बोलाई स्थित सिद्धवीर हनुमान मंदिर में पहुंच रहे हजारों भक्त
शाजापुर: जिले के ग्राम बोलाई में प्राचीन श्री सिद्धवीर खेड़ापति हनुमान मंदिर स्थित है. यह देश का एकमात्र ऐसा मंदिर हैं, जहां हनुमान जी की प्रतिमा के साथ गणेश जी भी विराजमान हैं. गणेश चतुर्थी पर्व पर यहां क्षेत्र और बाहर से हजारों की संख्या में भक्त दर्शन करने पहुंच रहे हैं.रतलाम भोपाल रेलवे ट्रैक के बीच बोलाई स्टेशन से करीब 1 किमी दूर स्थित मंदिर को सिद्धवीर खेड़ापति हनुमान के नाम से जाना जाता है. करीब 300 साल पुराना मंदिर लोगों के आस्था का प्रमुख केंद्र है. यह देश का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां हनुमान जी की प्रतिमा के साथ गणेश जी भी विराजमान हैं. पुजारी हरिओम गोस्वामी ने बताया कि यहां हनुमान जी की प्रतिमा के बाई तरफ गणेश जी की मूर्ति स्थापित है. लोगों का मानना हैं कि इस मंदिर में एक साथ गणेश जी और हनुमान जी की प्रतिमा होना बड़ा शुभ है. इसलिए यहां आने वाले सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती है. शनिवार से शुरू हो रहे 10 दिवसीय गणेश उत्सव में यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचेंगे.
300 साल पहले हुुआ था मंदिर निर्माण
ग्राम बोलाई में रहने वाले दिनेश जायसवाल ने बताया कि मंदिर का निर्माण 300 साल पहले ठा. देवीसिंह ने करवाया था. यहां वर्ष 1959 में संत कमलनयन त्यागी ने अपने गृहस्थ जीवन को त्याग कर अपनी तपोभूमि बनाया और यहां पर उन्होंने 24 वर्षों तक कड़ी तपस्या की. यहां शनिवार और मंगलवार को भजन और भंडारे का भी आयोजन किया जाता है.
चमत्कारी है सिद्धवीर हनुमान मंदिर
श्री सिद्धवीर खेड़ापति हनुमान मंदिर रतलाम भोपाल रेलवे ट्रैक के बीच बोलाई स्टेशन से करीब 1 किमी दूर है. ये मान्यता है कि यहां आने वाले लोगों को भविष्य की घटनाओं का पहले ही अंदाजा लग जाता है. इस मंदिर से कई चमत्कार जुड़े हुए हैं. मंदिर का सबसे बड़ा चमत्कार यह है कि मंदिर के सामने से जब भी कोई भी ट्रेन निकलती है तो उसकी स्पीड अपने आप कम हो जाती है. ट्रेन के लोको पायलट का कहना है की मंदिर आने के पहले ही अचानक उन्हें ऐसा लगता है मानो कोई उनसे ट्रेन की स्पीड कम करने के लिए कह रहा है. यदि कोई ड्राइवर इसे नजरअंदाज करता है तो अपने आप ही ट्रेन की स्पीड कम हो जाती है. इसके अलावा मंदिर को लेकर एक ओर मान्यता यह भी है की यहां भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. यहां हर शनिवार, मंगलवार और बुधवार को दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं