एक पक्षीय चुनाव के बावजूद मतदाताओं की अरूचि बन सकती है बाधक, बाहरी पैरासूट नेता नही कर सके विकास, जनता का बाहरी प्रत्यासियों से हुआ मोहभंग

सुरेश पाण्डेय पन्ना
खास बातें
1- जीत के मार्जिन से बढ़ेगा केन्द्र की राजनीति में धुरंधरों का कद ।
2- जिलेवासियों ने जितने बार भाजपा सांसद चुने, उतनी भी संख्या में उपलब्धियां नहीं।
3- नोटा भी इस बार कर सकता है कमाल।

चुनावी मैदान बिल्कुल खाली होने के कारण खजुराहो लोकसभा से भाजपा प्रत्याशी व्ही डी शर्मा जीत के प्रति पूरी तरह से आशान्वित हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि अब वे अपना जीत का अंतर बढ़ाने के लिए दिन रात पसीना बहा रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद भी मतदाताओं की खामोशी एवं चुनाव के प्रति अरूचि के चलते उनकी सांसें फूल रही है। चूंकि मप्र से दो केन्द्रीय मंत्री नरेंद्र सिंहं तोमर एवं प्रहलाद पटेल केन्द्र की राजनीति से प्रदेश की राजनीति में आकर प्रदेश सरकार में मंत्री बन गये हैं। वहीं निवर्तमान केन्द्रीय मंत्री बीरेंद्र खटीक एवं फग्गन सिंह कुलस्ते अभी लोकसभा के चुनाव में मैदान में उतरे हैं निश्चित है कि केन्द्र में मध्य प्रदेश के दो मंत्रियों का प्रदेश सरकार में मंत्री बनने के बाद केन्द्र में मंत्री बनने के आसार बढ़ गये हैं। जिसमें सबसे प्रमुख दो ही नाम सामने आ रहे हैं पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं व्ही डी शर्मा जिनका जीतने के बाद मंत्री बनना लगभग तय माना जा रहा है। लेकिन कितनी अधिक लीड ले पायेंगे यह तो समय ही बतायेगा और जीतने के मार्जिन के अनुसार ही इन दोनों नेताओं का केंद्र की राजनीति में कद बढेगा एवं घटेगा और इसी चुनाव से उनका राजनैतिक भविष्य भी जुडा हुआ है। शायद यही वजह है कि भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और खजुराहो लोकसभा क्षेत्र से प्रत्याशी वीडी शर्मा के लिए अमित शाह जैसे बड़े नेता की रैली हो रही है जबकि खजुराहो में इंडिया गठबंधन समर्थित समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी मीरा यादव का नामांकन खारिज हो गया था। वहीं, विदिशा से पांच बार सांसद रहे पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगातार अपने क्षेत्र में संपर्क करने में जुटे हुए हैं। राजनीतिको का मानना है कि इसके पीछे की वजह बड़ी जीत हासिल कर केंद्रीय नेतृत्व के सामने मजबूत छवि बनाना है।
जितनी बड़ी लीड, उतना बड़ा नेताः- मध्य प्रदेश में भाजपा के पक्ष में सकारात्मक माहौल दिख रहा है। ऐसे में बड़े नेताओं के बीच में ज्यादा से ज्यादा लीड की होड़ दिखाई दे रही है। निश्चित तौर पर जो ज्यादा लीड से जीतेगा पार्टी की नजर में उसका महत्व बढ़ेगा। यही वजह है कि शिवराज सिंह चौहान अपने विदिशा में पूरा जोर लगा रहे हैं। वहीं, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के क्षेत्र में अमित शाह जैसे बड़े नेता की रैली होना प्रस्तावित है। जबकि उनका चुनाव चुनौती विहीन माना जा रहा है। भले ही उन्होंने पन्ना जिले के विकास के लिए लगभग कुछ भी नही किया है लेकिन जब कोई प्रमुख राष्टीय दल चुनाव मैदान सामने है ही नही तो लोगों की व्ही डी शर्मा मजबूरी बनकर सामने है ऐसा शायद पहली बार पन्ना के इतिहास में देखा जा रहा है कि यहां के चुनाव में कोई मुकाबला ही नही है वहीं दूसरी ओर इसी के चलते इस चुनाव में लोगों की कोई रूचि नही दिखाई दे रही है वहीं युवा वर्ग तो नोटा के लिए तैयार दिख रहे हैं इसका कारण जिले में विकराल रूप धारण कर चुकी बेरोजगारी को बता रहे हैं शिक्षित बेरोजगारों का कहना है कि जिले के जनप्रतिनिधियों ने रोजगार के क्षेत्र में कोई प्रयास नही किया जिससे जिला आज भी उद्योग बिहीन है ।
