मालवा और निमाड़ अंचल में मतदाताओं में उत्साह बढ़ाने की कमान संघ ने संभाली

सियासत

लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में इंदौर और उज्जैन संभाग की आठ लोकसभा सीटों पर मतदान होगा। यह सभी लोकसभा क्षेत्र राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मालवा प्रांत के अंतर्गत आते हैं। हालांकि इंदौर में मतदान की औपचारिकता होगी क्योंकि कांग्रेस के प्रत्याशी अक्षय कांति बम ने नाम वापस ले लिया है। कांग्रेस ने मतदाताओं से अपील की है कि वो नोटा पर बटन दबाकर भाजपा के लोकतंत्र विरोधी कार्य का विरोध करें। इंदौर के 29 अप्रैल के घटनाक्रम के कारण भी यह आशंका उत्पन्न हो गई है की कहीं इंदौर और उज्जैन संभाग की बची हुई सात लोकसभा सीटों पर मतदान प्रभावित न हो. इंदौर में तो यह तय है कि मतदान बड़ी मुश्किल से 50 फ़ीसदी तक पहुंचेगा !

इधर सूत्रों के अनुसार पहले दो चरणों में हुए कम मतदान से चिंतित संघ के मालवा प्रांत के शीर्ष पदाधिकारियों चुनावी मोर्चा संभाल लिया है। नवनियुक्त प्रांत प्रचारक राजमोहन, पदोन्नति प्राप्त मौजूदा प्रांत प्रचारक बलिराम पटेल और प्रांत कार्यवाह विनीत नवाथे ने कार्य क्षेत्रों का विभाजन कर चुनावी मोर्चा संभाल लिया है। संघ खास तौर पर दलित और आदिवासी मतदाताओं पर फोकस करेगा। इधर भाजपा लोकसभा चुनाव की बची 17 सीटों पर भी मतदाताओं को रिझाने के लिए भाजपा कोई कसर नहीं छोडऩा चाहती। पहले दो चरणों में मतदान प्रतिशत पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में गिरने से पार्टी बाकी दो चरणों में और ताकत लगाने की तैयारी में है।

इन सीटों के लोकसभा प्रभारियों से चर्चा कर राष्ट्रीय नेताओं की जनसभा और रोड-शो के कार्यक्रम निर्धारित किए जाएंगे। हाल ही में प्रदेश भाजपा कार्यालय में प्रदेश के लोकसभा चुनाव प्रभारी डा. महेंद्र सिंह और सह प्रभारी सतीश उपाध्याय ने प्रदेश पदाधिकारियों के साथ बैठक कर बाकी सीटों में चुनाव प्रचार की रूपरेखा पर चर्चा की। दरअसल, दो चरणों में सात और 13 मई को ग्वालियर-चंबल, मध्य भारत और मालवांचल की सीटों पर मतदान होना है। बड़े नेताओं की बात करें तो इनमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बैतूल, सागर और मुरैना में जनसभा और भोपाल में रोड-शो हो चुका है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की राजगढ़ में सभा हो चुकी है। बची 12 सीटों पर भी प्राथमिकता के अनुसार बड़े नेताओं के कार्यक्रम तय किए जाएंगे। तीसरे चरण की नौ सीटों पर प्रचार के लिए अब 6 दिन और चौथे चरण की आठ सीटों पर प्रचार के लिए 13 दिन बचे हैं। आगामी दो चरणों की सीटों पर प्रचार-प्रसार को लेकर भाजपा के मीडिया विभाग ने भी बैठक की। इसमें तय किया गया है कि बचे दिनों में लोकसभा क्षेत्रों में होने वाली जनसभाओं और रोड-शो से किस तरह आमजन का जुड़ाव बढ़ाया जाए।

उज्जैन में कोई कसर नहीं छोडऩा चाहते मुख्यमंत्री

उज्जैन दलित सुरक्षित लोकसभा क्षेत्र मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव का गृह क्षेत्र है। वैसे तो उज्जैन भाजपा और संघ का पिछले 5 दशकों से मजबूत गढ़ है लेकिन फिर भी इस बार विधायक महेश परमार कांग्रेस की ओर से दमदारी के साथ चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस में इस बार एक जुटता अधिक दिख रही है। महेश परमार के नामांकन के समय सचिन पायलट की सभा में जिस तरह से भीड़ उमड़ी उसकी वजह से भाजपा सतर्क हो गई है। सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव विशेष रूप से उज्जैन पर ध्यान दे रहे हैं, क्योंकि यहां उनकी प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।

भाजपा ने यहां अनिल फिरोजिया को फिर से टिकट दिया है, तो कांग्रेस के प्रत्याशी महेश परमार हैं। दिलचस्प यह है कि इस सीट पर कांग्रेस के पास महेश परमार ही अकेले ऐसा नेता हैं, जिनमें पार्टी को जीत सकने की मद्धम आंच दिखाई देती है। दरअसल,विजय और पराजय, यदि दोनों सुनिश्चित लगने लगें, तो योद्धाओं का उत्साह गायब हो जाता है। इन दिनों उज्जैन में यही दिख रहा है। भाजपा के नेताओं से लेकर पदाधिकारी, कार्यकर्ता और समर्पित मतदाता तक भाजपा की जीत निश्चित मान रहे हैं। इसलिए इनमें अब युद्ध-भाव वाला उत्साह नहीं रहा। इधर, कांग्रेस पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं में भी कोई उत्साह नहीं दिखता क्योंकि अधिकांश को लगता है कि पार्टी हार ही जाएगी। माहौल इतना ठंडा है कि भाजपा और कांग्रेस के पार्टी कार्यालयों तक पर ज्यादा हलचल, तैयारी या झंडे-बैनर दिखाई नहीं दे रहे।

मध्य प्रदेश में दोनों चरणों में मतदान प्रतिशत अपेक्षा से काफी कम रहा। इससे कांग्रेस की बांछें खिल गई हैं और भाजपा में चिंता पसर गई है। यही वजह कि भाजपा की ओर से विशेष प्रयास किए जा रहे हैं।वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में उज्जैन जिले की तराना विधानसभा सीट पर भाजपा ने अनिल फिरोजिया तो कांग्रेस ने परमार को टिकट दिया था। इस सीट पर इससे पहले फिरोजिया विधायक थे, किंतु महेश परमार ने उन्हें कड़ी टक्कर देते हुए हरा दिया था। जीत का अंतर केवल 2209 वोट का था। 2023 के चुनाव में तराना इकलौती ऐसी सीट है जहां कांग्रेस ने महेश परमार के रूप में जी दर्ज की। महेश वर्मा अपने बलबूते पर पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ रहे हैं। महापौर के चुनाव में भी कांग्रेस ने उज्जैन में कड़ी टक्कर दी थी।

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