कोलंबो, 22 सितंबर (वार्ता) श्रीलंका के चुनाव अधिकारियों ने शनिवार को हुए राष्ट्रपति चुनाव में किसी भी उम्मीदवार को जीत के लिए आवश्यक 50 प्रतिशत से अधिक मत नहीं मिलने पर रविवार को दूसरी वरीयता की गणना करने का फैसला किया।
श्रीलंका के मीडिया आउटलेट ‘डेली मिरर’ की रिपोर्ट के अनुसार, चुनाव आयोग के अध्यक्ष आर.एल.ए.एम. रत्नायके ने यह घोषणा करते हुए कहा कि यह निर्णय राष्ट्रपति चुनाव अधिनियम 1981 के अनुरूप है। श्रीलंका के इतिहास में यह पहली बार है जब राष्ट्रपति का चुनाव करने के लिए वरीयता वोटों की गिनती की जा रही है। वर्ष 1982 के बाद से पिछले सभी नौ राष्ट्रपति चुनावों के दौरान विजेता का फैसला पहली वरीयता वोट के आधार पर किया गया था।
मतगणना के रुझान के अनुसार, नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) गठबंधन का प्रतिनिधित्व करने वाले वामपंथी जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) के नेता अनुरा कुमारा दिसानायके 40 प्रतिशत से अधिक मत प्राप्त करके आगे चल रहे हैं।
देश के विपक्ष के नेता एवं समागी जना बालवेगया (एसजेबी) पार्टी के उम्मीदवार साजिथ प्रेमदासा 33 प्रतिशत से अधिक मतदाताओं का समर्थन हासिल करके दूसरे स्थान पर हैं।
समाचार पोर्टल ‘इकोनॉमीनेक्स्ट’ के अनुसार, श्री रत्नायके ने कहा, “ श्री दिसानायके ने शीर्ष स्थान प्राप्त किया है और श्री प्रेमदासा को दूसरे सबसे अधिक वोट मिले हैं। हम अन्य सभी उम्मीदवारों को प्रतियोगिता से बाहर कर देंगे और इन दोनों उम्मीदवारों के लिए अन्य उम्मीदवारों की तुलना में दूसरे और तीसरे वरीयता वोटों की गणना करेंगे।”
वर्तमान राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे, जो एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में मैदान में थे, लगभग 17.5 प्रतिशत लोकप्रिय जनादेश प्राप्त करके तीसरे स्थान पर हैं। पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के बेटे नमाक राजपक्षे केवल 2.4 प्रतिशत वोट प्राप्त करके चौथे स्थान पर हैं।
अनुमान है कि 1.71 करोड़ पात्र श्रीलंकाई लोगों में से 75 प्रतिशत ने अपने राष्ट्राध्यक्ष का चुनाव करने के लिए मतदान किया। रिकॉर्ड 38 उम्मीदवारों ने देश के सर्वोच्च पद के लिए चुनाव लड़ा।
श्रीलंका पुलिस ने नागरिकों से परिणामों के बाद शांतिपूर्ण तरीके से जश्न मनाने और पूरे देश में कानून-व्यवस्था बनाये रखने में कानून प्रवर्तन अधिकारियों का समर्थन करने का आग्रह किया है।
श्रीलंका में शनिवार को राष्ट्रपति पद के लिए वोट डाले गये और रात्रि कर्फ्यू के बीच मतगणना शुरू हुई। शुरुआती रुझानों के अनुसार, श्री दिसानायके अपने प्रभावशाली प्रदर्शन के साथ रविवार को श्रीलंका के नौवें कार्यकारी राष्ट्रपति बनने के लिए तैयार दिख रहे हैं। कानून और व्यवस्था के किसी भी उल्लंघन को रोकने के लिए रविवार दोपहर 12 बजे तक पूरे द्वीप राष्ट्र में कर्फ्यू बढ़ा दिया गया था।
पुलिस ने चुनाव परिणामों के एक सप्ताह बाद तक सभी सार्वजनिक जुलूसों पर प्रतिबंध लगा दिया है, चाहे वे वाहन से हों या पैदल।
गौरतलब है कि श्रीलंका के मतदाता तीन उम्मीदवारों को वरीयता क्रम में रखकर विजेता का चुनाव करते हैं। अगर किसी उम्मीदवार के पास पूर्ण बहुमत होता है तो उसे विजेता घोषित कर दिया जाता है। अगर उम्मीदवार बहुमत हासिल करने में नाकाम रहा तो दूसरे दौर की गिनती शुरू होती है, जिसमें दूसरी और तीसरी पसंद के वोटों को ध्यान में रखा जाता है।