मूल्यांकन कर सेवा समाप्त करना कलंकित आदेश नहीं

हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका

जबलपुर: लोकायुक्त विभाग द्वारा परिवीक्षा अवधि में बिना विभागीय जांच किये सेवा से हटाये जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी। हाईकोर्ट जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि मूल्यांकन कर सेवा समाप्त करना कलंकित आदेश नहीं है।याचिकाकर्ता संजय साहू की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि लोकायुक्त विभाग में उसका चयन अक्टूबर 1993 को एलडीसी पद हुआ था।

दो साल के परिवीक्षा अवधि के पूर्व ही फरवरी 1995 को उसकों सेवा से पृथक कर दिया गया। याचिकाकर्ता की तरफ से तर्क दिया गया कि उसे सेवा से बर्खास्त किया गया है। सेवा से बर्खास्त किये जाने के पूर्व किसी प्रकार की कोई विभागीय कार्यवाही नहीं की गयी। जिसके खिलाफ उसने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने आदेश जारी किये थे कि याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन का निराकरण किया जाये।

पुलिस महानिदेशक लोकायुक्त ने उसके अभ्यावेदन का निराकरण इस आदेश के साथ कर दिया कि सचिव लोकायुक्त के आदेश के खिलाफ महानिदेशक के समक्ष अभ्यावेदन पेश करने का कोई प्रावधान नहीं है।सरकार की तरफ से एकलपीठ को बताया गया परिवीक्षा अवधि में याचिकाकर्ता को दो नोटिस दिये गये थे। इसके अलावा उसका स्थानांतरण भी किया गया था। परिवीक्षा अवधि के मूल्यांकन के बाद याचिकाकर्ता की सेवा समाप्त की गयी है। एकलपीठ ने याचिका को खारिज करते हुए उक्त आदेश जारी किये।

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