मोदी की धर्म आधारित राजनीति विध्वंसक, राम सबके हैं: फारूक

श्रीनगर, 15 मई (वार्ता) नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अपनी कुर्सी बचाने के लिए धर्म पर आधारित राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह नहीं चलेगा, क्योंकि सदियों से लोग इस देश में अलग धार्मिक पृष्ठभूमि का होने के बावजूद एकजुट होकर रहते आये हैं।

श्री अब्दुल्ला ने दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग में संवाददाताओं से बातचीत में श्री मोदी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ‘राम भक्ति’ की आलोचना करते हुए कहा कि भगवान राम हिंदुओं की ‘संपत्ति’ नहीं हैं, वह सभी के हैं और उनके सार को इस देश में हर व्यक्ति महसूस करता है, भले ही उसका धर्म कुछ भी हो।

उन्होंने कहा, “दुर्भाग्य से मोदी अपनी कुर्सी के लिए देश को बांटने की कोशिश कर रहे हैं।”

यह कहे जाने पर श्री मोदी पहले ही इस आरोप से इनकार कर चुके हैं, नेकां प्रमुख ने कहा,“दुर्भाग्य से मोदी अपनी कुर्सी के लिए देश को विभाजित करने की कोशिश कर रहे हैं…कुर्सी नहीं रहती, देश रहता है…प्रधानमंत्री जो कह रहे हैं वह विध्वंसक है।”

उन्होंने कहा, “चाहे हम हिंदू हों, मुस्लिम हों, सिख हों या कोई अन्य, हमें अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए देश को बचाने के वास्ते एक साथ रहना होगा।”

एक सवाल के जवाब में श्री अब्दुल्ला ने कहा, “मैं धार्मिक कार्ड नहीं खेल रहा हूं। हम क्या हैं और हमें क्या करना चाहिए, हमारा धर्म अच्छी बातें सिखाता है। कोई भी धर्म बुरा नहीं है, ये लोग हैं, जो बुरे हैं।”

उन्होंने पूछा, “प्रधानमंत्री मोदी क्या कर रहे हैं.. क्या वह राम मंदिर नहीं जाते और वहीं नहीं रहते? वह क्या दिखाना चाह रहे हैं? क्या वह अशांति और नफरत नहीं पैदा कर रहे हैं? क्या राम सिर्फ हिंदुओं के लिए हैं? राम सिर्फ हिंदुओं के नहीं हैं, राम प्रत्यक्ष रूप से चारों ओर हैं और वे सबके हैं। वह (राम को) केवल उनका (हिन्दुओं का) बनाना चाहते हैं और यह सच नहीं है।”

यह पूछे जाने पर कि पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने आरोप लगाया है कि नेकां ने उन्हें संसदीय चुनाव लड़ने के लिए उकसाया, श्री अब्दुल्ला ने कहा, “क्या फारूक अब्दुल्ला के पास उन्हें उकसाने की ऐसी शक्ति है?”

उन्होंने कहा, “हम मुंबई में एक साथ थे और मैंने उससे कहा कि हम बात करेंगे। लेकिन उन्होंने कहा कि हम कश्मीर में बात करेंगे। वह चुनाव लड़ने की इच्छुक थीं, लेकिन वह अपना वादा भूल गयीं।”

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