पटवारी, सज्जन और कुणाल जैसे नेताओं की कमी खली

सियासत

विधानसभा का मानसून और विशेष बजट सत्र सोमवार से प्रारंभ हो गया. कांग्रेस ने पूरे प्रदेश में परीक्षा पेपर लीक और नर्सिंग घोटाले को लेकर प्रदर्शन किए. सदन के भीतर भी इस मुद्दे को उठाने की कोशिश की गई. कांग्रेस विधानसभा में आक्रामक तेवर अपनाएगी. कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व में भी विशेष रूप से विधायकों से निर्देश दिए हैं कि विधानसभा में आक्रामक होकर हमले किए जाएं. रविवार को पीसीसी की बैठक में प्रदेश प्रभारी भंवर जितेंद्र सिंह और पूर्व प्रदेश प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने भी इस आशय के निर्देश दिए. विधानसभा में कांग्रेस की समस्या यही कि उसके अच्छे और संसदीय कार्य को समझने वाले विधायकों की उसके पास इस बार कमी है. जीतू पटवारी,तरुण कुमार भनोट, सज्जन सिंह वर्मा,प्रवीण पाठक, बाला बच्चन, कुणाल चौधरी, जैसे नेता चुनाव हार गए हैं.

जबकि रामनिवास रावत जैसे अनेक विधायक भाजपा में चले गए हैं. विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार जरूर है लेकिन कई बार अति उत्साह में वो तथ्यात्मक गलतियों कर देते हैं. इस विधानसभा में कांग्रेस के सबसे ज्यादा मुद्दे उठाने वाले और कांग्रेस पार्टी को मजबूत बनाने वाले वर्तमान पीसीसी चीफ जीतू पटवारी चुनाव हारने के कारण विधानसभा से बाहर हैं. वहीं, दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा मुद्दे उठाने वाले युवा विधायक कुणाल चौधरी भी इस बार चुनाव हार गए हैं. इसलिए विधानसभा से बाहर हो गए. यही वजह है कि कांग्रेस इस बार विधानसभा में कमजोर दिखाई देती है. पिछले विधानसभा सत्र में कांग्रेस की तरफ से सबसे ज्यादा प्रश्न पूछने वाले विधायक रामनिवास रावत भी कांग्रेस का दामन छोड़कर बीजेपी के साथ चले गए हैं.

इसका भी असर इस सत्र में दिखाई देगा. मध्यप्रदेश में डॉ. मोहन यादव की सरकार बनने के बाद एक जुलाई से शुरू होने जा रहा बजट सत्र में कांग्रेस जमकर हंगामा करने की तैयारी कर रही है. कांग्रेस का कहना है कि प्रदेश में लगातार बेरोजगारी, महंगाई और भ्रष्टाचार बढ़ रहा है. इन पर सरकार का कोई अंकुश नहीं है. नर्सिंग घोटाले पेपर लीक जैसी घटनाएं सामने आई हैं, जिससे सीधे तौर पर युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है. कांग्रेस यह बात लगातार कह रही हैं कि भाजपा अपने वचनों को पूरा नहीं कर रही है. गेहूं और धान के एमसपी नहीं बढ़ाई, लाडली बहनों को तीन हजार नहीं दे रहे हैं, 450 में गैस सिलेंडर नहीं मिल रहा. यह सभी वादे अब तक पूरे नहीं हुए हैं. कुल मिलाकर ऐसे मुद्दे तो हैं जिनको लेकर कांग्रेस प्रदेश सरकार की घेराबंदी कर सकती है लेकिन उसके पास अच्छा और सटीक बोलने वाले विधायकों की कमी है.

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