पन्ना के हीरे की तरह किस्मत बदलती है सीटः- खजुराहो लोकसभा क्षेत्र अपने ऐतिहासिक व पुरातात्विक महत्व के मंदिरों व स्थापत्य के लिए विशेष पहचान रखता है। यहां प्राकृतिक संसाधन भी भरपूर हैं। पन्ना जिले की जमीन से हीरा भी निकाला जाता है और वह लोगों की किस्मत बदलता है। खजुराहो लोकसभा सीट अलग-अलग कालखंड में भाजपा और कांग्रेस के पाले में आती-जाती रही है। हालांकि इस सीट पर भाजपा का प्रभाव ज्यादा रहा क्योंकि इसने देश की राजनीति को उमा भारती जैसा चेहरा दिया। वे लगातार चार बार यहां से सांसद रहीं। कांग्रेस की दिग्विजय सिंह सरकार को करारी शिकस्त देकर प्रदेश की मुख्यमंत्री भी बनीं। यहां से सांसद बनने वाले कई नेताओं ने देश-प्रदेश की राजनीति में अपना स्थान बनाया। इन बड़े चेहरों में कांग्रेस की विद्यावती चतुर्वेदी, सत्यव्रत चतुर्वेदी और भाजपा की उमा भारती व विष्णु दत्त शर्मा जैसे नाम शामिल हैं।
परिसीमन से बदला ये स्वरूप, बदल गई राजनीतिः- खजुराहो सीट पर शुरुआती दबदबा कांग्रेस का हुआ करता था लेकिन वर्ष 1989 के बाद लगातार चार बार सांसद चुनी गईं उमा भारती ने खजुराहो सीट को भाजपा के गढ़ में बदल दिया। वर्ष 1999 के चुनाव को छोडकर बाद में भी भाजपा प्रत्याशी ही सांसद चुने गए। स्वतंत्रता के बाद हुए पहले लोकसभा चुनाव में खजुराहो स्वतंत्र सीट नहीं थी। दूसरे चुनाव वर्ष 1957 में छतरपुर जिले की चार और टीकमगढ़ जिले की चार विधानसभा सीटों को मिलाकर खजुराहो लोकसभा सीट बनाई गई। वर्ष 1967 व 1971 के चुनाव में भी खजुराहो स्वतंत्र सीट नहीं रही। क्षेत्र का बड़ा हिस्सा टीकमगढ़ लोकसभा क्षेत्र में रहा। वर्ष 1977 के बाद से खजुराहो स्वतंत्र सीट के रूप में कायम है। वर्ष 2008 में हुए परिसीमन से पहले खजुराहो लोकसभा सीट में टीकमगढ़, पन्ना और छतरपुर जिले की आठ विधानसभा सीटें शामिल थीं। परिसीमन के बाद इसमें छतरपुर, पन्ना और कटनी जिले की आठ विधानसभा सीटें जुड़ गईं। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव से इसका यह स्वरूप अभी तक है। खजुराहो लोकसभा सीट पर पहला चुनाव साल 1957 में हुआ था। 1957 में इस सीट पर हुए पहले चुनाव में कांग्रेस के राम सहाय ने जीत हासिल की थी।
19.94 लाख मतदाता चुनेंगे सांसदः- खजुराहो लोकसभा में इस बार के चुनाव में 19.94 लाख मतदाता अपना सांसद चुनेंगे। इससे पहले वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में मतदाताओं की संख्या 15.42 लाख थी। पिछले चुनाव में वीडी खजुराहो के लिए पैराशूट नेता की तरह थे, जिससे शुरू में स्थानीय दावेदार नेताओं द्वारा उनका विरोध भी किया गया था, इस बार ऐसे स्थिति नहीं है। संसदीय क्षेत्र में पन्ना जिले की तीनों विधानसभा पन्ना, पवई और गुनौर आती हैं। छतरपुर जिले की चंदला और राजनगर विधानसभा सीटें हैं। इसी प्रकार से कटनी जिले की विजयराघवगढ़, मड़वारा और बहोरीबंद विस की सीटें शामिल हैं। लोकसभा चुनाव में खजुराहो लोकसभा क्षेत्र के 19 लाख 94 हजार 330 मतदाता मताधिकार का उपयोग कर सकेंगे। इनमें 10 लाख 45 हजार 349 पुरुष मतदाता, 9 लाख 43 हजार 440 महिला मतदाता और 32 अन्य मतदाता शामिल हैं। इसके अतिरिक्त एक हजार 56 सर्विस मतदाता भी हैं।
खजुराहो लोकसभा क्षेत्र में जिलेबार मतदाताओं की संख्या पर एक नजरः-
पन्ना जिला
पन्ना विधानसभा 252250
पवई विधानसभा 204022
गुनौर विधानसभा 234136
छतरपुर जिला
चंदला विधानसभा 237413
राजनगर विधानसभा 251323
कटनी जिला
विजयराघवगढ़ विस 238910
मुड़वारा विधानसभा 250360
बहोरीबंद विधानसभा 245900
कब कौन बना सांसद
1977 में भारतीय लोकदल के लक्ष्मी नारायण नाइक
1930 में विद्यावती चतुर्वेदी, कांग्रेस
1994 में विद्यावती चतुर्वेदी, कांग्रेस
1939 से 1990 तक उमा भारती, भाजपा, लगातार चार बार जीती
1009 सत्यव्रत चतुर्वेदी, कांग्रेस
2004 रामकृष्ण कुसमरिया, भाजपा
2009 में भाजपा के जीतेन्द्र बुंदेला
2014 में भाजपा के नागेन्द्र सिंह
2019 में भाजपा के वीडी शर्मा

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