कालिदास से भारत गौरवमय: धनखड़

कालिदास के अभिज्ञान शाकुंतलम में दिखती है नारी सशक्तिकरण की झलक

कालिदास समारोह के शुभारंभ अवसर पर बोले उपराष्ट्रपति

जलवायु ,पर्यावरण, युवाओं से लेकर 2047 के चुनाव तक, धारा प्रवाह दिया उद्बोधन

मुख्यमंत्री डॉ यादव से लेकर राज्यपाल भी हुए कालिदास समारोह के शुभारंभ अवसर पर शामिल

नवभारत न्यूज़

भूपेद्र भूतड़ा/ प्रमोद व्यास

उज्जैन जय श्री महाकाल… यह बाबा महाकाल की नगरी है जहां पर महाकवि कालिदास हुए, विक्रमादित्य हुए और उनके पुरुषार्थ से भारत गौरवमय में हो गया ।उज्जैन में कालिदास समारोह की जिस प्रकार से स्थापना हुई है, कई सारी विभूतियां इसमें शामिल हो चुकी है, यहां की महिमा निराली है ,अपरंपार है कालिदास द्वारा लिखित अभिज्ञान शाकुंतलम में नारी सशक्तिकरण की झलक दिखती है।

 

यह बात मंगलवार को कालिदास समारोह के शुभारंभ अवसर पर देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहीं ।इस दौरान मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव से लेकर मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगू भाई पटेल भी उपस्थित रहे।

 

 

दीप प्रज्वलित कर किया शुभारंभ

 

 

उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ द्वारा उज्जैन में 66वें अखिल भारतीय कालिदास समारोह का शुभारंभ किया गया। उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़, राज्यपाल मंगू भाई पटेल और मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कालिदास अकादमी द्वारा प्रकाशित 10 ग्रंथों का लोकार्पण भी किया गया। डॉ. गोविन्द गन्धे इन ग्रंथों के प्रधान संपादक हैं।

 

अच्छे नागरिक बनें

 

उपराष्ट्रपति ने कालिदास समारोह के कार्यक्रम में कहा कि बच्चा पढ़ लिखकर इंजीनियर बने डॉक्टर बने या बहुत अच्छी बात है लेकिन इससे ज्यादा जरूरी है कि वह अच्छा नागरिक बने ।इस बात पर समझ में मौजूद श्रोताओं ने खूब तालियां बजाई

 

भारत जैसा कोई नहीं

 

उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत जैसा कोई दूसरा देश नहीं है यहां पर पारंपरिक सांस्कृतिक जो विरासत है वह हमें गौरवान्वित करती है जो अपनी समाज से अपनी संस्कृति से सांस्कृतिक धरोहर से जुड़कर नहीं रह सकता ,वह ज्यादा दिन नहीं टिकता है। उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि कालिदास की जो मेघदूतम रचना है वह हमें प्रकृति के समीप रहने की बात सिखाती है।

 

2047 में अपनी आहुति दे

 

थोड़ी देर के लिए श्रोतागण उस वक्त उपराष्ट्रपति को और ध्यान से सुनने लगे जब उन्होंने कहा कि देश की सरकार इस बार बहुत अच्छा काम कर रही है ,जो अभी तक नहीं हुआ वह अब हो रहा है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि स्वच्छता अभियान और एक पेड़ मां के नाम यह मिल का पत्थर है। उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि 2047 तक हमारा भारत मजबूत राष्ट्र बन जाएगा आप सबको 2047 के लिए अपनी आहुति देना है ।

 

हमारी संस्कृति 5000 साल पुरानी

 

भारत एक अकेला ऐसा देश है जिसके पास 5000 साल की सांस्कृतिक विरासत है ,उद्बोधन की समाप्ति पर भी तीन बार उपराष्ट्रपति ने जय श्री महाकाल के जयकारे लगाए।

 

मुख्यमंत्री डॉ यादव ने आशीर्वाद लिया

 

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कालिदास समारोह के मंच पर उपराष्ट्रपति का स्वागत सम्मान किया, उन्होंने महाकाल लोक की प्रतिकृति भेंट करते हुए उनके पैर भी छुए और आशीर्वाद लिया ।मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने अपने उद्बोधन में कहा की उपराष्ट्रपति ने समय निकाला यह बहुत बड़ी बात है मैं उनका आभार व्यक्त करता हूं कि मौसम की खराबी होने के बावजूद वे इस कार्यक्रम में पहुंचे हैं।

 

इन विभूतियों को किया गया सम्मानित

 

समारोह में उप राष्ट्रपति द्वारा कालिदास अलंकरण सम्मान शास्त्रीय गायन के लिये पं. उदय भावलकर पुणे (2022), पं. अरविंद पारेख मुंबई (2023), शास्त्रीय नृत्य के लिये डॉ. संध्या पुरेचा मुंबई (2022), गुरु कलावती देवी मणिपुर (2023), कला और शिल्प के लिये पी.आर. दारोच दिल्ली- कला और शिल्प (2022), रघुपति भट्ट मैसूर (2023), नाट्य के लिये सुश्री भानु भारती राजस्थान (2022) और रुद्रप्रसाद सेन गुप्ता कोलकाता (2023) को प्रदान किया ।

 

अखिल भारतीय कालिदास समारोह के अन्य कार्यक्रम

 

शास्त्रधर्मी शैली पर आधारित तथा पारम्परिक शैली से अनुप्रेरित नृत्य नाटिका का प्रस्तुतिकरण होगा।शुभारंभ से पहले सोमवार को मंगल कलश यात्रा निकाली गई और कालिदास अकादमी में नान्दी-भक्ति संगीत का कार्यक्रम हुआ।

 

 

14 से 18 यह कार्यक्रम होंगे

 

 

गुरुवार 14 नवम्बर को शोध संगोष्ठी का द्वितीय सत्र, व्याख्यान माला कुटुम्ब व्यवस्था, हिन्दी नाटक वसन्त सेना का प्रस्तुतीकरण होगा। 15 नवम्बर को संगोष्ठी का तृतीय सत्र, व्याख्यान माला- कालिदास का पर्यावरण चिंतन, लोक गायन और नाटक अभिज्ञान शाकुन्तलम् की प्रस्तुति होगी। 16 नवम्बर को संस्कृत कवि समवाय, अन्तर्विश्वविद्यालयीन संस्कृत वाद-विवाद प्रतियोगिता, लोक नृत्य की प्रस्तुति होगी। 17 नवम्बर को अन्तर महाविद्यालयीन कालिदास काव्य पाठ, अन्तर महाविद्यालयीन हिन्दी वाद-विवाद प्रतियोगिता, शास्त्रीय गायन होगा। 18 नवम्बर को समारोह का समापन कार्यक्रम शाम साढ़े चार बजे से किया जाएगा। इसके बाद शाम 7 बजे शास्त्रीय शैली में वादन का आयोजन किया जाएगा।

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