नयी दिल्ली, 27 जनवरी (वार्ता) उच्चतम न्यायालय ने तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन की ओर से सनातन धर्म पर उनकी कथित आपत्तिजनक टिप्पणी/भाषण को असंवैधानिक घोषित करने और इसके लिए उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का अनुरोध करने वाली रिट याचिकाएं सोमवार को खारिज कर दी।
न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी और न्यायमूर्ति प्रसन्ना बी. वराले की पीठ ने उपमुख्यमंत्री स्टालिन को राहत देते हुए उनके खिलाफ दायर तीन रिट याचिकाओं को खारिज कर दिया।
अधिवक्ता बी जगन्नाथ और दो अन्य की ओर से दायर याचिकाओं में श्री स्टालिन द्वारा 2 सितंबर, 2023 को चेन्नई में दिए गए भाषण/टिप्पणी को चुनौती दी गई थी।
याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि संबंधित भाषण ने संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन किया है, जो धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी देता है।
उन्होंने तमिलनाडु के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) से उनके (उपमुख्यमंत्री) खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने और कार्रवाई करने के निर्देश की भी मांग की थी।
पीठ के समक्ष राज्य के अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि रिट याचिकाएं विचार करने योग्य नहीं हैं।
वहीं, श्री स्टालिन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता पी. विल्सन ने याचिकाकर्ताओं की प्रार्थनाओं का कड़ा विरोध किया।
पीठ ने संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अनुच्छेद 32 के तहत याचिकाओं पर विचार करने संबंधी योग्यता पर चिंता जताई।
शीर्ष अदालत ने यह देखते हुए कि याचिकाएं रिट क्षेत्राधिकार की सीमा नहीं आती हैं, खारिज करने का फैसला किया।
याचिकाकर्ताओं का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता दामा शेषाद्रि नायडू ने अदालत की टिप्पणियों को स्वीकार किया और अन्य कानूनी प्रावधानों के तहत उपाय करने की स्वतंत्रता के साथ याचिकाओं को वापस लेने की अनुमति मांगी। इसके बाद अदालत ने उन्हें ये अनुमति देते हुए औपचारिक रूप से तीनों रिट याचिकाओं को खारिज कर दिया।
इन याचिकाओं के खारिज होने को श्री स्टालिन के लिए एक महत्वपूर्ण कानूनी जीत के रूप में देखा जाता है, क्योंकि शीर्ष अदालत ने याचिकाओं पर विचार करने या सनातन धर्म पर उनकी कथित टिप्पणियों के लिए उनके खिलाफ कोई कार्रवाई करने का निर्देश देने से इनकार कर दिया।