नयी दिल्ली, (वार्ता) सरकारी क्षेत्र की इस्पात विनिर्माता कंपनी स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) को कारोबार में कार्बन उत्सर्जन पर अंकुश लगाने के प्रयासों के लिए प्रतिष्ठित वैश्विक कार्पोरेट मंच ‘लीडरशिप ग्रुप फॉर इंडस्ट्री ट्रांजिशन (लीडआईटी) की सदस्यता मिली है।
सेल देश की प्रमुख इस्पात विनिर्माता कंपनी है।
सेल की एक विज्ञप्ति के अनुसार, उसे लीडआईटी का सदस्य बनाए जाने की घोषणा स्वीडन के विस्बी में आयोजित ‘एंगेजिंग इंडिया एट अल्मेडालेन’ सम्मेलन में की गई।
उल्लेखनीय है कि लीडआईटी उन देशों और दूरदर्शी कंपनियों का गठबंधन है जो पेरिस जलवायु समझौते तथा नेट-जीरो (कारोबार में कार्बन उत्सर्जन के स्तर में वृद्धि को निवल रूप से शून्य) करने की दिशा में प्रगति के लिए प्रतिबद्ध हैं।
इसके सदस्यों का उद्देश्य 2050 तक नेट जीरो के लक्ष्य को हासिल करना है।
लीडआईटी का सदस्य बनने के साथ सेल अब जलवायु परिवर्तन से निपटने के वैश्विक प्रयासों में सहगामी हो गया है।
लीडआईटी की सदस्यता से सेल को क्षेत्रीय और विविध क्षेत्रों में इस दिशा में प्रौद्योगिकी संबंधी प्रगति की जानकारी मिल सकेगी, नई प्रौद्योगिकियों के बारे में महत्वपूर्ण ज्ञान और नवाचार के अवसरों का लाभ भी मिल सकेगा।
सेल के अध्यक्ष अमरेंदु प्रकाश स्वीडन में एक सत्र के दौरान “जलवायु परिवर्तन संबंधी कदमों” के विषय पर एक चर्चा में अतिथि वक्ता थे।
उन्होंने कहा, “भारतीय इस्पात उद्योग को न केवल बुनियादी ढांचे के निर्माण में बड़ी भूमिका निभानी है बल्कि इस उद्योग को यह सुनिश्चित करने में भी अग्रणी भूमिका निभानी होगी ताकि निर्माण का यह काम स्वच्छ और स्वस्थ तरीके से किया जाए।
”
उन्होंने कहा, “हमारी नज़र में लीडआईटी मंच के माध्यम से सरकारें और उद्योग दोनों ही आपसी विचारों को साझा करने और सहयोगी नवाचार के साथ मिलकर इस समस्या से निजात पाने में कामयाब होंगे।
”
उल्लेखनीय है कि लीडआईटी को स्वीडन और भारत की सरकारों ने सितंबर 2019 में संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन के दौरान शुरू करने की घोषणा की थी।
“लीडआईटी” को स्विट्जरलैंड के गैर सरकारी विश्व आर्थिक मंच (वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम) से भी सहायता मिलती है।