नयी दिल्ली 30 जुलाई (वार्ता) राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रफुल्ल पटेल ने मंगलवार को राज्यसभा में कहा कि सरकार ने पिछले दस वर्षों में अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए निरंतर कदम उठाये हैं और केन्द्रीय बजट में इस सिलसिले को आगे बढ़ाने की झलक मिलती है।
श्री पटेल ने केन्द्रीय बजट और जम्मू-कश्मीर के बजट पर सोमवार को अधूरी रही चर्चा को शुरू करते हुए कहा कि बजट में युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने और उनका कौशल बढ़ाने के लिए विशेष प्रावधान किये गये हैं। उन्होंने कहा कि बजट में बुनियादी ढांचे के विस्तार पर भी विशेष ध्यान दिया गया है। अक्षय ऊर्जा को बढ़ाने के लिए भी देश में अनेक कदम उठाये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 के बाद से देश में विनिर्माण के क्षेत्र में अत्यधिक तेजी आयी है, जबकि इससे पहले के दस वर्षों में इसकी गति धीमी थी। उन्होंंने कहा कि देश को परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी आधारित बदलावोंं को अपनाकर आगे बढ़ना चाहिए। सदस्य ने वेतनभोगियों को आयकर में थोड़ी और छूट दिये जाने की वकालत की। उन्होंने कहा कि इस बजट में सभी राज्यों तथा समाज के वर्गों को न्याय देने की कोशिश की गयी है।
भाजपा के भुवनेश्वर कलिता ने कहा कि यह सबका साथ सबका विकास पर आधारित विकासोन्मुखी बजट है जिसका लक्ष्य आजादी के सौ वर्ष पूरे होने पर राष्ट्र को विकसित बनाना है। बजट में गरीब, युवा, अन्नदाता और महिला सहित सभी वर्गों का ख्याल रखते हुए बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर दिया गया है। उन्होंंने कहा कि बजट में बेरोजगारी की समस्या के समाधान के लिए तीन योजनाओं की घोषणा की गयी है। उन्होंने असम में बाढ़ से हुई तबाही का उल्लेख करते हुए कहा कि अब तक बाढ़ जनित घटनाओं से राज्य में 98 लोगों की मौत हुई है।
राष्ट्रीय जनता दल के प्रो मनोज झा ने बजट पूर्व बैठकों का उल्लेख करते हुए कहा कि सीवर साफ करने वालों , ट्रेड यूनियनों के नेताओं , ठेले वालों और अन्य मजदूरों से कभी बजट बनाने से पहले बात नहीं की जाती। उन्होंने कहा कि बजट में सरकार की कोशिश होने चाहिए कि देश में आय की असमानता को कम किया जाना चाहिए। मनरेगा के लिए 86 हजार करोड़ रूपये की राशि दी गयी है, जबकि वास्तविक खर्च एक लाख करोड़ से अधिक होता है। इससे मजदूरों के भुगतान में देरी होगी। उन्होंने कहा कि पिछले पांच वर्षों से आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के मानदेय में बढ़ाेतरी नहीं की गयी है।उन्होंने कहा कि फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने से सरकार को कौन रोक रहा है। उन्होंने जातिगत जनगणना कराने की भी पुरजोर मांग की। राजद सदस्य ने कहा कि बिहार के लिए पहले की गयी योजनाएं पूरी नहीं की गयी हैं। उन्होंने कहा कि बजट की समीक्षा कर इसे आम आदमी का बजट बनाया जाना चाहिए।