कांग्रेस का सवाल दमोह के फर्जी डॉक्टर के फरार होने के पीछे किसका हाथ

भोपाल। दमोह जिले में हाल ही में सामने आए फर्जी डॉक्टर मामले ने पूरे राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल दी है। एक फजी डॉक्टर, जो खुद को लंदन का प्रशिक्षित कार्डियोलॉजिस्ट बताकर मिशनरी अस्पताल में हार्ट सर्जरी कर रहा था, ने कम से कम 8 मरीजों की जान ले ली। इस त्रासदी ने न केवल स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही को उजागर किया है, बल्कि बीजेपी सरकार की जनता की सेहत के प्रति उदासीनता को भी सामने लाया है। हम, मध्यप्रदेश की जागरुक जनता और सामाजिक संगठन, इस मामले में तत्काल कार्रवाई और जवाबदेही की मांग करते हैं।

दमोह के मिशनरी अस्पताल में नरेंद्र विक्रमादित्य यादव नामक शख्स ने डॉ. एनजॉन केम के नाम से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी हासिल की.उसने जनवरी-फरवरी 2025 में 15 से ज्यादा हार्ट सर्जरी कीं, जिनमें से 8 मरीजों की मौत हो चुकी है। जांच में पता चला कि उसकी डिग्री और अनुभव पूरी तरह फर्जी थे। अस्पताल प्रबंधन ने बिना किसी पृष्ठभूमि जांच के उसे मरीजों की जिंदगी सौंप दी. जो अपने आप में गंभीर लापरवाही का सबूत है। आरोपी के फरार होने से सवाल और गहरा गया है कि क्या प्रभावशाली लोग इस मामले को दबाने की कोशिश कर रहे हैं?

मध्यप्रदेश, जिसे कभी मध्य भारत का गौरव कहा जाता था, आज स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली के चलते कराह रहा है.

फर्जी डॉक्टरों का बोलबाला, अमानक दवाओं की बिक्री, आयुष्मान योजना में फर्जीवाड़ा, और दवा खरीदी में घोटाले ये कुछ ऐसे घाव हैं जो मध्यप्रदेश की जनता को हर दिन झेलने पड़ रहे हैं। आंकड़े और तथ्य इस बात की गवाही दे रहे हैं कि बीजेपी सरकार ने जनता की सेहत को अपनी प्राथमिकता से बाहर कर दिया हैं.

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