नवभारत न्यूज
खंडवा। लोकसभा के लिए सांसद चुनने का दिन आ गया है। खंडवा लोकसभा की आठों विधानसभा क्षेत्रों में मतदाताओं को रिझाने की कवायदें भले पूरी नहीं हुईं, लेकिन वक्त ने पाबंदी लगा दी है। सोमवार को पौ फटते ही सुबह 7 बजे से मतदान का महायज्ञ शुरू हो जाएगा।
यह शाम 6 बजे तक चलता रहेगा। खासकर भाजपा के ज्ञानेश्वर पाटील और कांग्रेस के नरेंद्र पटेल के बीच संघर्षपूर्ण मुकाबला है। गर्मी काफी अधिक है। पोलिंग पार्टियां मौके पर पहुंच गईं। तीन हजार से ज्यादा सुरक्षाबल तैनात है। मेघालय जैसे बाहरी क्षेत्रों से बाहरी बल आया है। इससे निष्पक्षता की उम्मीद है। हालांकि इतनी प्रतिस्पर्धा चुनाव में नहीं दिख रही, इसलिए कोई विवाद की संभावना नहीं है।
मतदाता तक नहीं पहुंचे
दोनों ही दलों ने रणनीतियाँ अलग अलग तरीके से बनाई हैं। लोकसभा का चुनाव रणनीति से ही जीतने वाला होता है। यहाँ मतदाताओं से सीधे संपर्क करना किसी भी प्रत्याशी के लिये मुश्किलों भरी बात है। पिछले महीने से मैनेज भी ऐसा ही किया जा रहा है। अब केवल मतदाताओं के ही हाथ में दोनों में से किसी एक का भविष्य तय करना होगा।
कौन जीतेगा,कौन हारेगा?
हर दुकान, बाजार, चौराहे पर यही चर्चाएं चलती रही कि कौन जीत रहा है। किसकी हवा चल रही है? किसका चुनावी मैनेजमेंट अच्छा है? इसमें अधिकतर लोगों का कहना है कि इस बार जैसा चुनाव कभी नहीं देखा। प्रशासन को इन पर लगाम लगाने की जरूरत ही नहीं पड़ी। मतदान के लिए प्रत्याशियों से ज्यादा प्रशासन के मुलाजिम अधिक मतदान के लिए लोगों की देहरी पर पीले चावल रखते नजर आए।
निर्दलियों की बुरी हालत
यूं तो खंडवा लोकसभा चुनाव में दर्जनभर लोग किस्मत आजमाने के लिए खड़े हुए हैं, लेकिन दो उम्मीदवारों को छोड़ सबकी चुनावी रफ्तार एक सीमित दायरे तक ही सिमटकर रह गई है। आठ विधानसभा क्षेत्रों के हिसाब से दोनों ही दलों के प्रत्याशियों का अलग अलग दृष्टिकोण व हवा चल रही है। कांग्रेस अपनी स्थिति मांधाता, भीकनगाँव, बुरहानपुर व बड़वाह में अच्छी व लीडिंग पोजीशन वाली मान रही है। वहीं, भाजपा पंधाना, खंडवा, नेपानगर, बागली पर ज्यादा फोकस करती दिखाई दी।
मोदी ही मुद्दा
इस बार के चुनाव में नीति और मुद्दे गायब हैं। मोदी के चेहरे को आगे करके भाजपा चुनाव लड़ रही है। पहली बार ऐसा हुआ है, जब लोकल मुद्दे गायब हैं। महंगाई और विकास के मुद्दों पर बात नहीं हो रही है।
इतना ही नहीं, भाजपा के प्रत्याशी तक को गौण कर दिया है। मतदाता केवल मोदी को पहचानते हैं। भाजपा प्रत्याशी भी स्वीकार कर चुके हैं कि मोदीजी की लहर है। यह देश का चुनाव है। मैं तो छोटा सा प्रतिनिधि हूं।
मुद्दे गायब,बस वोट दो
ज्ञानेश्वर पाटील ने नरेन्द्र मोदी के नाम को खुद भी ज्यादा प्रचारित किया। वहीं नरेंद्र पटेल तो बिन मुद्दों के ही पूरे लोकसभा क्षेत्र में केवल घूमते रहे। खंडवा जिले में तो स्टार प्रचारक ही नहीं आए। प्रदेशाध्यक्ष जैसे लोग भी नहीं पहुंचे। न कोई बड़ी रैली न कोई आकर्षण। यहां तक कि बूथ पर बैठाने के लिए एजेंट तक इकट्ठा नहीं हो पा रहे हैं। कांग्रेस की ऐसी हालत कभी नहीं दिखी।