसभा क्षेत्रों में प्रमुख मुकाबला भाजपा-कांग्रेस के बीच ही है। जीत का अंतर भी ज्यादा रहने के कयास लगाए जा रहे हैं। लोकसभा क्षेत्र सीधी में गोंगपा के चुनाव मैदान में उतरने के बाद भाजपा-कांग्रेस के मतों का काफी विभाजन कई क्षेत्रों में हुआ है।

इसी वजह से यहां त्रिकोणींय संघर्ष के दावे भी किए जा रहे हैं। वर्तमान में स्थिति यह है कि अपनी जीत को लेकर बड़े दलों के प्रत्याशी भी खुलकर दावा कर रहे हैं। वह भी असमंजस की स्थिति में फंसे हुए हैं। उनको मालूम है कि सायलेंट वोटरों की 4 जून 2024 को घोषित होने वाले चुनावी नतीजे में काफी बड़ी भूमिका रहने वाली है। सायलेंट वोटरों का रुझान बड़े राजनैतिक दलों की ओर ही माना जा रहा है। ऐसे मतदाता केवल बड़े राजनैतिक दल के समर्थक होते हैं। उनकी दिलचस्पी चुनाव मैदान में उतरने वाले प्रत्याशियों में ज्यादातर नहीं होती है। इसी वजह से इन्हें राजनैतिक दलों का अंधभक्त भी माना जाता है। चुनाव परिणाम में इनकी काफी अहम भूमिका रहती है। यह बड़े से बड़े प्रत्याशी का खेल अपनी खामोशी के चलते बिगाडक़र रख देते हैं। खामोश मतदाताओं में इस बार महिलाओं की संख्या सबसे ज्यादा मानी जा रही है। इनका वोट किधर गया इसको लेकर पुख्ता रूप से राजनैतिक दलों के लोग भी कुछ कहने से बच रहे हैं। यह अवश्य है कि मतगणना का कार्य पूर्ण होने तक बड़े राजनैतिक दलों के नेता भी अपने प्रत्याशियों की जीत को लेकर आशांवित नजर आ रहे हैं। जबकि छोटे दल कुछ कहने की स्थिति में नहीं हैं। वहीं गोंगपा जो कि चुनाव मैदान में उतरकर कई स्थानों में बड़े राजनैतिक दलों के वोटों में बड़ी सेंधमारी करते हुए त्रिकोंणीय मुकाबले में मानी जा रही है।

पोलिंग बूथों में पड़े मतों से हो रहा गुणा-गणित
बड़े राजनैतिक दलों द्वारा मतदान के बाद से पोलिंग बूथों में पड़े मतों के आधार पर अपने प्रत्याशी की जीत का आंकलन किया जा रहा है। बड़े पदाधिकारियों द्वारा विधानसभावार पोलिंग बूथों में हुए मतदान के आंकड़े पर गुणा-गणित कर रहे हैं। साथ ही अपने स्थानीय कार्यकर्ताओं एवं पोलिंग एजेंटों के माध्यम से मतदाताओं के रुझान जानने के लिए नब्ज टटोल रहे हैं। जानकारों का कहना है कि चुनाव नतीजे 4 जून 2024 को घोषित होंगे। इसके पूर्व सभी बड़े राजनैतिक दल अपने प्रत्येक प्रत्याशी की जीत को लेकर दावे कर रहे हैं। यह जरूर है कि बड़े राजनैतिक दलों के नेता भी यह मान रहे हैं कि प्रमुख मुकाबला भाजपा-कांग्रेस के बीच ही फंसा हुआ है। अधिकांश मतदाता भी इन्हीं दलों के बीच अपनी पसंद बनाए हुए हैं।

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