नयी दिल्ली 06 नवंबर (वार्ता) विश्व बैंक समूह के सदस्य अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (आईएफसी) ने आज कहा कि उसने बजाज फाइनेंस लिमिटेड (बीएफएल) के साथ साझेदारी की है, जिसके तहत बीएफएल के एक अरब डॉलर का फंड जुटाने की प्रक्रिया में से 40 करोड़ डॉलर का निवेश किया जाएगा।
कंपनी ने बुधवार को बयान जारी कर बताया कि इस निधि का उद्देश्य जलवायु वित्त बाजार में प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाना, देश के जलवायु लक्ष्यों का समर्थन करना और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना है।
आईएफसी के 40 करोड़ डॉलर के ऋण से बीएफएल को दोपहिया, तिपहिया और चारपहिया सहित इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी) खरीदने का विकल्प चुनने वाले ग्राहकों के लिए वित्त तक पहुंच का विस्तार करने और ईईसीजी क्षेत्र में अपनी उपस्थिति को मजबूत करने में मदद मिलेगी। यह साझेदारी बीएफएल की महिलाओं के स्वामित्व वाले अधिक सूक्ष्म उद्यमों और महिला सूक्ष्म उधारकर्ताओं को वित्तपोषित करने और उनका समर्थन करने की क्षमता को भी बढ़ावा देगी।
बीएफएल के मुख्य वित्तीय अधिकारी और मुख्य परिचालन अधिकारी संदीप जैन ने कहा, “हमारे ईएसजी सिद्धांतों द्वारा संचालित जिम्मेदार कारोबारी तरीके, हमारे व्यवसाय करने के तरीके के लिए आधारभूत हैं। आईएफसी का 40 करोड़ डॉलर का वित्तपोषण हमारे वित्तपोषण स्रोतों में विविधता लाने के लिए उत्प्रेरक का काम करता है। इसके साथ, हमारे बकाया जलवायु ऋण वर्ष 2024 में 15 करोड़ डॉलर से वर्ष 2027 में चार गुना बढ़कर 60 करोड़ डॉलर हो जाएगा। यह हमें ईवी और ऊर्जा-कुशल उपभोक्ता वस्तुओं के अधिक उपयोग को सक्षम करने, अधिक महिला-स्वामित्व वाले सूक्ष्म उधारकर्ताओं का समर्थन करने और भारत के समावेशी और कम कार्बन भविष्य में बेहतर योगदान करने में मदद करता है।”
आईएफसी के दक्षिण एशिया के क्षेत्रीय निदेशक इमाद एन. फखौरी ने कहा, “भारत के लिए अपने शुद्ध-शून्य लक्ष्यों को पूरा करने के लिए जलवायु वित्तपोषण में तेजी लाना महत्वपूर्ण है। बजाज फाइनेंस में आईएफसी के निवेश से बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, जिससे अन्य गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) और निवेशक ऊर्जा-कुशल समाधान, ई-मोबिलिटी और माइक्रोफाइनेंस के लिए अपने वित्तपोषण का विस्तार करने के लिए प्रेरित होंगे। बजाज फाइनेंस एक समान विचारधारा वाले भागीदार के साथ हम देश के लिए हरित विकास को गति देने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। साथ ही महिलाओं को सशक्त बनाने और लैंगिक अंतर को कम करने के लिए भी प्रतिबद्ध हैं।
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा-उपभोग करने वाला देश है। जैसे-जैसे देश अपने ऊर्जा क्षेत्र का तेजी से विकास कर रहा है, लाखों परिवारों द्वारा नए उपकरण, एयर कंडीशनर और वाहन खरीदने की उम्मीद है। वर्ष 2050 तक एयर कंडीशनर की मांग नौ गुना बढ़ने की उम्मीद है, जिससे ग्रीनहाउस-गैस उत्सर्जन में काफी वृद्धि होगी।
संयुक्त बयान में कहा गया है कि भारत में घरेलू उपकरणों का बाजार वर्ष 2024 में 59.19 अरब डॉलर होने का अनुमान है और सालाना 7.35 प्रतिशत की दर से बढ़ने की संभावना है। इस पृष्ठभूमि में ईईसीजी भारत के कम कार्बन विकास पथ के लिए महत्वपूर्ण है, खासकर जब घरों में कुल ऊर्जा खपत का 26 प्रतिशत और बिजली की खपत का 25 प्रतिशत हिस्सा है। ईईसीजी उपभोक्ताओं को बिजली बिलों में बचत करने में मदद करेगा और 2030 तक उत्सर्जन तीव्रता में 45 प्रतिशत की कटौती करने के भारत के लक्ष्य का समर्थन करेगा।