अभिनय और संगीत के साथ भावों के जरिए इंडोनेशिया के कलाकारों ने मंच पर जीवंत की श्रीरामकथा

श्रीराघव प्रयाग घाट पर किया जा रहा सात दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय श्रीरामलीला उत्सव का आयोजन

चित्रकूट। मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग की ओर से 20 से 26 अक्टूबर 2024 तक श्रीरामकथा के विविध प्रसंगों की लीला प्रस्तुतियों पर एकाग्र सात दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय श्रीरामलीला उत्सव का आयोजन श्रीराघव प्रयाग घाट, नयागाँव चित्रकूट में किया जा रहा है। समारोह में लीला मण्डल रंगरेज कला संस्थान, उज्जैन के कलाकार प्रतिदिन श्रीरामकथा के प्रसंगों की प्रस्तुतियां दे रहे हैं। इस अवसर पर “श्रीरामराजा सरकार” श्रीराम के छत्तीस गुणों का चित्र कथन प्रदर्शनी का आयोजन भी किया जा रहा है। समारोह के दूसरे दिन सोमवार को इंडोनेशिया से आए दल ने रामायण बैले “हनुमान दूत के रूप में” की प्रस्तुति दी। इस अवसर पर श्रीरामकथा के चरितों पर आधारित व्याख्यान का आयोजन भी किया गया। व्याखानमाला के पहले दिन डॉक्टर श्याम सुंदर दुबे, हटा, दमोह ने श्री अंगद चरित्र पर अपना उद्बोधन दिया। उन्होंने कहा कि श्री राम ने अंगद को रावण के दरबार में अपना दूत बना कर भेजा। राम ने अंगद से कहा कि आप वहाँ जाकर अपनी शक्ति का प्रदर्शन नहीं करेंगे।केवल मेरा संदेश रावण तक पहुंचाते हुए उन्हें सुनेंगे। आप के बल-बुद्धि का प्रदर्शन होगा, तो रावण हमारी सेना के बल को जान जाएगा। श्री राम ने अंगद को भेज कर उनके मन में बसे दुःख को भी दूर किया। उत्सव का प्रसारण संस्कृति विभाग के यूट्यूब चैनल पर लाइव किया जा रहा है।

इंडोनेशिया के कलाकारों ने रामायण बैले “हनुमान दूत के रूप में” कथा को प्रस्तुत किया। 45 मिनट की प्रस्तुति में टाकसू आर्ट समूह के 9 कलाकारों ने अभिनय एवं 6 कलाकारों ने संगीत में सहभागिता की। बैले का निर्देशन चोकोरदा पुत्रा ने किया, वे बाली हिन्दू विश्वविद्यालय में लेक्चर भी हैं। चोकोरदा बताते हैं, इस शैली की शुरुआत 1960 में हाई स्कूल ऑफ आर्ट, बाली से हुई थी। बाली में प्रतिदिन चक रामायण पर आधारित नाट्य व अन्य कार्यक्रम होते हैं। प्रतिदिन नेशनल टीवी पर भी इसका प्रसारण होता है। प्रस्तुति की शुरुआत वाद्य संगीत से की गई। सेंड्रातारी मूलतः एक नृत्य-नाट्य है, जिसमें कोई संवाद नहीं होता। यह नृत्य शैली सबसे पहले सेंट्रल जावा में बनाई गई थी और बाद में यह इंडोनेशिया के कई स्थानों पर की जाती है। नाटिका में दिखाया गया कि श्रीराम अपने छोटे भाई एवं माता सीता के साथ 14 वर्ष का वनवास व्यतीत करने जाते हैं और वनगमन के समय रावण, माता सीता का हरण कर लेता है। माता सीता का पता लगाने के लिए श्रीहनुमान को भेजा जाता। माता सीता को ढूंढते हुए श्रीहनुमान लंका में माता सीता से मिलते हैं और जाते समय लंका की वाटिकाओं को भी नष्ट कर देते हैं। श्रीहनुमान जब लौटकर आते हैं तो श्रीराम से मिले और उन्हें बताया कि माता सीता लंका में हैं। श्रीराम ने श्रीहनुमान को लंका में युद्ध के लिए वानर सेना को ले जाने का आदेश दिया। लंका पहुंचकर श्रीराम ने राजा रावण को लड़ने के लिए चुनौती दी। इस लड़ाई में श्रीराम ने रावण को हरा दिया और पत्नी सीता को बचा लिया।

*शिव धनुष टूटने पर क्रोधित हो जाते हैं परशुराम*

इसके पश्चात रंगरेज कला संस्थान, उज्जैन के कलाकारों ने ताड़का वध, अहिल्या-उद्धार, वाटिका प्रसंग, धनुष यज्ञ, रावण-बाणासुर संवाद, लक्ष्मण परशुराम संवाद का मंचन किया। राक्षसों से ऋषि-मुनियों की रक्षा के लिए गुरु विश्वामित्र दशरथ के दरबार में पहुंचते हैं। वे राम-लखन को साथ ले जाने की बात कहते हैं। दशरथ के मन में इसे लेकर संशय होता है। तब विश्वामित्र कहते हैं, सुनो अवधेश बेटे तुम्हारे नहीं है ये। ये हैं यज्ञप्रसादी, जिससे उत्पन्न हुए बेटे चार। उन्हीं में से मांगता तुमसे दो बेटे रक्षार्थ। यही है संकल्प तुम्हारा। भगवान राम विश्वामित्र की आज्ञा से ताड़का का वध करते हैं। इसके पश्चात वे अहिल्या का उद्धार करते हैं। प्रस्तुति में आगे दिखाया गया कि भगवान श्रीराम, राजा जनक की नगरी में पहुंचते हैं। यहां वाटिका में पहली बार वे माता सीता को देखते हैं। राजा जनक विश्वामित्र को धनुष यज्ञ के आमंत्रित करते हैं। उनकी मुलाकात दोनों सुकुमारों से होती है। वे उन्हें भी आमंत्रित करते हैं। अगले प्रसंग में दिखाया गया कि स्वयंवर में श्रीराम धनुष तोड़ देते हैं। शिव धनुष टूटने पर वहां परशुराम पहुंच जाते हैं। क्रोध में वे राजा जनक को ललकारते हुए कहते हैं, क्या तुम्हें ये ज्ञात नहीं है कि मेरी आज्ञा के बिना यूं क्षत्रियों को एकत्रित करना निषेध है। शिव धनुष जिसने भी तोड़ा है, वे मेरे सामने आए, अन्यथा मैं सभी का संहार कर दूंगा।

उत्सव में 22 अक्टूबर, 2024 को श्रीराम बारात, श्री राम राज्य की घोषणा, कैकेयी-मंथरा संवाद, दशरथ-कैकेयी संवाद, श्री राम वनगमन, 23 अक्टूबर, 2024 को श्री राम-निषादराज मिलन, केवट प्रसंग, दशरथ देवलोक गमन, भरत-कैकेयी संवाद, 24 अक्टूबर, 2024 को मिलाप, सीता हरण, जटायु मरण, शबरी प्रसंग, 25 अक्टूबर, 2024 को श्री राम-हनुमान मिलन, श्री राम सुग्रीव मैत्री, बाली वध, हनुमान-रावण संवाद, लंका दहन एवं उत्सव के समापन दिवस 26 अक्टूबर, 2024 को सेतुबंध, रामेश्वरम स्थापना, रावण-अंगद संवाद, कुंभकरण, मेघनाथ एवं रावण मरण, श्री राम राज्याभिषेक प्रसंगों को मंचित किए जायेंगे।

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