नयी दिल्ली (वार्ता) आपोलो हॉस्पिटल्स ग्रुप इसने आज जैप एक्स गायरोस्कोपिक रेडियो सर्जरी प्लेटफ़ॉर्म का अनावरण करते हुए ब्रेन ट्यूमर के इलाज में क्रांतिकारी प्रगति की।
यह पहली बार है कि दक्षिण एशिया में इस अभूतपूर्व तकनीक को पेश किया गया है।
जैप एक्स के साथ अपोलो हॉस्पिटल्स ने भारत और दुनिया भर में मरीजों के लिए विश्व स्तरीय स्वास्थ्य देखभाल समाधान प्रदान करने हेतु नवाचार और प्रतिबद्धता की अपनी विरासत कायम रखी है।
जैप एक्स ब्रेन ट्यूमर के उपचार में नए युग की शुरुआत है, जो रोगियों को केवल 30 मिनट तक चलने वाले सत्रों में नॉन-इनवेसिव, दर्द-मुक्त उपचार प्रदान करती है।
चिकित्त्सा के क्षेत्र में बड़ा बदलाव ला सकने वाली इस तकनीक में विकिरण का जोखिम कम से कम है और ज्यादा से ज्यादा सटीक इलाज हो सकता है, इस प्रकार उपचार की प्रभावशीलता और उपचार के दौरान रोगी को कम से कम असुविधा के मामले में नए मानक स्थापित होते हैं।
पारंपरिक तरीकों के विपरीत जैप एक्स सेल्फ-शील्डेड, जाइरोस्कोपिक लीनियर एक्सेलेरेटर डिज़ाइन का उपयोग करती है, जिसमें हजारों संभावित कोणों से रेडियोसर्जिकल बीम को निर्देशित किया जाता है और विकिरण को इच्छित ट्यूमर या लक्ष्य पर सटीक रूप से फोकस किया जाता है।
यह नवोन्मेषी विधि ब्रेन स्टेम, आंखों और ऑप्टिक नर्व जैसी महत्वपूर्ण संरचनाओं को किसी भी प्रकार के नुकसान से बचाने की क्षमता बढ़ाकर रोगी के स्वास्थ्य परिणामों में सुधार करती है साथ ही रोगी की संज्ञानात्मक कार्यक्षमताओं को सुरक्षित रखने के लिए मस्तिष्क के स्वस्थ ऊतकों के लिए एक्सपोज़र को भी काफी कम करती है।
जैप एक्स की प्रमाणित नैदानिक क्षमताएं, न्यूरोलॉजिस्ट और न्यूरोसर्जन को प्राइमरी और मेटास्टैटिक ब्रेन ट्यूमर, आर्टेरियोवेनस मालफॉर्मेशन (एपीएम), ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया, पार्किंसंस रोग, मिर्गी और अन्य इंट्राक्रैनियल घावों जैसे कि मेनिंगियोमा, अकॉस्टिक न्यूरोमा और पिट्यूटरी एडेनोमा जैसे अन्य इंट्राक्रैनियल घावों का बेहतर सटीकता से इलाज करना संभव बनाएंगी साथ ही रोगियों पर साइड इफैक्ट भी कम पड़ेंगे।
अपोलो हॉस्पिटल्स ग्रुप के संस्थापक अध्यक्ष डॉ प्रताप चंद्र रेड्डी ने इस अवसर पर कहा “असाधारण स्वास्थ्य देखभाल सेवा देने के लिए अपनी क्षमताओं को लगातार बढ़ाने का प्रयास करते हुए अपोलो हॉस्पिटल्स लगभग चार दशकों से अधिक समय से स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में सबसे आगे रहा है।
अपनी इसी परंपरा को जारी रखते हुए, हमने जैप एक्स का अनावरण किया है, जो ब्रेन ट्यूमर के इलाज के लिए डिज़ाइन की गई एक नवोन्मेषी तकनीक है।
यह नया तरीका उपचार के लिए 30 मिनट तक चलने वाले नॉन-इनवेसिव, दर्द-मुक्त सत्रों को अपनाया जाना संभव करता है, जिनमें विकिरण से एक्सपोज़र कम से कम होता है।
जैप एक्स में उन्नत सुरक्षा प्रोटोकॉल का उपयोग किया जाता है, जिससे किसी भी तरह ही त्रुटि का तुरंत पता लगाया जा सकता है और विकिरण का रिसाव कम किया जा सकता है।
ऐसा होने से उपचार के बाद स्वास्थ्य से जुड़ी दूसरी तरह की परेशानियों से रोगी का बचाव होता है और जीवन की गुणवत्ता सुनिश्चित होती है।
इसके अलावा, यह एक आउट पेशेंट प्रक्रिया है इसलिए यह उपचार पाना मरीजों के लिए अधिक सुविधाजनक और आसान होता है।
हम यह सुनिश्चित करने के लिए जुटे हुए हैं कि जरूरत पड़ने पर यह तकनीक हमारे देश के प्रत्येक नागरिक को और प्रत्येक भौगोलिक क्षेत्र में उपलब्ध हो सके, क्योंकि यह ब्रेन ट्यूमर का उपचार करवाने के बारे में लोगों की धारणा और साथ ही उपचार के तरीके को बदलने के लिए वरदान साबित होगी।
आजकल गैर-संचारी रोगों (एनसीडी ) की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं जिनमें कैंसर का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
इसको देखते हुए इन गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) के खिलाफ हमारी लड़ाई में जैप एक्स हमारा एक नया हथियार सिद्ध होगी।
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जैप एक्स तकनीक के कई प्रमुख लाभ हैं, जैसे कि यह ऩॉन-इनवेसिव है, जिससे कुछ ब्रेन ट्यूमर के लिए सर्जिकल इंटरवेंशन की आवश्यकता नहीं होती है, इसमें दर्द नहीं होता; और फ्रेमलेस, पिनप्वाइंट सटीकता और रिअल टाइम गाइडेंस का उपयोग किए जाने से उपचार में समय कम लगता है और रोगी को बेहतर सुरक्षा मिलती है।
जैप एक्स की सफलता दर उच्च है, यह कम से कम साइड इफेक्ट के साथ रोगों की विभिन्न स्थितियों का प्रभावी नियंत्रण और उनसे राहत सुनिश्चित करती है।
यह कम से कम फेसियल या ट्राइजेमिनल साइड इफेक्ट्स के साथ 10 वर्षों में रोग पर 95 प्रतिशत से अधिक नियंत्रण प्राप्त करती है।
जैप एक्स में छोटे, शरीर के किसी निश्चित स्थान में फैले, ट्यूमर को 5 वर्षों में, असाधारण रूप से 99.4 प्रतिशत तक नियंत्रित करने की क्षमता दिखाती है।
पारंपरिक ब्रेन सर्जरी 3-4 घंटे तक चलती है, जैप एक्स के मामले में केवल एक ही सत्र में इलाज पूरा हो जाता है जिसमें ज्यादा से ज्यादा केवल 30 मिनट लगते हैं।
पारंपरिक सर्जरी में 4-7 दिन या उससे अधिक समय तक के लिए अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है जबकि जैप एक्स को डे-केयर प्रक्रिया के रूप में अपनाया जा सकता है और इसमें एनेस्थीसिया का उपयोग करने की भी आवश्यकता नहीं होती है।
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