भारत के गौरव का प्रतीक है ‘चराईदेव मैदाम’: मोदी

नयी दिल्ली, 28 जुलाई (वार्ता) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने असम की पहाड़ियों पर अहोम राजवंश के प्रतीक ‘चराईदेव मैदाम’ को विश्व धरोहर में शामिल होने पर खुशी जाहिर करते हुए कहा है कि यह देश की 43वीं और पूर्वोत्तर की पहली धरोहर है जो यूनेस्को विश्व धरोहर में शामिल हो रही है।

श्री मोदी ने रविवार को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद आकाशवाणी से प्रसारित अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ की दूसरी कड़ी में कहा कि ‘चराईदेव मैदाम’ का तात्पर्य पहाड़ी पर चमकते शहर से है और यह शताब्दियों तक शासन करने वाले ‘अओम साम्राज्य’ की पहली राजधानी थी ,जो आज भी भारतीयों का सिर गर्व से ऊंचा करती है।

उन्होंने मन की बात की शुरुआत करते हुए कहा, “प्यारे देशवासियों, ‘मन की बात’ में, मैं उस विषय को साझा करना चाहता हूं, जिसे सुनकर हर भारतवासी का सिर गर्व से ऊंचा हो जाएगा। लेकिन इसके बारे में बताने से पहले मैं आपसे एक सवाल करना चाहूंगा। क्या आपने चराईदेव मैदाम का नाम सुना है। अगर नहीं सुना, तो अब आप ये नाम बार-बार सुनेंगे और बड़े उत्साह से दूसरों को बताएंगे। असम के चराईदेव मैदाम को यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल किया जा रहा है। इस लिस्ट में यह भारत की 43वीं लेकिन पूर्वोत्तर की पहली साइट होगी।

उन्होंने ‘चराईदेव मैदाम’ का मतलब समझाते हुए कहा, “चराईदेव का मतलब है शाईनिंग सिटी ऑफ द हिल्स यानी पहाड़ी पर एक चमकता शहर। ये अहोम राजवंश की पहली राजधानी थी। अहोम राजवंश के लोग अपने पूर्वजों के शव और उनकी कीमती चीजों को पारंपरिक रूप से मैदाम में रखते थे। मैदाम, टीलानुमा एक ढांचा होता है, जो ऊपर मिट्टी से ढका होता है, और नीचे एक या उससे ज्यादा कमरे होते हैं। ये मैदाम, अहोम साम्राज्य के दिवंगत राजाओं और गणमान्य लोगों के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है। पूर्वजों के प्रति सम्मान प्रकट करने का ये तरीका बहुत यूनिक है। इस जगह पर सामुदायिक पूजा भी होती थी|”

श्री मोदी ने अहोम साम्राज्य के बारे में जानकारी देते हुए कहा, “अहोम साम्राज्य 13वीं शताब्दी के शुरू होकर 19वीं शताब्दी की शुरुआत तक चला। इतने लंबे कालखंड तक एक साम्राज्य का बने रहना बहुत बड़ी बात है। शायद अहोम साम्राज्य के सिद्धांत और विश्वास इतने मजबूत थे कि उसने इस राजवंश को इतने समय तक कायम रखा। मुझे याद है कि, इसी वर्ष नौ मार्च को मुझे अदम्य साहस और शौर्य के प्रतीक, महान अहोम योद्धा लसित बोरफुकन की सबसे ऊंची प्रतिमा के अनावरण का सौभाग्य मिला था। इस कार्यक्रम के दौरान, अहोम समुदाय की आध्यात्मिक परंपरा का पालन करते हुए मुझे अलग ही अनुभव हुआ था। लसित मैदाम में अहोम समुदाय के पूर्वजों को सम्मान देने का सौभाग्य मिलना मेरे लिए बहुत बड़ी बात है। अब चराईदेउ मैदाम के विश्व धरोहर साईट बनने का मतलब होगा कि यहां पर और अधिक पर्यटक आएंगे। आप भी भविष्य के अपने यात्रा प्लान में इस साइट को जरूर शामिल करिएगा।”

Next Post

खादी का कारोबार डेढ़ लाख करोड़ रुपये पहुंचा : मोदी

Sun Jul 28 , 2024
Share on Facebook Tweet it Share on Reddit Pin it Share it Email नयी दिल्ली 28 जुलाई (वार्ता) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोगों से खादी और हथकरघा उत्पादों को खरीदने की अपील करते हुए कहा है कि देशवासियों के सहयोग से खादी का कारोबार पहली बार डेढ़ लाख करोड़ रुपये […]

You May Like