नयी दिल्ली 17 अक्तूबर (वार्ता) न्यूजीलैंड ने हरित व्यापार को बढ़ावा देने के लिए भारत के साथ समझौता किया है।
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ग्रीन प्रो और इको चॉइस न्यूजीलैंड ने यह साझेदारी बुधवार को नई दिल्ली के ली मेरिडियन में आयोजित सातवें वार्षिक ग्रीनप्रो शिखर सम्मेलन में की। इस बीच सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर हुए। सीआईआई के इस सम्मेलन में सिंगापुर और जर्मनी सहित कई देशों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। कार्यक्रम में बताया कि साल 2015 से अब तक ग्रीन प्रो ने करीब 480 निर्माता कंपनियों से भी ज्यादा के 9500 से अधिक उत्पादों को प्रमाणित किया है।
सीआईआई सोहराबजी गोदरेज ग्रीन बिजनेस सेंटर के अध्यक्ष जमशेद एन. गोदरेज ने उद्घाटन सत्र में कहा, “हमें भारत में हरित आंदोलन की तीव्र प्रगति को देखकर गर्व है। इस प्रगति में अब तक 12 अरब वर्गफुट से अधिक रेटेड हरित इमारतें हैं और ग्रीनप्रो जैसी इको-लेबलिंग को अपनाने का सिलसिला काफी तेजी से बढ़ भी रहा है। यह एक स्थायी भविष्य के निर्माण के लिए उद्योग, सरकार और समुदायों की सामूहिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है। हालांकि इन प्रयासों को बढ़ाने के साथ-साथ हरित प्रथाओं को आदर्श बनाने की एक चुनौती भी बनी हुई है।”
उन्होंने उम्मीद जताते हुए कहा कि नेट-शून्य की दिशा में हमारी प्रगति को तेज करने और वायु प्रदूषण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार करने में यह सहयोग महत्वपूर्ण होगा। “नेट जीरो, कम कार्बन सामग्री और प्रौद्योगिकियों की ओर आगे बढ़ने” पर केंद्रित इस सम्मेलन में इको-लेबल वाले उत्पादों, सामग्रियों और प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने पर जोर दिया जो प्रदर्शन-परीक्षण और पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ हैं।
उद्घाटन सत्र में सीआईआई सोहराबजी गोदरेज ग्रीन बिजनेस सेंटर के अध्यक्ष जमशेद एन. गोदरेज के अलावा हरित उत्पाद और सेवा परिषद के अध्यक्ष उन्नीकृष्णन, सिंगापुर पर्यावरण परिषद की अध्यक्ष इसाबेला हुआंग-लोह और जर्मनी के संघीय पर्यावरण मंत्रालय के सतत, उपभोक्ता संरक्षण प्रभाग के प्रमुख डॉ. उल्फ डी जैकेल मौजूद रहे।
सम्मेलन में सीआईआई ने बताया कि इस वर्ष के फोकस क्षेत्रों में सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा देना शामिल है जो आर्थिक लचीलेपन व नवाचार को बढ़ावा देते हुए वैश्विक पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान करने के लिए बहुत जरूरी है। इस सम्मेलन में ग्रीन प्रोक्योरमेंट – नीतियों और वकालत पर भी ध्यान केंद्रित किया जो स्थिरता को बढ़ावा देने के साथ साथ पर्यावरण की रक्षा करने और आर्थिक व सामाजिक लाभ दोनों को चलाने में मदद करता है। सार्वजनिक खरीद हरित उत्पादों, सामग्रियों और प्रौद्योगिकियों की मांग पैदा करके कम कार्बन अर्थव्यवस्था में संक्रमण को तेज कर सकती है।
इस बीच हरित उत्पाद और सेवा परिषद के अध्यक्ष उन्नीकृष्णन ने कहा, “ग्रीनप्रो समिट 2024 एक ऐसा मंच है, जहां टिकाऊ प्रथाओं में अंतर्दृष्टि साझा की जाती है, जो ज्यादा से ज्यादा कंपनियों को हरित आंदोलन में शामिल होने के लिए प्रेरित करती है। 450 से अधिक कंपनियां पहले से ही ग्रीनप्रो इकोलेबल को अपना रही हैं।
यह शिखर सम्मेलन नवाचार को बढ़ावा देने के साथ साथ उसे प्रोत्साहित करने के वातावरण को बढ़ावा भी देता है। इसके माध्यम से हम उद्योग जगत के शीर्ष नेतृत्व को एक साथ लाकर पर्यावरण-अनुकूल प्रौद्योगिकियों और समाधानों के भविष्य पर चर्चा करते हैं। इससे एक हरित और अधिक टिकाऊ भविष्य को आकार देने में मदद मिलेगी। हमारा लक्ष्य हरित साझेदारी के एक वैश्विक नेटवर्क को प्रेरित करने के अलावा उससे जुड़े नवाचार को बढ़ावा देना और निर्माण करना है जो व्यवसायों को अपने कार्बन पदचिह्न को कम करने और स्थिरता को नया मानदंड बनाने के लिए सशक्त बनाता है।”
शिखर सम्मेलन में अतिथियों ने सुविधा प्रबंधन सेवाओं के लिए ग्रीनप्रो इको लेबलिंग के साथ-साथ ग्रीनप्रो निर्देशिका के पांचवें संस्करण का भी शुभारंभ किया। इस बीच यह बताया गया कि सुविधा प्रबंधन सेवाओं के लिए ग्रीनप्रो इको लेबलिंग को इमारतों के प्रबंधन और संचालन में स्थिरता व परिचालन दक्षता को बढ़ाने के साथ-साथ उनके पर्यावरणीय पदचिह्न को कम करने के लिए डिजाइन किया है। यह सुविधा प्रबंधन सेवाओं (एफएमएस) को स्थिरता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित करने, वैश्विक हरित मानकों के साथ संरेखित करने और कार्बन तटस्थता एवं संसाधन दक्षता जैसे व्यापक पर्यावरणीय लक्ष्यों में योगदान करने की अनुमति देता है।
सम्मेलन के दौरान विभिन्न उद्योगों के 60 से अधिक संगठनों को उनके उत्पादों के लिए ग्रीनप्रो इको लेबलिंग पुरस्कार दिए गए जो पर्यावरणीय स्थिरता, जिम्मेदार उपभोग और हरित बाजार प्रथाओं का समर्थन करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
विजेताओं में शामिल वोल्वो ग्रुप इंडिया के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक कमल बाली ने पुरस्कार स्वीकार करते हुए कहा, “वोल्वो ग्रुप में हम मानते हैं कि हरित परिवर्तन में सच्चा नेतृत्व साझेदारी और नवाचार में निहित है। कोई भी इकाई इस परिवर्तन को अकेले नहीं चला सकती और न ही इसे पारंपरिक तरीकों पर भरोसा करके हासिल किया जा सकता है। मजबूत सहयोग और दूरदर्शी समाधानों के जरिए हम एक टिकाऊ और जीवाश्म-मुक्त भविष्य की ओर मार्ग प्रशस्त करते हैं।”