नयी दिल्ली 24 मार्च (वार्ता) धुंध भरी पहाड़ियों, बहते झरनों और प्राचीन पेड़ों की जड़ों के बीच ‘पूर्वोत्तर आयुर्वेद और होम्योपैथी संस्थान’ ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025 से पहले मेघालय में नोंग्रियाट में ‘डबल डेकर लिविंग रूट ब्रिज’ पर एक अनूठा योग सत्र आयोजित किया।
केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने सोमवार को यहां यह जानकारी देते हुए बताया कि परंपरा, प्रकृति और स्वास्थ्य को जोड़ते हुए योग साधकों ने देश के सबसे आश्चर्यजनक प्राकृतिक चमत्कारों में से एक – मेघालय के नोंग्रियाट में ‘डबल डेकर लिविंग रूट ब्रिज’ पर योग किया है।
मंत्रालय के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025 की उल्टी गिनती जारी है। ऐसे आयोजन न केवल योग को बढ़ावा देंगे बल्कि भारत की शानदार प्राकृतिक और सांस्कृतिक विरासत को भी उजागर करेंगे। इस प्राचीन पुल पर किए गए प्रत्येक आसन से संदेश स्पष्ट है कि योग केवल स्टूडियो तक सीमित नहीं है बल्कि, यह दुनिया, प्रकृति और संतुलन तथा कल्याण चाहने वाले प्रत्येक व्यक्ति का है।
योग प्रतिभागियों ने कहा कि यह न केवल एक योग कार्यक्रम था बल्कि यह प्रकृति और मानवीय भावना दोनों के लचीलेपन और सामंजस्य का प्रमाण भी था। यह एक पुल की तरह ही है, जो खासी शिल्प कौशल की पीढ़ियों के माध्यम से समय की कसौटी पर खरा उतरा है। यह योग धैर्य, शक्ति और संतुलन का प्रतीक है। यह कार्यक्रम इस बात का प्रतीक है कि कैसे प्राचीन ज्ञान आधुनिक स्वास्थ्य के साथ सहजता से मिलकर निरंतर और सचेत जीवन जीने के लिए प्रेरित कर सकता है।
‘लिविंग रूट ब्रिज’ यूनेस्को की विश्व धरोहर में शामिल होने की प्रक्रिया में है। यह पुल रबड़ और अंजीर के पेड़ों की जड़ों से पूरी तरह हवा में बुना गया है, जो चामत्कारिक तौर पर एक मार्ग बनाता है। हरे-भरे वर्षावन और झरनों से घिरा पुल प्रकृति के साथ तालमेल बिठाने वाली ज़िंदगी जीने का तरीका है।
वर्ष 2014 में संयुक्त राष्ट्र की ओर से 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित किए जाने के बाद से, भारत ने अपने कुछ प्रतिष्ठित स्थलों पर योग सत्र आयोजित करके दुनिया के योग अनुभव को दर्शाया है। ऐसे कार्यक्रम ताजमहल से लेकर कोणार्क सूर्य मंदिर तक, गेटवे ऑफ़ इंडिया से लेकर लाल किले तक आयोजित किये गये हैं। ‘ लिविंग रूट ब्रिज’ भी इस सूची में शामिल हो गया है।