सूखने लगे तालाब व नदियां ,30 मीटर से नीचे खिसका भू-जल स्तर 

-भू-जल स्तर में गिरावट से पानी का गहराया संकट

 

-शो-पीस बनकर रह गई जल जीवन मिशन के घर में लगी टोंटी

 

नवभारत न्यूज

सीधी 11 मई। भू-जल स्तर सीधी जिले में लगातार नीचे खिसक रहा है। जिससे हैंडपंप भी पानी देने की बजाय हवा उगलने लगे हैं। 30 मीटर से नीचे भू-जल स्तर खिसक चुका है।सीधी जिले में करोड़ों रुपए खर्च करके जल जीवन मिशन के तहत घरों में नल सप्लाई के लिए टोंटी तो लगा दी गई लेकिन इन टोंटियों से पानी नहीं मिल रहा है। जल जीवन मिशन के तहत घरों में लगी टोंटियां महज शोपीस बनी हुई हैं। जिले में नदी-नालों की स्थिति देखकर गर्मी के दिनों की चिंता सताने लगी है। लोगों का कहना है कि मई का आधा महीना नहीं बीता और ये स्थिति है तो जून में क्या होगा। सोन, गोपद और बनास को छोड़ दें तो जिले के ज्यादातर नदी-नालों में पानी नहीं बचा है। उनकी धार लगभग टूट चुकी है, केवल गड्ढों व खाईं में पानी बचा है। आम तौर पर यह स्थिति मई महीने के बाद देखने को मिलती थी, लेकिन इस वर्ष जिले के नदी नालों में यह स्थिति अभी से बनने लगी है। जिससे गर्मी सीजन में जल संकट का आभास होने लगा है। बुद्धजीवियों का मानना है कि जब मई के महीने मेें जिले के नदी नालों का ये हाल है तो ज्यादा गर्मी पडऩे पर क्या स्थिति होगी। क्योंकि, नदी-नालों व तालाबों के पानी पर ही क्षेत्र का जल स्तर निर्भर करता है। इनमें पानी कमी होने पर गर्मी सीजन में जलस्तर तेजी से खिसकने लगता है। कुएं सूख जाते हैं और ट्यूबवेल भी हवा उगलने लगते हैं। वैसे तो जिले में जल संरक्षण व संवर्धन के लिए पानी की तरह पैसा बहाया गया है। जल ग्रहण मिशन, आइएपी योजना सहित अन्य विभिन्न योजनाओं के तहत जिले के विभिन्न नदियों व नालों में हजारों की संख्या में स्टाप डेम बनवाए गए थे, ताकि नदी नालों का पानी रोका जा सके। इस तरह जिले का जल स्तर बना रहेगा। लेकिन जिम्मेदारों की लापरवाही के कारण कई स्टाप डेम बह गए तो वर्तमान समय में जिले के करीब 90 फीसदी स्टाप डेम में गेट नही लगे हैं। ऐसी स्थिति जिस मंशा के तहत स्टाप डेम बनवाए गए थे उस पर पूरी तरह से पानी फिर चुका है। स्टाप डेम के गेट गायब होने से नदी व नालों में पानी नहीं रूक पा रहा है।

 

लगातार नीचे खिसक रहा भू-जल स्तर –

 

जिले में हुई अल्प वर्षा के कारण पहले से ही जिले मेें पानी की कमी थी। अल्प वर्षा के कारण जिले का जल स्तर लगातार नीचे खिसकता जा रहा है। जिसके चलते हैंडपंप व कुएं सूख रहे हैं। पानी के लिए किल्लत शुरू हो गई है। यह अवश्य है कि हैंडपंपों में राइजर बढ़ाई जा रही है।जिले के वुुद्धजीवियों का मानना है कि जिस तरह से जिले में इतनी बड़ी संख्या में स्टाप डेम बनवाए गए थे, यदि उनका सही ढंग से रख रखाव होता। गेट यदि सही समय में बंद व खोलते तो सभी डेमो में इस गर्मी के मौसम में भी पानी का भराव रहता है जिससे जिले के जल स्तर में निश्चित रूप से गिरावट नहीं आती। सोन, गोपद व बनास के अलावा जिले के एक दर्जन से अधिक नदी नाले ऐसे हैं, जिनमें लगभग वर्ष भर पानी का बहाव बना रहता था। लेकिन एक-दो वर्ष से मई में ही इनकी धार टूट जाती है। इस वर्ष तो अप्रैल में ही यह स्थिति बन गई है। महान नदी, पड़वारी नाली, सेहरा नदी, मवई नदी, लेदहा नाला, विजौन नदी, देवनार नदी, सूखा नाला, हिरननाला, खर्री नाला, नकटा नाला, दहे नाला, कुड़हेरिया नदी, मढ़ावल नदी व फांफो नाला का बहाव थमता नजर आ रहा है।

 

सीधी जिला जल अभाव ग्रस्त क्षेत्र है घोषित –

 

कलेक्टर सीधी द्वारा पत्र क्रमांक/64/सामान्य/एस.सी./कले./2024, दिनांक 8 अप्रैल 2024 के द्वारा आदेश जारी कर सीधी जिले को जल अभावग्रस्त क्षेत्र घोषित किया जा चुका है। जारी आदेश में कहा गया है कि सीधी जिले की प्रमुख नदियों, नालों एवं स्टॉप डैम के प्रवाह में निरंतर कमी के फलस्वरूप जिले में पेय जल संकट की स्थिति उत्पन्न होने की संभावना को देखते हुए पशुओं सहित जिले की आम जनता को पेय जल प्रदाय सुनिश्चित बनाए रखने के लिए मप्र पेय जल परिरक्षण अधिनियम 1986 तथा मध्य प्रदेश पेय जल परिरक्षण (संशोधित) अधिनियम 2002 की धारा (3) में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए कलेक्टर सीधी द्वारा संपूर्ण सीधी जिले की राजस्व सीमा के अंतर्गत तहसील रामपुर नैकिन, चुरहट, गोपद बनास, सिहावल, बहरी, मझौली एवं कुसमी को एक अप्रैल 2024 से 30 जून 2024 अथवा वर्षा प्रारंभ होने तक जल अभावग्रस्त क्षेत्र घोषित किया गया है। उक्त अधिनियम की धारा 6(1) के तहत आदेश दिया गया है कि सक्षम अधिकारी की पूर्व लिखित अनुमति प्राप्त किए बगैर ट्यूबवेल का उत्खनन प्रतिबंधित रहेगा। साथ ही नदियों, नालों, स्टाप डैम से पेय जल को छोंडक़र अन्य प्रयोजन हेतु पानी लेना प्रतिबंधित रहेगा।

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