नयी दिल्ली, 31 जनवरी (वार्ता) उच्चतम न्यायालय ने गुजरात के गिर सोमनाथ जिले में विवादित ध्वस्त दरगाह पर एक से तीन फरवरी तक ‘उर्स’ उत्सव आयोजित करने की अनुमति देने की गुहार शुक्रवार को ठुकरा दी।
न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने आवेदन (अनुमति संबंधी) पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा कि मुख्य मामले पर सुनवाई किए बिना इसे ‘(उर्स’ उत्सव) आयोजित मंजूरी नहीं दी जा सकती।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने गुजरात के संबंधित अधिकारियों का पक्ष रखते हुए कहा कि हिंदू धार्मिक अनुष्ठानों सहित किसी भी गतिविधि की अनुमति उस भूमि पर नहीं दी जा रही है, जिस पर पहले अतिक्रमण किया गया था।
हालांकि, आवेदक की ओर से पेश हुए अधिवक्ता ने तर्क देते हुए अदालत को बताया कि सरकार की अधिसूचना है कि यह एक संरक्षित स्मारक है।
श्री मेहता ने पुरातत्व विभाग के जवाब का हवाला देते हुए दलील दी कि विभाग ने कहा था कि 2023 में इस विध्वंस (अतिक्रमण) से पहले उन्होंने एक सर्वेक्षण किया था और विभाग को कोई पुरातात्विक स्मारक नहीं मिला था। एक साल पहले इस बारे में विस्तृत कार्रवाई हुई थी।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि वहां एक दरगाह थी, जिसे अधिकारियों ने ध्वस्त कर दिया। उन्होंने कहा कि दरगाह पर ‘उर्स’ उत्सव आयोजित करने की परंपरा पिछले कई सालों से चली आ रही है।
अधिवक्ता ने कहा कि अधिकारियों ने गुरुवार को इसके लिए अनुमति देने से इनकार कर दिया था। अदालत से कम से कम 20 लोगों के एकत्र होने की अनुमति देने का अनुरोध किया था।
इस पर पीठ ने श्री मेहता से कहा, “आपको किसी भी धार्मिक समारोह की अनुमति नहीं देनी चाहिए, यहां तक कि हिंदुओं को भी नहीं।”
श्री मेहता ने जवाब दिया कि सोमनाथ ट्रस्ट को भी अधिकारियों से अनुमति नहीं मिली है।
इसके बाद पीठ ने आवेदक के अधिवक्ता से पूछा, “अवमानना याचिका में आप यह राहत कैसे मांग रहे हैं?”
पीठ के समक्ष श्री मेहता ने कहा, “वर्ष 1951 में यह जमीन सरदार पटेल ने सोमनाथ ट्रस्ट को आवंटित की थी और कोई राहगीर अवमानना याचिका दायर कर रहा है। वह (शीर्ष अदालत के समक्ष लंबित मामले में) मुख्य याचिकाकर्ता नहीं है। ”
उन्होंने विध्वंस की प्रक्रिया और ढ़हाए गए ढांचों के संबंध में अदालत के समक्ष कहा, “सभी धर्मों के अनधिकृत ढ़ांचे को ध्वस्त कर दिया गया। पहले चरण में आठ अक्टूबर, 2023 को 26 अतिक्रमण हटाए गए, जिनमें से एक हिंदू समुदाय का था। उन्होंने कहा, “दूसरे चरण में 27 जनवरी, 2024 को हिंदू समुदाय के लोगों के मंदिरों सहित 174 अतिक्रमण हटाए गए।”
उन्होंने यह भी बताया कि तीसरे चरण में 27 जनवरी और 28 जनवरी, 2024 को एक गांव से सार्वजनिक सड़कों पर 155 अतिक्रमण हटाए गए, जिनमें से 147 हिंदू समुदाय के लोगों के थे और 8 मुस्लिम समुदाय के।
उन्होंने कहा, “चौथे चरण में हिंदू समुदाय के लोगों के 40 अतिक्रमण हटाए गए और पांचवें चरण में 102 एकड़ सरकारी जमीन को अतिक्रमण मुक्त किया गया।”
श्री मेहता ने कहा कि अवमानना का मामला अदालत के उस आदेश की पृष्ठभूमि में दायर किया गया था, जिसमें कहा गया था कि बिना प्रक्रिया के तोड़फोड़ नहीं की जानी चाहिए, लेकिन अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया था कि सार्वजनिक स्थान या सरकारी जमीन पर किसी भी अतिक्रमण को नहीं बचाया जा सकता।
उन्होंने कहा, “यह निर्विवाद रूप से सरकारी जमीन है।”
श्री मेहता अदालत को बताया कि उन्होंने निचली अदालत और उच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दायर की थी, जिसे खारिज कर दिया गया।
अदालत ने 27 जनवरी को कहा था कि वह तीन सप्ताह बाद याचिकाओं पर सुनवाई करेगी, जिसमें अदालत की पूर्व अनुमति के बिना गिर सोमनाथ जिले में कथित तौर पर आवासीय और धार्मिक संरचनाओं को ध्वस्त करने के आरोप हैं। इसमें गुजरात के अधिकारियों के खिलाफ अवमानना याचिका भी शामिल है।