नई दिल्ली, (वार्ता) उच्चतम न्यायालय ने रेत खनन के मामले में मंगलवार को तमिलनाडु के पांच जिला कलेक्टरों को व्यक्तिगत रूप से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समक्ष 25 अप्रैल तक उपस्थित होकर केंद्रीय जांच एजेंसी के समन का जवाब देने का अंतिम अवसर दिया और चेतावनी देते हुए कहा कि आदेश का पालन नहीं होने पर उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी के सामने उन जिला कलेक्टरों के पेश नहीं होने पर आपत्ति जताई। पीठ ने कहा कि उनके पेश नहीं होने से पता चलता है कि अधिकारियों मन में न तो अदालत और न ही कानून का सम्मान है, भारत के संविधान का तो बिल्कुल भी सम्मान नहीं है।
शीर्ष अदालत ने इस संबंध में मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ ईडी की याचिका पर सुनवाई करते ये टिप्पणी की और आदेश दिया। उच्च न्यायालय ने जिला कलेक्टरों के खिलाफ जारी ईडी के समन पर रोक लगा दी थी।
पीठ ने चेतावनी देते कहा कि वे रेत खनन मामले में समन का जवाब देने के लिए ईडी के समक्ष पेश होने के उसके निर्देश का पालन करने में विफल हुए तो उनका कोई भी लापरवाहपूर्ण रवैया उन्हें मुश्किल स्थिति में डाल देगा।
पीठ ने कहा,“इस तरह के दृष्टिकोण की कड़ी निंदा की जाती है। हमारी राय में इस तरह का उदासीन दृष्टिकोण, उन्हें एक कठिन परिस्थिति में डाल देगा। जब अदालत ने उन्हें ईडी द्वारा जारी समन के समक्ष में पेश होकर जबाव देने का निर्देश दिया था तो उनसे अदालती आदेश का पालन करने की उम्मीद की गई थी।”
शीर्ष अदालत ने हालाँकि, उन्हें 25 अप्रैल को सभी आंकड़ों के साथ प्रवर्तन निदेशालय के समक्ष पेश होने का आखिरी मौका दिया, क्योंकि तमिलनाडु सरकार का पक्ष रख रहे वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सुनवाई के दौरान कहा कि वे चुनाव कर्तव्यों में व्यस्त थे।
शीर्ष अदालत ने 27 फरवरी को मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसने पिछले साल नवंबर में रेत खनन कथित घोटाला मामले में जिला कलेक्टरों के खिलाफ ईडी के समन पर रोक लगा दी थी।
शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द करते हुए अपने आदेश में कहा था कि समन के खिलाफ राज्य सरकार की याचिका प्रथम दृष्टया कानून की गलत धारणा पर आधारित है।