न पीने को पानी, न बैठने को छत, भटक रही गौमाता

भीषण गर्मी से राहत के लिए नहीं है कोई इंतजाम, जिम्मेदार बेसुध

सुसनेर, 3 अप्रैल. सूरज की तपिश ऐसी कि लोग दोपहर के समय घरों से बाहर निकलना नहीं चाहते, लेकिन इसी तपिश में गायें तप रही हैं, जिसके कारण हीट स्ट्रोक नामक बीमारी भी इनके लिए खतरा बनी हुई है. जिसका सही समय पर उपचार नहीं होने पर गायों की मौत भी हो सकती है.

इन दिनों भीषण गर्मी के चलते भूखी प्यासी भटकती इन गायों की और कोई ध्यान देने को तैयार नहीं है. गर्मी से राहत के लिए न तो इनको पीने का पानी नसीब हो रहा है और न ही बैठने को छत.

पशुचिकित्सकों का कहना है की यदि गर्मी में गायों को पर्याप्त मात्रा में पानी और धूप से बचने के लिए छत भी मिल तो वे जीवित रह सकती है. इधर-उधर भटकती हुए ये गाये पॉलीथीन से अपनी भूख मिटा रही है. आलम यह है कि गर्मी का पारा चढने के साथ इनका स्वास्थ भी खराब होता जा रहा है. आए िदन सुनने में आता है की गाय की मौत हो गई है. नगरीय क्षेत्र की अधिकांश गाये डाक बंगला क्षेत्र में रहती है जिनका ढेरा सुबह से शाम तक थाना ग्राउण्ड में लगा रहता है.
गायों के लिए नहीं है पानी की व्यवस्था

नगर में गायों के लिए व अन्य पशुओं की प्यास बुझाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. यहा ंतक हर साल कई प्रमुख स्थानों पर रखी जाने वाली टंकियां भी इस वर्ष नहीं रखी गई. जिससे गायें अपनी प्यास बुझाने के लिए भटक रही है. वहीं कुछ सामाजिक लोगों ने अपने घरों व प्रतिष्ठानो के बाहर गायों के लिए पानी की टंकियां रख रखी है जिन्हें वे उनकी प्यास बुझाने के लिए अपने निजी जलस्त्रोत से भरते है.

भूख मिटाने के लिए कुछ नहीं मिल रहा

गर्मी में गायों के लिए हरा चारा जरूरी होता है. लेकिन क्षेत्र का जंगल व खेत पूरी तरह से सूख चूके है. जो समाजसेवी लोग हैं उन्हें भी गायों को चारा खिलाने के लिए हरा चारा उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. ऐसे में नगर की सडकों पर घूमने वाली गाये ंकचरे के ढेर में दाना पानी तलाश कर अपनी भूख मिटाने का प्रयास कर रही है. कुछ लोग प्रतिदन सुबह शाम अपने घर से बनी रोटियां भी गायों को खिला रहे है. तो कुछ लोग पैसे से चारे के पूले खरीदकर गायों को खिला रहे है.

इनका कहना है
नगर परिषद के द्वारा गायों व अन्य पशुओ की प्यास बुझाने के लिए पानी की टंकियों को रखा गया है जिन्हें रोज भरा भी जा रहा है. उनको छांव जैसा उचित स्थान देने के लिए नगर परिषद के द्वारा कोई अन्यत्र व्यवस्था नहीं है. नगरीय सीमा से जुडी गोशालाओ में या फिर अभ्यारण में इन गायो को रखने हेतु वरीष्ठ अधिकारियों से आग्रह किया जाएगा.
– ओपी नागर, सीएमओ, नगर परिषद सुसनेर

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