– लेकिन अब भी 71 योजनाओं और कार्यक्रमों के लिए वित्त का बैरियर रहेगा लागू
– राशि खर्च करने से पहले वित्त की अनुमति लेना होगा अनिवार्य
– लाड़ली लक्ष्मी, महाकाल परिसर, रामपथ गमन, साइकिल वितरण जैसी योजनाओं के लिए राशि खर्च करने से पहले वित्त की मंजूरी अब भी जरुरी
कन्हैया लोधी
भोपाल, 25 अगस्त. वित्त विभाग ने लगभग एक माह पहले 47 विभागों की लगभग 125 योजनाओं और कार्यक्रमों पर सेंसरशिप लागू कर दी थी. इन योजनाओं और कार्यक्रमों के लिए राशि खर्च करने से पहले वित्त विभाग की अनुमति को अनिवार्य कर दिया था. अब वित्त ने इस सेंसरशिप में थोड़ी रियायत बरती है और लगभग 50 योजनाओं और कार्यक्रमों पर सेंसरशिप हटा दी है, लेकिन अब भी 33 विभागों की 71 योजनाएं और कार्यक्रम ऐसे हैं, जिस पर राशि खर्च करने से पहले वित्त विभाग की अनुमति लेने की शर्त बरकरार रहेगी. इन योजनाओं में महाकाल परिसर विकास योजना, लाड़ली लक्ष्मीय योजना, रामपथ गमन अंचल विकास योजना और बच्चियों को साइकिल प्रदाय जैसी राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता वाली योजनाएं भी शामिल है.
वित्त विभाग ने वित्तीय वर्ष 2024-25 की बाकी अवधि के लिए बजट आवंटन एवं व्यय की कार्य योजना के संबंध में 23 अगस्त को नए निर्देश जारी किए हैं. ये निर्देश सभी विभागों को भेज दिया गया है. इसमें पहले कई विभागों की योजनाओं और कार्यक्रमों पर लगी बंदिश में रियायत दी गई है. इससे एक माह पहले 23 जुलाई को भी वित्त विभाग ने इसी तरह का निर्देश जारी किया था, जिसमें लगभग 125 योजनाओं और कार्यक्रमों पर वित्त की अनुमति का नियम लागू कर दिया था, लेकिन अब कुछ राहत मिल गई है.
शहरों की इन योजनाओं पर अभी विराम
नगरीय विकास एवं आवास विभाग की कुछ योजनाओं पर राशि खर्च करने से पहले अब भी वित्त विभाग की अनुमति की शर्त को बरकरार रखा गया है, उन योजनाओंं में कायाकल्य अभियान, मप्र अर्बन सर्विस इम्पूवमेंट प्रोग्राम, एमपी अर्बन डेवलपमेंट प्रोग्राम, अमृत-2.0, नगरीय क्षेत्रों में अधोसंरचना विकास, महाकाल परिसर विकास योजना शामिल है. इसके अलावा पुलिस महकमे की मप्र पुलिस आवास योजना, महिला बाल विकास विभाग की लाड़ली लक्ष्मी योजना भी शामिल है.
डेस्टिनेशन मप्र- इनवेस्टमेंट ड्राइव पर भी वित्त की अनुमति जरुरी
डेस्टिनेशन मप्र- इनवेस्टमेंट मप्र के तहत प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव देश के कई बड़े शहरों में उद्योग पतियों से मुलाकात कर उन्हें प्रदेश में निवेश करने के लिए आमंत्रित करते हैं. जिससे कि प्रदेश में निवेश बढ़े. हाल ही में मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बैंगलुरू, कोयम्बटूर सहित अन्य दक्षिण भारत के शहरों का दौरा किया था, इससे पहले वे मुंबई भी गए थे और वहां भी निवेशकों के साथ बैठकें की थी. प्रदेश में अगले वर्ष की शुरुआत में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट होना है, वहीं रीजनल इन्वेस्टर्स समिट का क्रम लगातार चल रहा है. इस बीच वित्त विभाग ने डेस्टिनेशन मप्र- इन्वेस्टमेंट मप्र कार्यक्रम के दौरान खर्च होने वाली राशि की अनुमति की बंदिश लगा दी है. यानी इस कार्यक्रम के लिए भी यदि राशि खर्च करना है तो पहले वित्त विभाग की अनुमति लेना होगा. औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्सासहन विभाग अपने हिसाब से राशि खर्च नहीं कर सकेगा.
इन योजनाओं पर भी अभी खर्च के लिए बैरियर
मुख्यमंत्री ऋण समाधान योजना,, क्ल्सटरों की स्थापना, वेदान्त पीठ की स्थापना, हिन्दी भवन निर्माण हेते सहायता, आदिवासी पंचायतों को बर्तन प्रदाय योजना, नवीन नर्सिंग कॉलेज की स्थापना, पीएम आदर्श ग्राम योजना, मुख्यमंत्री बालिका स्कूटी योजना, पीएम श्री, मुख्य जिला मार्गों तथा अन्य का नवीनीकरण, डामरीकरण, मुख्यमंत्री जन कल्याण संबल योजना, मुख्यमंत्री लाड़ली बहना आवास योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, मुख्यमंत्री कृषक मित्र योजना, बेरोजगार युवक, युवतियों को रोजगार प्रशिक्षण, तीर्थ यात्रा योजना, उच्च शिक्षा के लिए विदेश अध्ययन छात्रवृत्ति जैसी योजनाओं पर राशि खर्च करने से पहले वित्त विभाग की अनुमति को अनिवार्य बनाए रखा गया है.