आवारा मवेशियों को गौशालाओं में नहीं मिल रहा ठिकाना

० स्वयंसेवी संस्थाएं संचालित कर रही तीन गौशाला, गौशालाओं का सही तरीके से नही होता संचालन

नवभारत न्यूज

सीधी 7 सितम्बर। जिले में आवारा गौवंशों को सुरक्षित रखने के लिए वर्तमान में दो दर्जन से अधिक गौशालाओं का संचालन किया जा रहा है। इन में तीन गौशालाएं स्वयंसेवी संस्थान द्वारा संचालित की जा रही है। शेष गौशालाओं का संचालन ग्राम पंचायतों के माध्यम से किया जा रहा है। ग्राम पंचायतों के माध्यम से संचालित गौशालाओं में करीब 2 हजार गौवंशों को रखा गया है। वहीं अशासकीय स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा संचालित गौशालाओं में 264 गौवंशों को रखा गया है।

बताते चले कि आवारा गौवंशों की संख्या में भारी इजाफा होने एवं उनके लिए कोई सुरक्षित ठिकाना न होने के कारण सडक़ो पर ही वह आश्रय लेते हैं। सडक़ों पर जगह-जगह आवारा गौवंशों के झुंडों के बैठने के कारण सडक़ हादसे भी बढ़ रहे हैं। वहीं बड़े वाहनों की चपेट में आने से गौवंश घायल होने के साथ ही असमय ही मौत की आगोश में भी जा रहे हैं। आवारा गौवंशों की बढ़ती संख्या ने शहरी क्षेत्रों के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों की भी मुश्किलें बढ़ा दी है। आवारा गौवंश ग्रामीण क्षेत्रों में खेतों में बोई गई फसलों को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं। वहीं शहरी क्षेत्र में भी यह यातायात व्यवस्था को काफी प्रभावित कर रहे हैं। वर्तमान में ऐसा कोई भी इलाका नहीं बचा है जहां आवारा गौवंशों के झुंडों को विचरण करते हुए न देखा जाता हो। आवारा गौवंशों को सुरक्षित ठिकाना उपलब्ध कराने के लिए शासन द्वारा ग्राम पंचायतों के माध्यम से गौशाला का संचालन किया जा रहा है। वर्तमान में सीधी जिले में दो दर्जन ग्राम पंचायतों में गौशालाओं का संचालन किया जा रहा है। इसके अलावा तीन ग्राम पंचायतों में स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा गौशाला का संचालन किया जा रहा है। आवारा गौवंशों की संख्या लाखों में होने के कारण जो गौशाला संचालित हो रही हैं उनकी संख्या काफी कम मानी जा रही है। जानकारों के अनुसार सीधी जिले में 400 ग्राम पंचायतें हैं इनमें दो दर्जन ग्राम पंचायतों में ही अभी तक गौशाला संचालन किया जा रहा है। यदि सभी ग्राम पंचायतों में गौशालाओं का संचालन होने लगे तो आवारा गौवंशों को सुरक्षित ठिकाना उपलब्ध होने के साथ ही आवारा मवेशियों से होने वाली परेशानियों में भी रोक लग सकती है। शासन द्वारा गौशाला निर्माण का कार्य जिस धीमी गति से कराया जा रहा है उससे स्पष्ट है कि सभी ग्राम पंचायतों में गौवंशों को सुरक्षित ठिकाना मिलने में काफी लम्बा समय लगेगा। गौशालाओं का संचालन करना भी कई मायनों में काफी कठिन कार्य है।

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आये दिन होती हैं दुर्घटनाएं

मुख्य सडक़ों में आवारा गौवंशों के दिन-रात बैठने के कारण वाहनों को जहां निकलने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है वहीं कई बार वाहनों की चपेट में आकर गौवंश गंभीर रूप से चोटिल होने के साथ ही मौत की आगोश में भी समा जाते हैं। सबसे ज्यादा दिक्कतें रात के वक्त होती है। आवारा गौवंशों के झुंड कई बार तेज रफ्तार में आ रहे वाहन चालक को नहीं दिख पाते, जब तक वाहन को रोका जाए वह गौवंशों के नजदीक पहुंच जाते हैं। सडक़ हादसों की संख्या रात में कम करने के लिए गौवंशों के सींग एवं गले में रेडियम पट्टी लगाने की जरूरत भी महसूस की जा रही है। सीधी जिले में एक स्वयंसेवी संस्था द्वारा रेडियम लगाने का कार्य कुछ गौवंशों में किया गया है। यह कार्य काफी लम्बा होने के कारण बिना शासन के मदद के सभी गौवंशों की सींग एवं गले में रेडियम पट्टी लगाने का काम पूर्ण हो पाना काफी मुश्किल है।

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