भीषण गर्मी से सूखे कंठ, प्याऊ का ठिकाना नहीं

कहीं देखने को मिल रहे प्याऊ तो कहीं हैं नदारद
 
जबलपुर:भीषण गर्मी और तेज धूप की वजह से आमजन सडक़ पर चलने से कतरा रहे है लेकिन नगर पालिका ने कुछ कुछ इलाकों में प्याऊ की व्यवस्था की है तो वहीं कुछ इलाकें प्याऊ के लिये तरस रहे है। जिसके चलते शहर के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले राहगीरों के कंठ तेज धूप के चलते सूख रहे है। लोगों को अपनी प्यास बुझाने के लिए बाजार से बोटल और कोलड्रिंक का सहारा लेना पड़ रहा है। पर इन सबसे बेखबर जिम्मेदार अनजान नजर आ रहे है। जैसे केंट स्थित मोदीवाड़ा और गोरखपुर मार्केट में कई जगह प्याऊ दिखाई नहीं दे रहे है। पिछले कई सालों से लोगों की प्यास बुझाने के लिए प्याऊ की व्यवस्था की जाती थी। गतवर्ष प्रशासन द्वारा स्थान चिन्हित कर प्याऊ का इंतेजाम किये गये थे। जहॉं मटके रखवाकर उनमें प्रतिदिन साफ पानी भरवाया जाता था लेकिन इस बार शहर के ज्यादातर इलाकों मेें नगर प्रशासन द्वारा प्याऊ की व्यवस्था तो की गई है परन्तु रखे हुये मटके आबादी को देखते हुये बोने साबित हो रहे है। नगर प्रशासन यह दावा कर रही है कि उनके द्वारा 70 से अधिक जगहों पर सर्वाजनिक प्याऊ की व्यवस्था की गई है।
मजदूर वर्ग होता है परेशान
धूप और गर्मी पूरे शबाब में होने के कारण दिनभर खुले आसमान के नीचे मजदूरी करने वाला मजदूर वर्ग सार्वजनिक प्याऊ ना होने के कारण परेशान है। मगर नगर प्रशासन द्वारा प्याऊ खोले जाने कि अभी तक कोई कार्य योजना नहीं दिखाई दे रही है। नगर के बस स्ट्रेड,रेल्वे स्टेशन, घण्टाघर चौक, रसल चौक जैसे कई स्थान है जहॉं दिनभर लोगों कि आवाजाही बनी रहती है। जो प्याऊ की व्यवस्था ना होने के परेशान होते रहते है। हांलाकि शहर में मौजूद कई संगठनों ने जगह-जगह प्याऊ लगाकर लोगों की प्यास बुझाने का  बीड़ा उठाया हुआ है।
बॉटल बंद पानी लेने को मजबूर लोग
सडक़ों पर कई जगहों पर सार्वजनिक प्याऊ की गैर मौजूदगी के कारण लोग बॉटल बंद पानी खरीदने को मजबूर हो चले है। स्थिती यह है कि शहर में ब्रांडेड कम्पनियों की आड़ में नई-नई कंपनियां भी अपने पैर जमा रही है।  जिसके चलते व्यापारियों द्वारा ब्रांडेड कंपनियों के नाम पर भी चालू कम्पनियों का माल भी खूब खपाया जा रहा है। ऐसे में जब भी आप घर से निकले तो साथ में पानी लेकर निकले। क्योंकि नगर में प्रशासन द्वारा किसी भी स्थान पर पीने के पानी की व्यवस्था नहीं कि गई है।
इनका कहना है-
सुबह से काम पर निकलते है, हाथ रिक्शा मेरे द्वारा चलाया जाता है। केंट से विभिन्न मार्गों पर  रिक्शा चालता हूं। कहीं भी सार्वजनिक प्याऊ की व्यवस्था देखने को नहीं मिली है। घर से ही पीने की पानी की बॉटल साथ लेकर चलना पड़ता है।
रवि सिंह

सार्वजनिक प्याऊ  केंट क्षेत्र के अलावा कहीं भी देखने को नहीं मिला । पूरे दिन बाहर खुले में काम करना पड़ता है। कई बार पानी खत्म हो जाने के कारण बाजार से भी खरीद कर पीना पड़ता है। नगर प्रशासन को बाकी जगहों पर प्याऊ लगाना चाहिए।
राजू रैकवार

शहर के 70 स्थानों पर सर्वाजनिक प्याऊ की व्यवस्था की गई है। जरूरत पडऩे पर यह संख्या और बढ़ाई भी जा सकती है। लोगों के सुझाव पर भी जगह -जगह प्याऊ रखे जा रहे है।
प्रीति यादव,कमीश्नर,जबलपुर

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