झाबुआ। कलेक्टोरेट के सामने स्थित लाडली लक्ष्मी वाटिका (बगीचे) का सौंदर्यीकरण धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है। इस बगीचे को कलेक्टर नेहा मीना द्वारा लाडली लक्ष्मी वाटिका का नाम दिया गया है, लेकिन जिला प्रशासन की देखरेख एवं रखरखाव के अभाव के चलते बगीचा लगातार उजाड़ होता नजर आ रहा है। बगीचे के अंदर पेड़-पौधों को नियमित पानी नहीं देने से सूखने की कगार पर है। उद्यान आस पास अस्थायी अतिक्रमण से पटा रहता है। जगह-जगह से तार फ्रेसिंग भी टूट रहीं है। वर्तमान जिलाधीश के साथ पूर्व में रहे कलेक्टरों तथा जिला प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा उक्त बगीचे की उपेक्षा के चलते यह बगीचा लगातार अस्तित्व खो रहा है। बगीचे का निर्माण इसलिए किया गया था, ताकि कलेक्टोरेट, जिला पंचायत, तहसील कार्यालय आने-जाने वाले लोग बगीचे में कुछ देर विश्राम कर सके और राहत महसूस कर सके, लेकिन बगीचा लगातार उजाड़ हो रहा है। जिलाधीश के साथ प्रशासन के अन्य जिम्मेदार अधिकारियों का भी इस ओैर ध्यान नहीं जा रहा है। बगीचे में रखी ऐतिहासिक समय की धरोहरे एवं फव्वारा भी खाली तथा सूखा पड़ा रहता है। अभी बसंत ऋतु से पूर्व ही बगीचे में पतझड़ सा नजारा देखने को मिल रहा है, तो फिर ग्रीष्मकाल में इस बगीचे की क्या स्थिति होगी ?, यह विचारणीय है।
अतिक्रमण एवं तार फ्रेसिंग क्षतिग्रस्त
बगीचे के आसपास दो पहिया वाहन खड़े रहने के साथ मप्र शासन एवं प्रशासन की सरकारी योजनाओं तथा कार्यक्रमों के बेनर-होर्डिंग्स आदि लगे रहते है। तार फ्रेसिंग जगह-जगह से टूट रहीं है। सूखे पौधे एवं पत्तों का ढ़ेर जमा देखा जा सकता है। रात्रि में सुरक्षा के यहां कोई इंतजाम नहीं रहते है। बगीचे के अंदर ही पहाड़ी स्थल भी सौंदर्यीकरण हेतु बना हुआ है। जिसकी भी नियमित देखरेख का अभाव रहता है। अंदर झूले-चकरी के नाम पर केवल एक-दो फिसल पट्टी लगाई हुई है। जिला प्रशासन को इस बगीचे की नियमित देखरेख एवं साफ-सफाई हेतु स्थायी रूप से 2-3 कर्मचारियों की तैनाती की जाना चाहिए।
19 झाबुआ-4- बगीचे में पानी के अभाव में सूख रहे पेड़-पौधे