आचार संहिता हुई खत्म, ऐतिहासिक धरोहर फिर बने प्रचार प्रसार का साधन  

फिर टंगने लगे होर्डिंग्स, बैनर और पोस्टर्स

 

जबलपुर। शहर में बनी ऐतिहासिक धरोहरों का उपयोग खास तौर पर हमारे शहर की जनप्रतिनिधि और नेताओं द्वारा प्रचार- प्रसार के लिए किया जाता है। जिसके लिए इन सभी स्मारकों पर उनके बड़े-बड़े होर्डिंग्स, पोस्टर और बैनर टंगे हुए दिखाई देते हैं।  पिछले 2 महीने से लगी आचार संहिता के चलते इन बैनर- पोस्टर्स को शहर की ऐतिहासिक स्मारकों पर नहीं देखा गया था । परंतु अब आचार संहिता खत्म हो चुकी है जिससे इन सभी धरोहरों को फिर से प्रचार- प्रसार का साधन बना दिया गया है। जहां बड़े-बड़े बैनर, पोस्टर और होर्डिंग लगना शुरु हो गए हैं। जिसके बाद इन स्मारकों का स्वरूप लोगों को देखने को नहीं मिलेगा, यह सिर्फ एक यूनीपोल बनकर ही लोगों को दिखाई पड़ेंगे।

कमानिया गेट और बड़ा फुहारा में शुरु हुआ सिलसिला

शहर के अंदर देखा जाए तो सभी जगह पर बैनर, पोस्टर टंगे हुए दिखाई पड़ते हैं। परंतु शहर की  ऐतिहासिक स्मारकें जो की मुख्य बाजार में स्थित है, वहां पर हमेशा से ही प्रचार- प्रसार के लिए मुख्य केंद्र माना जाता है। आचार संहिता खत्म हो चुकी है, धीरे-धीरे अब इन स्मारकों पर भी एक-एक करके बैनर पोस्टर टंगना भी शुरु हो गए हैं। जिसके बाद से यह पूरी तरह से एक प्रचार- प्रसार की स्मारक और एक यूनीपोल के रूप में लोगों को नजर आएगा। खासतौर पर बैनर- पोस्टर लगने के बाद बड़ा फुहारा की एक जाली भी लोगों को नजर नहीं आती है, इसमें सिर्फ चारों तरफ बैनर- पोस्टर ही टंगे हुए दिखाई पड़ते हैं।

 

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