68 बीघा के तालाब में कई घाट अतिक्रमण की भेंट चढ़े

बहादुर सागर तालाब व उसके आस पास का कराया सीमांकन
पूर्व में भी हुए सीमांकन की फाइले ठंडे बस्ते में पडी
कब तक नगरवासियों का सीमांकन के नाम पर किया जाता रहेगा गुमराह

झाबुआ:नगर के आनंदीलाल पारीख, कालेज मार्ग स्थित बहादुर सागर तालाब व आस-पास के क्षेत्र का सीमांकन किया गया, जिसमें तहसील कार्यालय से लेकर नगर पालिका की टीम भी मौजूद रही। उल्लेखनीय है कि बहादुर सागर तालाब व आस पास का पूर्व में भी सीमांकन हो चुका है, लेकिन उसकी फाइले ठंडे बस्ती में डालते हुए पुनः सीमांकन करने की प्रक्रिया निभाई जा रही है, जबकि पूर्व में हुए समांकन में ही इस तालाब के धड़ पर जमे कई अतिक्रमण, कब्जाधारियों ने अवैध अतिक्रमण कर तालाब को बोना करने में भूमिका निभाई है, लेकिन प्रशासन रिपोर्ट के बाद भी अवैध अतिक्रमणकारिर्यों को हटाने की हिमाकत तक नहीं जुटा पाया, जिसके कारण आए दिन अवैध अतिक्रमणकारी दिन दुगना, रात चोगना की तरह शेर पर सवा शेर की तर्ज पर अवैध अतिक्रमण करने में लगे हुए हैं, जिसके कारण बहादुर सागर तालाब सिमटकर रह गया है और वह अपना अस्तित्व खोते जा रहा है। पुनः प्रशासनिक टीम तालाब पहुंचकर सीमांकन करते देखी गई, लेकिन प्रशासनिक टीम ने भी सीमांकन करते हुए यहां तक कहां की इसकी रिपोर्ट हम तहसील कार्यालय में एक-दो दिन में प्रस्तुत करेंगे, उसके बाद ही तय कर पाएंगे कि आखिर इस तालाब पर अवैध अतिक्रमणकारिर्यों का कब्जा है या नहीं। अब सवाल तो यहां उठना है कि पूर्व में हुए सीमांकन की कार्रवाई में कई अवेैध अतिक्रमणकारिर्यों का कब्जा साफ-साफ दिखाई दिया था, लेकिन प्रशासन रिपोर्ट आने के बाद आज तक उसे हटाने का साहस नही जुटा पाया। इस प्रकार नपा सीमांकन के नाम पर नगरवासियों को गुमराह कर रही है।
योजना में आई राशि, खर्च करने का बना रहे रास्ता
अमृत योजना के तहत 1 करोड़ 6 लाख में तालाब का सौंर्दयीकरण होना है। इस 68 बीघा के तालाब में कई घाट अतिक्रमण की भेंट चढ़े है, अतिक्रमण हटा पायेगे की भी नहीं इस बात से अफसर अभी से पल्ला झाडने लगे है। शहर के बहादुर सागर तालाब की बायो डाइवर्सिटी सुधारने के लिए 1 करोड़ 6 लाख रुपए में काम किया जा रहा है। यहा काम शुरू करने के बाद नपा को याद आया कि आसपास स्टोन पिचिंग का काम होना है। नगर पालिका के पास रिकॉर्ड नहीं है कि तालाब असल में कितना बड़ा है। इसलिए राजस्व विभाग को पत्र लिखकर सीमांकन करवाया। गुरुवार को टीम ने वार्ड एक व दो का पहुंचकर सीमांकन किया, अभी रिपोर्ट नहीं आई, लेकिन पुरानी रिपोर्ट से साफ है कि इस तरफ काफी सारा अतिक्रमण है। अब सवाल ये है कि पिचिंग का तालाब सीमांकन के लिए दल गुरुवार को पहुंचा। काम अतिक्रमण हटाने के बाद किया जाएगा या अभी की स्थिति में चालू होगा इसे लेकर अफसर भी साफ बता पाने की स्थिति में नहीं हैं। अगर अभी की स्थिति में काम किया तो अतिक्रमण बाद में हटा पाना मुश्किल होगा। दो सप्ताह पहले तालाब के गेट खोलकर पानी खाली किया जा चुका है। चार महीने में ठेकेदार को काम पूरा करके देना है, लेकिन अब रह रहकर नगर पालिका को प्रक्रिया याद आ रही है। वार्ड एक व दो की ओैर पिचिंग के लिए ले आउट डालने का समय आया तो पता चला की तालाब की असली सीमा का निर्धारण भी जरूरी है।
ये काम होना हैं
नगर के 68 बीघा में फैले बहादुर सागर तालाब के जीर्णाेद्धार और बायो डायवर्सिटी के संरक्षण के लिए यहां तालाब में की सफाई, गहरीकरण, स्टोन पिचिंग, रिटेनिंग वॉल निर्माण और घाटों की सफाई की जाना है। बहादुर सागर और नगर के राजवाडा चौक के निकट शंकर मंदिर वाले छोटा तालाब के जीर्णाेद्धार के लिए पूर्व में साढ़े 5 करोड़ की योजना आई थी, जो फैेल हो गई है। इसकी जांच रिपोर्ट के 10 महीने बाद भी किसी पर कार्रवाई नहीं हुई। लगभग 1 करोड़ 33 लाख रुपए खर्च कर दिए गए थे, तब बहादुर सागर पर एक रुपया भी खर्च नहीं किया गया। अब दुसरी बार किसी योजना में तालाब का काम किया जाएगा।

ज्ञात रहे कि 1766 में बने तालाब के 13 घाट में से आधों पर कब्जा हो चुका है। 1766 में राजा बहादुरसिंह राठौर ने इसका निर्माण करवाया था। 68 बीघा का तालाब अब 63 बीघा में सिमट चुका है। सीमांकन में 5 बीघा खोये तालाब को अपनी जगह मिलती है या नही यह सबसे बडा सवाल है ? वजह साफ है तालाब जो चारों तरफ से घिर कर सिकुड चुका है उसे अपना मूल स्वरूप मिलता है तो ही सीमांकन की कार्यवाही सार्थक सिद्व होगी, अन्यथा कार्यवाही के नाम की नौटंकी और शासन से आई राशि का दुरूपयोग और तालाब की जमीन जो वर्तमान में है उस पर भी अतिक्रमणकारियों की निगाहे टिकी रहेगी और तालाब अपना मूल स्वरूप खोता रहेगा। अब देखना यह है कि इस मामले में प्रशासन कितना हस्तक्षेप कर तालाब के मूल स्वरूप को लौटाने में अपनी महती भूमिका का निर्वाह करता है।
अधिकारियों से लेगे मार्गदर्शन
निर्माण के लिए सीमांकन कराया गया है, अभी रिपोर्ट मिलने के बाद तय होगा कि अतिक्रमण है या नहीं। अगर है तो इसके लिए वरिष्ठ अधिकारियों से मार्गदर्शन लेंगे।
– संजय पाटीदार, सीएमओ, नपा झाबुआ

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