नए आरटीओ भवन ने लिया आकार, अब सुविधाओं की दरकार

विभाग को मिली किराए से निजात
सड़क, बिजली, पानी की समस्या बरकरार

प्रमोद व्यास

उज्जैन: भरतपुरी स्थित क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय वर्षों से विकास प्राधिकरण से लिए गए किराए की बिल्डिंग में संचालित होता था. अब दाऊदखेड़ी में आरटीओ का नया भवन बनकर तैयार हो गया और क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय शिफ्ट भी हो चुका है. हाल फिलहाल विभाग को किराए से निजात तो मिल गई अब आम जनता से लेकर उन्हें सुविधाओं की दरकार है जो आरटीओ से प्रत्यक्ष परोक्ष तौर पर आजीविका के मद्देनजर जुड़े हुए हैं.

भरतपुरी से दाऊद खेड़ी पहुंचा आरटीओ
नया आरटीओ भवन दाऊद खेड़ी में निर्मित हो गया है. 7 करोड़ की लागत से नए भवन में क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय के लिए अलग-अलग कक्ष अधिकारी कर्मचारियों के लिए बनाए गए हैं यहां पर ड्राइविंग लाइसेंस, फिटनेस परमिट, और प्रशिक्षण की भी सुविधाओं का इजाफा किया गया है. स्वयं की बिल्डिंग निर्मित होने आरटीओ डिपार्टमेंट को किराए से निजात मिली है जो लगभग 1 लख रुपए के करीब था.

ऑनलाइन सिस्टम पृथक
आरटीओ भवन में कंप्यूटर कक्ष से लेकर आरटीओ की जितनी भी प्रक्रिया ऑनलाइन हो गई है उनका पूरा सिस्टम पृथक से संचालित करने के लिए भी यहां अलग-अलग कक्ष बनाए गए हैं. मीटिंग हॉल भी पृथक से वही प्रतीक्षालय भी निर्मित किया गया है. महिलाओं पुरुषों के लिए अलग शौचालय है. कुल मिलाकर पीआईयू द्वारा निर्मित की गई आरटीओ की यह बिल्डिंग सर्वसुविधा युक्त तो है.

बाहरी सुविधाए नाकाफी
नवभारत ने गुरुवार को नए और पुराने आरटीओ के संबंध में पड़ताल की तो अलग-अलग तथ्य सामने आए. भरतपुरी स्थित क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय के बाहर अब सन्नाटा पसरा पड़ा है, कभी यहां आरटीओ एजेंट से लेकर कार्यालय में आने वाले लोगों का बड़ा मजमा लगा करता था, जिसमें वाहनों की भी रेलमपेल होती थी, यहां पर चाय -पानी की दुकाने फोटोकॉपी, फोटो स्टूडियो, फल-फ्रूट, स्टेशनरी, आदि के संचालन से अच्छी खासी आमदनी लोगों की होती थी. यही कारण है कि आधे से ज्यादा एजेंट बेरोजगार हो गए हैं, होटल वालों और अन्य दुकानदारों ने दूसरे धंधे शुरू कर दिए हैं.

रास्ता छोटा, बिजली नही
आरटीओ तक जाने के लिए जो रास्ता है वह भी सकरा है. अब विभाग में अपने कामकाज के लिए जो दाऊदखेड़ी आते हैं, उससे ट्रैफिक भी जाम हो रहा है. रास्ते पर अभी विद्युत पोल भी नहीं लगे हैं ऐसे में मार्ग पर अंधेरा पसरा पड़ा होता है. अब भरतपूरी क्षेत्र के लोगों का कहना है कि नया आरटीओ भवन 12 किलोमीटर दूर बना डाला, न वहां बैठने की जगह है, न जनता आती है.

50 हजार पगड़ी, 5 हजार किराया
नवभारत ने इस संबंध में जब नए आरटीओ भवन के आसपास एजेंट से लेकर दूसरे दुकानदारों के लिए स्थान मिलने पर पड़ताल की तो पता चला कि राजेंद्र सिसोदिया नामक एक किसान है जिसने तमाम गुमटियां दाऊदखेड़ी में आरटीओ भवन के पास निर्मित करना प्रारंभ कर दी है. इन गुमटियों को एजेंट से लेकर होटल रेस्टोरेंट वालों को देना इन्होंने तय किया है. ऐसे में राजेंद्र सिसोदिया ने 50 हजार रुपए पगड़ी( एडवांस) और 5000 रुपए किराया निर्धारित कर रखा है. अब आरटीओ एजेंट और छोटा व्यवसाय कर अपना परिवार का भरण पोषण करने वाले कशमकश में है कि यदि कितनी बड़ी राशि दे दी और दुकान नहीं चली तो क्या होगा.

एजेंट कहां बैठेंगे…..
नए आरटीओ भवन पर अभी सुविधा नहीं है. अधिकारी कर्मचारी तो बैठ रहे हैं ,लेकिन एजेंट कहां बैठेंगे. हम तो यहां बाहर परिसर में टेबल कुर्सी लगाकर बैठते थे, और 1000-1500 रुपए रोज घर चलाने के लिए ले जाते थे. अब 100 रुपए का पेट्रोल जलाकर दाऊद खेड़ी कौन जाएगा और बैठेंगे कहां ?
– जितेंद्र खोईवाल ,एजेंट

दुकानों की पगड़ी ज्यादा
नए आरटीओ भवन बनने से विभाग को तो फायदा हुआ है ।लेकिन भरतपुरी क्षेत्र के लोग बेरोजगार हो गए हैं. यहां पर चाय पानी की दुकान चलती थी, यहां पर काफी भीड़ लगती थी. लोगों को भी पास पड़ता था. अब आरटीओ भवन बहुत दूर चला गया है और अब बता रहे हैं कि किसी किसान ने गुमटियां है बनाई है ।जिसका डिपॉजिट 50000 रुपए है और किराया 5000 रुपए जो बहुत ज्यादा है ,एजेंट इतना नहीं कमा पाते.

– विजय पांडे, एजेंट ,उज्जैन

इनका कहना है….
जितने भी सुविधा दी जा सकती है वह सभी दी जाएगी , रोड भी बनेगा लाइट भी लगेगी और मार्ग भी चौड़ा होगा। दाऊद खेड़ी क्षेत्र में तो आरटीओ भवन बनने से सभी को फायदा ही हुआ है, शहर की आबादी भी बढ़ रही है, नई योजनाओं की स्वीकृति आने में वक्त तो लगता है।

– संतोष मालवीय,आरटीओ उज्जैन

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